थैलेसीमिया एवं हीमोफीलिया वाले दिव्यांगों को मिले दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का संपूर्ण लाभ।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 को लागू हुए कई वर्ष बीत गए पहले 9 श्रेणी के दिव्यांग थे जब दिव्यांग अधिनियम 1995 था वह बढ़कर 2016 में 21 प्रकार के हो गए लेकिन किया है उनको इस अधिनियम में पूर्ण अधिकार नहीं दिए गए जो मिलना चाहिए जो उनका संविधानिक मौलिक अधिकार है हीमोफीलिया / अधि रक्तस्त्राव चोट लगने पर अत्यधिक रक्त स्त्राव रक्त बहना बन्द नहीं होना दूसरी श्रेणी है थैलेसीमिया हीमोग्लोविन की खून में विकृति खून मात्रा कम होना इन श्रेणियों को दिव्यांगता में शामिल कर लिया गया है लेकिन सभी अस्पतालों में इनका सर्टिफिकेट नहीं बनता है कई पदाधिकारी तो यह कहते हैं कि उन्हें पता ही नहीं है किन का सर्टिफिकेट कैसे बनेगा यह काफी गलत हो रहा है इनके साथ इसलिए सरकार को एक आदेश जारी करके सभी अस्पताल को दिशा निर्देश देने चाहिए कि सभी अस्पतालों में इनका सर्टिफिकेट बनाया जाए दूसरी जो सबसे बड़ी बात है कि दिव्यांग सर्टिफिकेट अस्थाई बनाई जाती है दिव्यांग अधिकार अधिनियम के तहत वह 5 सालों में रिन्यूअल होता है लेकिन इन श्रेणियों के दिव्यांगों को प्रत्येक 1 साल में अपना सर्टिफिकेट रिन्यूअल करवाना पड़ता है और इनका अस्थाई सर्टिफिकेट नहीं बनता है अस्थाई सर्टिफिकेट बनता है जिसमें इनको सालों भर मशक्कत करना पड़ता है भागदौड़ करना पड़ता है अत्याचार यहीं समाप्त नहीं हो जाता इन्हें नौकरियों में 4% आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलता है और दिव्यांगता श्रेणी में नौकरियों में जो दिव्यांगों को लाभ मिलता है दिव्यांगों को प्राप्त नहीं होता तो हम संबंधित विभाग से यह निवेदन करना चाहेंगे कि आप जब इन्हें दिव्यांगता श्रेणी में सम्मिलित किए हैं तो इन्हें तमाम वह अधिकार प्राप्त करवाई जाए जो एक दिव्यांग व्यक्ति को प्राप्त होता है तोशियास सचिव आपसे यह निवेदन करते हैं कि इस पर पहल करके इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए प्रत्येक वर्ष हम लोग करोड़ों रुपए खर्च करके अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाते हैं और समस्या जस की तस बनी हुई होती है उसका समाधान नहीं होता दिव्यांग व्यक्ति रोड पर त्राहिमाम त्राहिमाम करते दिख जाते हैं प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता कभी नहीं है भारत सरकार कोई यहां तक पता नहीं है की नई श्रेणी में जितने दिव्यांगों को सम्मिलित किया गया है उनकी संख्या क्या है और जिसने यह काम दिया है कि प्रत्येक 5 सालों में आप दिव्यांगों की जनसंख्या की गणना करवाएंगे वह कान में तेल डालकर सोए हुए हैं तो एक बड़ा सवाल यह खड़ा होता है इस सिर्फ श्रेणी में सम्मिलित कर देने से इन दिव्यांगों का कल्याण हो जाएगा क्या क्या उनके नाम पर करोड़ों रुपए अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस 3 दिसंबर 2022 को खर्च कर देने से उनका उत्थान हो जाएगा क्या क्या उनके साथ फोटो खिंचवा लेने से और उन्हें प्रदर्शित करके क्या दिव्यांगों का उत्थान हो जाएगा क्या इस बात को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा तोशियास सचिव और इस अन्याय के खिलाफ आवाज को बुलंद करेगा वही मैं इससे संबंधित विभाग को यह चेतावनी देना चाहता हूं सामाजिक कल्याण न्याय एवं अधिकारिता विभाग भारत सरकार को की चित्र और चरित्र दो नहीं रखना होगा दिव्यांगों के प्रति इस अन्याय को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा भारत का दिव्यांग समाज इसलिए इसका समाधान जल्द से जल्द होना चाहिए ताकि दिव्यांगों को न्याय मिल सके और उन्हें उनके संविधानिक अधिकार से जोड़ा जा सके 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अलावा डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का भी दिवस मनाया जाता है और इसे मेधा दिवस भी कहा जाता है और दिव्यांगों के लिए पढ़ाई और नौकरी ही एक ऐसा माध्यम है जिससे कि वह आत्मनिर्भर और स्वाबलंबी बन सकते हैं तो इसका विशेष दिव्यांग का विभाग संज्ञान में लेकर जल्द से जल्द इस पर पहल की जाए।

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