सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : देश के उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में दिव्यांग हो रहे हैं उपेक्षित लिखित संविधानिक अधिकार से भी किया जा रहा है उन्हें वंचित जब न्यायालय में लिखित संविधानिक अधिकार का पालन नहीं होगा तो आम जन दिव्यांगों के साथ कहां से न्याय हो सकेगा संविधान में लिखित है और वर्णित है की 4% दिव्यांगों को या सुप्रीम कोर्ट हो या हाई कोर्ट वहां पर सरकारी वकील के रूप में नियुक्त किया जाएगा जिसक विशेष उल्लेख दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 में भी प्राप्त होता है लेकिन इस लिखित सर्कुलर का पालन कहीं नहीं होता दिखता है और खुलेआम दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का उल्लंघन हो रहा है साथ ही साथ सरकारी वकील को दूरभाष भत्ता एवं वर्दी भत्ता प्राप्त होता है वह भी प्राप्त नहीं करवाया जा रहा है उसका पैसे का गमन किया जा रहा है इसलिए इस संबंध में यू एन ओ जिनेवा संयुक्त राष्ट्र संघ से बात की जाएगी और दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 का नियम का पालन हो सके इस पर कानून पारित करवाई जाएगी जिससे कि दिव्यांग वकील को उनके संविधानिक अधिकार दिव्यांग अधिकार अधिनियम 2016 से जोड़ा जा सके उन से निवेदन किया जाएगा कि जल्द से जल्द दिव्यांगों को जो लिखित सर्कुलर का लाभ मिल सके मैं कोई नया नियम लागू करने का बात नहीं कर रहा हूं जो संविधान में लिखित है वर्णित है और पारित है उसे ही नियम के अनुसार धरातल पर उतारने की बात कर रहा हूं जिससे कि दिव्यांगों लोगों को मदद मिल सके आप सभी को पता है कि दिव्यांग अधिकार अधिनियम का निर्माण जिनेवा में हुआ था और भारत अन्य देश की तरह उसे लागू किया था अपने देश में और उसी नियम के तहत दिव्यांगों को सभी संविधानिक अधिकार प्राप्त होते हैं तो अन्य देशों में प्रत्येक न्यायालय में 4% वकील को दिव्यांग वकील को सरकारी वकील के रूप में मानता प्रदान करवाई गई है और उन्हें सभी सुविधा दी जाती है तो भारत में क्यों नहीं दी जा रही है हमारा प्रयास रहेगा कि भारत के प्रत्येक दिव्यांग को जल्द से जल्द उनके संविधानिक अधिकार से जोड़ा जाए और चिराग तले जो अंधेरा है उसे दूर किया जाए।
