आरआरसी ग्रुप डी 2018 नियुक्तियां में रेलवे ने दिव्यांगों के साथ किया हेरा फेरी

सर्वप्रथम न्यूज़ सुमन कुमार: आरआरसी ग्रुप डी में जो वैकेंसी फरवरी 2018 में आया था उसमें दिव्यांगों के साथ भारतीय रेलवे की और से दिव्यांगों के साथ बहुत ही अन्याय हुआ है क्योंकि वैकेंसी आवेदन की डेट से पहले जिस जिस जोन में जितने जितने वेकेंसियां थी उसके हिसाब से लड़का ने आवेदन किया जिसमें सबसे ज्यादा वैकेंसी दिव्यांगों के लिए अहमदाबाद जोन में था अहमदाबाद जोन में ज्यादा वैकेंसी रहने के कारण छात्रों ने अधिकतर फॉर्म अहमदाबाद से भरा जिसमें  दिव्यांग छात्र ज्यादा फॉर्म भरें फॉर्म भरने के बाद रेलवे द्वारा जिस जिस जोन में दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट नहीं थे उस उस जोन में सीट डाल दिए गए जबकि आरआरबी अहमदाबाद जोन में जो पहले से दिल्ली के लिए लोकोमोटर डिसेबिलिटी के लिए 95 वैकेंसी थी वह घटाकर 61 कर दिया गया जबकि अधिकतर छात्र अहमदाबाद जोन से फॉर्म फिल अप किए थे आप बताएं रेलवे सरकार कि यह कौन सी न्याय है दिव्यांग छात्रों के साथ फॉर्म भरने के बाद जिस जोन में आपने वैकेंसी भरी है उसमें तो पहले से आवेदन नहीं आए थे जबकि , आए होंगे तो बहुत कम छात्र आवेदन किया होगा जबकि अहमदाबाद जॉन में सभी जोन के मुताबिक अधिकतर दिव्यांगों के लिए वैकेंसी आती अधिकतर वैकेंसी आ होने के कारण सभी दिव्यांग छात्रों ज्यादातर अहमदाबाद जोन से फॉर्म भरे थे फॉर्म भरने के बाद रेलवे द्वारा अहमदाबाद जोन से सीट हटा दिया गया जबकि अधिकतर छात्र अहमदाबाद जोन से हैं रेलवे सरकार ने दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीट में बढ़ोतरी किया तो अहमदाबाद जोन से सीट क्यों हटा दिया गया अधिकतर दिव्यांग छात्र अहमदाबाद जॉन से थे अगर अहमदाबाद जॉन से दिव्यांगों का सीट – था तो दिव्यांगों को अपना जॉन चेंज करने का ऑप्शन रेलवे सरकार को देनी चाहिए था ताकि दिव्यांग फिर से अपना सीट देख कर अपना अपना जॉन अपने मुताबिक चेंज कर सकते थे जबकि रेलवे सरकार द्वारा ऐसा नहीं किया गया ऐसा नहीं किया जाने पर अहमदाबाद जोन का छात्रों का क्या हाल होगा जिस किसी जोन में आवेदन नहीं किया था उसमें आपने आवेदन के समय के बाद रिक्तियां बढ़ाए हैं तो उस जॉन का कटाव और अहमदाबाद जोन का कटऑफ में कितने का फर्क आएंगे यह कहां का न्याय है रेलवे सरकार द्वारा दिव्यांग जब सभी का सभी का कैटेगरी वाइज रिजल्ट जारी किया था उस समय दिव्यांगों को मिनिमम क्वालीफायर नाम पर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बताया जा रहा था कि आप डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन करवाइए उसके बाद आपका मार्च को किया जाएगा जबकि डॉक्युमेंट वेरीफिकेशन से पहले दिव्यांगों का मार्ग दिखा दिया गया और वेस्टर्न रेलवे का दिव्यांगों का लिस्ट निकाल दिया गया जिसमें मात्र 64 छात्र का नाम है तो बाकी छात्र कहां जाएंगे जबकि वह अपना सारा डॉक्यूमेंट बनाने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ा दिव्यांग होते हुए भी जिला एवं अनुमंडल का चक्कर