कबाड़ बेचकर रेलवे ने दस साल में कमाए 35 हजार करोड़ रुपए: रिपोर्ट

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :भारतीय रेलवे ने 10 साल में कबाड़ बेचकर 35,073 करोड़ रुपए जुटाए हैं। रेलवे ने यह कमाई पुराने कोच, वैगन और रेल की पटरियों काे बेचकर की है। एक आरटीआई के जवाब में रेलवे ने बताया कि यह राशि पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के सालाना बजट से भी ज्यादा है। 2018-19 के लिए सिक्किम का सालाना बजट तकरीबन 7000 करोड़ रुपए है, मिजोरम का बजट 9,000 करोड़ रुपए और मणिपुर का बजट 13,000 करोड़ रुपए है।

2011-12 में बेचा गया 4,409 करोड़ रुपए का स्क्रैप

मध्य प्रदेश के मालवा-निमांड अंचल के वरिष्ठ पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता जिनेंद्र सुराना को सूचना के अधिकार के तहत रेलवे बोर्ड द्वारा दिए गए ब्यौरे में बताया गया है कि बीते 10 सालों में सबसे ज्यादा स्क्रैप 4,409 करोड़ रुपए का वर्ष 2011-12 में बेचा गया, जबकि सबसे कम स्क्रैप से आमदनी वर्ष 2016-17 में 2,718 करोड़ रुपए हुई।

कबाड़ से कमाई में पटरियों की बड़ी हिस्सेदारी

रेलवे बोर्ड की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार, बेचे गए कबाड़ में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रेल पटरियों की है। वर्ष 2009-10 से 2013-14 के बीच 6,885 करोड़ रुपए के स्क्रैप बेचे गए, वहीं वर्ष 2015-16 से 2018-19 की अवधि के बीच 5,053 करोड़ रुपए के स्क्रैप बेचे गए। कुल मिलाकर 10 सालों में रेल पटरियों का स्क्रैप बेचने से 11,938 करोड़ रुपए की आमदनी हुई।

पिछले पांच साल में कम बदली हैं पटरियां

सुराना ने बताया, रेल पटरी के स्क्रैप से एक बात साफ हो जाती है कि वर्ष 2009-10 से 2013-14 के बीच पांच साल की अवधि की तुलना में वर्ष 2014-15 से 2018-19 के बीच रेल पटरी का स्क्रैप कम निकला है। इससे ऐसा लगता है कि अंतिम पांच साल की अवधि में रेल पटरियों में कम बदलाव हुआ है। अगर रेल पटरी का अमान परिवर्तन होता है तो उसी अनुपात में पुरानी पटरी के स्क्रैप निकलते हैं।

Check Also

दिव्यांग अब ‘साथी’ के सहारे बनेंगे इंजीनियर-डॉक्टर।

🔊 Listen to this सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :दिव्यांग अब ‘साथी’ के सहारे बनेंगे इंजीनियर-डॉक्टर, …