पटना यूनिवर्सिटी में दिव्यांगों के नामांकन के साथ हो रहा है खिलवाड़।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : पटना यूनिवर्सिटी मगध यूनिवर्सिटी पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी मैं दिव्यांगों के लिखित सर्कुलर पारित सर्कुलर और उनके संविधानिक अधिकार और दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 के साथ बहुत बड़ा मजाक किया जा रहा है दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 की सबसे बड़ी विशेषता यह है की नौकरी के लिए और पढ़ाई के लिए कोई दिव्यांग व्यक्ति से को वंचित नहीं करेगा पहली बार दिव्यांग व्यक्ति को समानता का अधिकार मिला एवं स्वतंत्रता का अधिकार मिला लेकिन यह कागज तक ही सीमित दिख रहा है आज बिहार में क्या भारत के तमाम कोनों में दिव्यांग छात्रवृत्ति बंद कर दी गई है दिव्यांगों को एसडीएससी ओबीसी की तरह नामांकन शुल्क में विशेष छूट का प्रावधान था जिसे समाप्त कर दिया गया है और यह मनमाने तौर से समाप्त किया गया है यह बात मैं इस आधार पर कर सकता हूं कि कोई भी नियम मैं अगर परिवर्तन करना होता है तो संशोधन प्रस्ताव आता है वह देश के दोनों सदनों में राज्य के दोनों सदनों में पारित होता है सामाजिक कल्याण विभाग राज्य सरकार और सामाजिक कल्याण अधिकारिता मंत्रालय केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्ताव पारित होता है उस पर वोटिंग होता है तब जाकर उसमें बदलाव किया जाता है यह सिर्फ का देना कि राज्यपाल के आदेश से इस नियम को हटाया गया है तो यह बताया जाए कि किस राज्यपाल ने किस डेट पर यह आदेश पारित किया था उसका क्या प्राप्तांक है क्या दिनांक है वह आर्डर संख्या कितना है उस लेटर का एक छाया प्रति प्रत्येक दिव्यांगों को प्रदान किया जाए नहीं तो एडमिशन कक्ष में उसका छायाप्रति लगाया जाए इसको लेकर बिहार के वर्तमान राज्यपाल और मुख्यमंत्री जी से लेटर के माध्यम से और राज्यपाल कार्यालय जाकर राज्य के 5100000 दिव्यांगों के तरफ से उसके संविधानिक अधिकार और लिखित अधिकार को पालन करवाने तथा पूर्ण रूप से इस पर जांच बैठाने और इस नियम को सख्ती से पालन करवाने का अनुरोध राज्य के प्रत्येक दिव्यांगों के तरफ से तोशियास सचिव ने किया है ताकि राज्य का प्रत्येक दिव्यांग शिक्षा के अधिकार से जुड़ सके दिव्यांग अधिकार अधिनियम से जुड़ सके और शिक्षा से जुड़कर रोजगार से जुड़ सके और समाज के प्रमुख धारा में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा सके कहीं भी दिव्यांगों के साथ अन्याय होगा तो उसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगा तोशियास दिव्यांगों की मुस्कान है हमारी पहचान।

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