राष्ट्रीय महिला कोष: ऋण वितरण के तरीके व संगठनों के मॉडल्स

सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज पटना:-

ऋण वितरण परिचय

आईएमओ आमतौर पर महिलाओं ऋणदाताओं अर्थात्‌ समूह मॉडल और व्यक्तिगत समूह को वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लिए दो बुनियादी तरीकों को अपनाती हैं।

आरएमके ऋण केवल महिला समूह सदस्यों के लिए लागू है। एक व्यक्ति भी आरएमके ऋण का लाभ प्राप्त कर सकता है,लेकिन वह समूह अर्थात एसएचजी, जेएलजी, ग्रामीण मॉडल-जेएलजी, महिला मंडलों और केन्द्र/राज्य सरकार या किसी भी राष्ट्रीय/राज्य मिशन एवं योजनाओं द्वारा पदोन्नत समूह में से किसी एक का सदस्य होना चाहिए।

समूह कार्यप्रणाली

यह प्रचालन के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक रूप से पिछड़े और असंगठित क्षेत्रों के लिए सूक्ष्मवित्त सेवाएं प्रदान करने के सबसे सफल तरीकों में से एक है। समूह विधि में मुख्य  रूप से व्यक्तियों का एक समूह शामिल है जो नीचे दिए गए मापदंडों को पूरा करते हैं –

  1. एक ही पड़ोस में रहने वाले व्यक्तिगत सदस्य
  2. 18-60 साल के आयु समूह में महिलाएं
  3. सजातीय पृष्ठभूमि
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में 100 रु. और शहरी क्षेत्रों में 150 रु. से कम कमाने वाले सदस्य
  5. कौशल, प्रौद्योगिकी, बाजार और ऋण तक पहुंचने में असक्षम सदस्य
  6. सदस्य जो समूह में नियमित रूप से बचत के लिए तैयार हैं .
  7. आर्थिक गतिविधियों में लगने या उठाने को तैयार हों।

आईएमओ समानांतर मुक्त ऋण प्रदान करता है, समूह विधियां सामाजिक समानांतर बनाने में मदद करती हैं जो भौतिक समानांतर के बदले में प्रभावी हो सकता है। यह संचालन की लागत को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।

समूह पद्धति के लाभ नीचे वर्णित है –

  1. आरएमके कार्यक्रम पर नियंत्रण रखना आसान है।
  2. एक समय पर सभी समूहों/सदस्यों को प्रशिक्षण उपलब्ध कराते हैं।
  3. सभी सदस्यों द्वारा जिम्मेदारियों उठाई जाती हैं, किसी एक समूह के सदस्यों पर कोई अतिरिक्त बोझ नहीं आता है।
  4. पारदर्शिता- सभी मौद्रिक लेनदेन समूह/आईएमओ लेखा पुस्तकों में उचित ढ़ग से वर्णित होते हैं।
  5. मंच के रूप में समूह मासिक/साप्ताहिक बैठक का आयोजन करते हैं जहां ऋण अनुशासन और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जाती हे।
  6. समूह आपातकालीन आवश्यकताओं/सुद्रढ़ीकरण या उद्यम निर्माण में इसका उपयोग करने के लिए बैंकों/आईएमओ के माध्यम से उनके बीच मासिक/साप्ताहिक बचत का प्रावधान रखते है। यह उन्हें एक ऋण योग्य समूह बनाता है।
  7. समूह ऋण मूल्यांकन में मदद करते हैं और समूह में प्रत्येक व्यक्ति की साख पर विचार प्रदान करते हैं।
  8. समूह साथियों के दबाव के कारण सभी व्यक्तिगत ऋणकर्ताओं से भुगतान सुनिश्चित करते हैं।
  9. समूह कार्यप्रणाली समूह के सभी सदस्यों/ऋणकर्ताओं के बीच व्यय राशि बांटने के द्वारा लागत नियंत्रित में मदद करते हैं।

महिला संगठनों के मॉडल्स

स्व सहायता समूह (एसएचजी)

