सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांगों को बिहार में डॉक्टर और अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है शारीरिक और मानसिक परेशानी बढ़ रही है दिव्यांगों हो रहे परेशान अब क्या करें भगवान हॉस्पिटल में डाक्टरी का कमी का देखकर आसानी से पता किया जा सकता है.बिहार में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भारी कमी है और कई बार इस मामले पर आईएमए और भासा की ओर से सरकार को अलर्ट किया गया है. लेकिन मौजूदा स्थिति यह है कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर की कमी तो है ही, वैसे डॉक्टर जो दूर-दराज और सुविधा रहित जगहों पर तैनात होते हैं, वे भी प्राइवेट हॉस्पिटलों का रूख कर रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य विभाग इन समस्याओं का हल अब तक नहीं निकाल सका है और स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की घोर कमी बनी हुई है. सरकारी नीति दोषपूर्ण इस मामले पर बिहार राज्य स्वास्थ्य सबसे ज्यादा एनेस्थीसिया में कमी रेजिडेट डॉक्टर्स एसोसिएशन, बिहार के अध्यक्ष एवं भासा के प्रवक्ता डॉ विनय कुमार ने बताया कि सबसे ज्यादा स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी एनेस्थीसिया डिपार्टमेंट है. इसलिए ऐसी खबरें भी आती रही है कि बिना एनेस्थेटिस्ट के सर्जरी की गई. कमी इस कदर है जिसे सरकार भी समझना नहीं चाहती है. राजधानी पटना में ही स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है. यदि एक सीएचसी लेवल के हॉस्पिटल में आई सर्जरी की बात हो तो वहां आने वाले को निराशा ही होगी. क्योंकि सब्जेक्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर ही नहीं है. पटना के सिविल सर्जन डॉ. केके राय ने भी माना है कि पटना में एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की कमी है. डॉ. विनय ने बताया कि वर्ष 2016 में करीब 700 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की भर्ती की गई थी, लेकिनवर्तमान में 90 प्रतिशत डॉक्टर काम छोड़ चुके हैं. वेतन, सुरक्षा, बेहतर माहौल, करियर अपग्रेडेशन आदि कई समस्याएं होती है, जिसपर सरकार का रवैया संतोषजनक नहीं है.की नीति ही दोषपूर्ण है. इस समस्या को लेकर सरकार को सूचित किया गया है, लेकिन अभी भी व्यवहारिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं है जिससे स्पेशलिस्ट डॉक्टर राज्य सरकार के मेडिकल संस्थानों में अपनी सेवाएं देते रहे. इसलिए कई बार वे ज्वाइन करने के बाद भी डिसकंटीन्यू कर देते हैं. अभी हाल ही में बीपीएससी की ओर से स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की वैकेंसी निकाली गई थी. लेकिन ज्वाइनिंग के बाद उन्हें सामान्य डॉक्टरों का ही पे स्केल दिया जा रहा था. बड़ी समस्या एमोलुमेंट या कुल मेहनताना नहीं मिलने का भी है. हालांकि करेक्शन अब किया जा रहा है।
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