सप्ताह लगाता रहा कि हमारा डॉक्युमेंट वेरीफिकेशन होगा और अब रेलवे सरकार द्वारा सभी दिव्यांग छात्रों के साथ अन्याय कर रहे हैं रेलवे डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए काम ही छात्रों को बुलाया जा रहा है अगर आपको इतने ही छात्रों को बुलाना था तो आप जिस समय सभी कैटेगरी का कटक दिखाएं एवं मार्क्स दिखाएं उसी समय आप दिव्यांगों का भी कट आफ एवं मार्क्स दिखा देते उसी समय सभी दिव्यांग छात्रों का आशा टूट जाती इतने परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता कि हमारा डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन है हमें डॉक्यूमेंट बनाना है जो कमेंट बनाने के ख्याल से दिव्यांगों का पढ़ाई लिखाई दो मां से बिल्कुल ठीक हो गए हैं अब बताएं वह क्या करेंगे कैसे अपना जीवन यापन करेंगे एवं अगले एग्जाम का तैयारी किस प्रकार से कर पाएंगे एक तरफ रेलवे सरकार की ओर से दिव्यांगों को 4% आरक्षण मिलना चाहिए वह भी नहीं मिल पाई थी उसके बावजूद रेलवे अपने नोटिफिकेशन में यह भी कहा था कि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन से पहले एक लिंक दिया जाएगा उस लिंक पर छात्रों को सारा डॉक्यूमेंट अपलोड करना है उसके बाद आपका डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन किया जाएगा जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ रेलवे सरकार द्वारा दिव्यांग छात्रों के साथ कभी कुछ कभी कुछ करके खेल खिला रहे हैं तो यह भारतीय संविधान का उल्लंघन है नागरिकों के कर्तव्य का उल्लंघन है कि सरकार देश के युवाओं के साथ खेल खेल रहे हैं बिचौलियों का खेल खेल रहे हैं जिस प्रकार सरकार जा रही है इस प्रकार छात्रों के साथ गुमराह कर रहे हैं इस तरह से छात्रों के भविष्य के साथ क्या होगा एक तरफ तो आपने 4 साल से कोई वैकेंसी या नहीं दी थी 4 साल में कोई वैकेंसी या नहीं आने के कारण कितने छात्रों को इस पार कर गए हैं वह छात्र अब क्या करें इसलिए रेलवे सरकार से अनुरोध है कि आप दिव्यांग छात्रों के साथ ऐसी कोई खेलना खेल है जिससे उनके आत्मा को ठेस पहुंचे और वह रोड पर उतरने पर मजबूर हो जाए क्योंकि दिव्यांग छात्र आज तक बहुत बर्दाश्त करके रहे आज तक कभी अपना आवाज नहीं उठाई अपने हक के लिए भी क्योंकि उसे चलने फिरने में काफी परेशानियां होती है इसी का नाजायज फायदा उठा कर सरकार कुछ से कुछ कर दे रही सरकार की नजर में यह आ रही है कि दिव्यांगों को कोई कष्ट नहीं है इसलिए अब दिव्यांगों के साथ ऐसा कुछ भी ना करें नहीं तो मजबूरन रोड पर आना पड़ेगा दिव्यांगों के साथ जल्द से जल्द इस, इस रिक्तियां जो फरवरी 2018 में दिया गया था उस पर दिव्यांगों को न्याय देने का काम करेंगे अन्यथा दिव्यांग देश में रोड पर उतर जाएंगे क्योंकि उसके पास पढ़ाई के सिवा कोई साधन नहीं है और पड़ा अपना पढ़ाई पूरा करने के बाद सरकार इस तरह से दिव्यांगों के साथ धोखाधड़ी करेंगे तो वह क्या करेंगे

Check Also

भारतीय सांसद की कार्य का सच्चाई।

🔊 Listen to this सर्वप्रथम न्यूज सौरभ कुमार : भारतीय संसद में तीन साल में मंत्रियों …