एसएचजी की परिभाषा

”निर्धन वर्ग की महिलाओं का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण के समान लक्ष्य के साथ स्वैच्छिक सहयोग।” स्वसहायतासमूह कुछ बचतों को सुरक्षित करने के लिए महिलाओं के गैर बैंक/अनियोजित क्षेत्र के लिए लंबे समय तक चलने वाले संगठन होते हैं। आपसी सहयोग के माध्यम से ये संगठन वित्तीय संकट के समय में कामधंधे के उद्‌देश्य की पूर्ति के लिए अपने सदस्यों को छोटे ऋण उपलब्ध कराते हैं। ये संगठन ऋणग्रस्तता के लिए एक सशक्त उपकरण की भूमिका निभा सकते हैं और आगे आने वाले चरणों में आईएमओएस के हितलाभकारी बनने के लिए लोगों को तैयार कर सकते हैं। एसएचजी बैंकों/आईएमओ से ऋण उपलब्ध कराने के प्रावधानों के साथ सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक रूप से पिछड़ी महिलाओं की बचतों का सदुपयोग करते हैं। ऐसा देखने में आया है कि स्व सहायता समूह मॉडल अन्य किसी भी मॉडल की तुलना में कहीं अधिक स्थायी होते हैं, क्योंकि एसएचजी अपने सदस्यों की इसके प्रति विश्वसनीयता पर निर्भर रहते हैं और एसएचजी अपने सदस्यों की बढ़ती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सक्षम होते हैं। आरएमके एसएचजी मॉडल पर काम कर रहे उन सभी आईएमओ को प्राथमिकता देता है। स्व सहायता समूह एक गांव, कस्बे या शहरी पड़ोस में महिलाओं का एक औपचारिक संगठन है, जिसकी विशेषताएं निम्नानुसार हैं –

  1. एसएचजी एक ही या आस-पास के कस्बों से आने वाले सामाजिक व आर्थिक रूप से समरूप लोगों में से सदस्यता धारण की हुई 10 से 20 महिलाओं का एक औपचारिक समूह है।
  2. महिलाओं का ऐसा समूह जो अपनी बचतों और ऋण कोषों द्वारा स्थापित सहायता के ज़रिए अपने जीवन स्तर में सुधार लाना चाहता है।
  3. ये सदस्य स्वयं चुनी गई होती हैं, जिनमें अन्य संभाव्य सदस्याओं के साथ उनके संबंधों के स्तर पर वे अपने समूह को चुनने के लिए स्वतंत्र होती हैं।
  4. निर्णयों की शक्ति एसएचजी सदैव इसके नाम, कार्यालय धारक, समूह बचत की राशि, स्थान, दिनांक व समय के साथ नियमित बैठकों, नियमों व विनियमों, पैनल्टी की डिग्री, आंतरिक ऋण पर ब्याज की दर, बैंक/आईएमओ ऋण के वितरण, किश्तों के विवरण और सदस्यों की शिकायतों के नाम से रहती हैं।
  5. स्व सहायता समूह को कुछ रिकॉर्ड पुस्तकें जैसे उपस्थिति रजिस्टर, आंगतुक रजिस्टर, मासिक/साप्ताहिक बैठकों की प्रक्रियाओं की जानकारी, पूरे किए गए प्रशिक्षणों का विवरण, बचतों की जानकारी, आंतरिक ऋण/बैंक
  6. ऋण/आईएमओ ऋणों की विवरण, समूह की मुहर के साथ कार्यालय धारक के हस्ताक्षर/अंगूठे के निशान के साथ बाहरी/आंतरिक ऋण अनुरोधों पर अर्जित ब्याज की जानकारी आदि।
  7. समूह नियमित रूप से एक पूर्व निर्धारित स्थान पर मासिक/साप्ताहिक आधार पर बैठक आयोजित करते हैं और स्व सहायता समूह के किसी एक सदस्य के नेतृत्व में बचतों और ऋणों के वित्तीय लेन-देनों का निष्पादित किया जाता है।
  8. इसके अलावा समूह आईएमओ/बैंकों से अर्जित कोषों या ऋणों में से एसएचजी सदस्यों (केवल) के लिए प्रस्ताव पारित करने के बाद सदस्यों (केवल) हेतु जरूरत आधार के ऋणों के लिए बचतों को आवंटित करते हैं।
  9. समूह बचत और ऋण संबद्धता के लिए एसएचजी के नाम पर बैंक खाता खोलना अनिवार्य है। इसमें लीड बैंक प्रबंधक, जिला विकास प्रबंधक-नाबार्ड और आईएमओ स्टाफ बैंक खातों को खोलने में सहायता करेंगे।
  10. एसएचजी केवल वित्तीय लेन-देनों के लिए अपने कार्याकलापों को प्रतिबंधित नहीं करते। एसएचजी प्रायः कई सामाजिक गतिविधियों में शामिल रहते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं कि एसएचजी नशाखोरी, महिला हिंसा, दहेज मामलों,गांव की राजनीति में हाथ आजमाने और सरपंच/प्रधान के चुनावों में चुने जाने जैसे कई सामाजिक मुद्‌दों और बुराईयों के विरूद्ध आवाज उठाने के काम करते हैं।
  11. एसएचजी स्वतंत्र निकाय होते हैं। वे वित्तीय लेन-देनों में शामिल रहते हैं, इनकी भूमिका इसके लिए प्रतिबंधित नहीं होती है।
  12. ये स्वयं को निरंतर कलस्टर के रूप में संघबद्ध करने और कलस्टरों को संघ रूप में प्रोत्साहित करने के लिए काम करते हैं।
  13. आरएमके संघों से सीधे तौर पर उनकी चालू योजनाओं के लिए जुड़ने का प्रयास करता है क्योंकि संघ एक पंजीकृत निकाय होता है और वे अपने कोषों को एसएचजी के लिए चैनलाइज करने में सक्षम होता है, साथ ही ये एसएचजी की वित्तीय कुशलताओं में सुधार लाने और इनका प्रबंध करने का काम करता है।

क. आरएमके ऋण योजनाओं के अंतर्गत एसएचजी को कौन प्रोत्साहन देता है?

मध्यस्थ सूक्ष्मवित्त संगठन (आईएमओ) जैसे –

  • गैर सरकार संगठन (एनजीओ)
  • सूक्ष्मवित्त संगठन
  • सरकारी एजेंसियां
  • महिला शहरी/ग्रामीण सहकारी बैंक
  • पंजीकृत महिला मंडल
  • उत्पादक कंपनियां

ख. आईएमओ की भूमिका –

  • निर्धनों की पहचान करना
  • निर्धनों को एसएचजी में नियोजित करना
  • क्षमता निर्माण
  • पुस्तक अनुरक्षण
  • सामाजिक कार्यकलाप
  • ऋण संबद्धता
  • आर्थिक कार्यकलापों पर मार्गदर्शन
  • वापसी के लिए योजना

ग. आईएमओ द्वारा निर्धनों की पहचान कैसे की जाती है?

सरकारी एजेंसियों द्वारा अपनाई गई आय/व्यय प्रणाली के द्वारा। ग्रामीण परिवारों का बीपीएल और एपीएल परिवारों में वर्गीकरण।

गैर आर्थिक मापदंड

  • पक्का घर ना हो
  • साफ पीने का पानी ना हो
  • शौचालय ना हो
  • घर में बेरोजगारी हो
  • दो वक्त का भोजन ना हो
  • रोजाना साहूकारों से उधारी लेनी पड़ती हो
  • परिवार में दो से अधिक बच्चे हों
  • परिवार निर्धन वर्ग का हो
  • परिवार में निरक्षर बुजुर्ग
  • परिवार में स्थायी रूप से बीमार सदस्य
  • परिवार में नशेबाज/शराबी सदस्य

घ. समूह निर्माण के मापदंड –

मैत्री समूह-जिनमें

  • आपसी भरोसा
  • आदर
  • स्नेह

समान प्रकार के समरूप समूह के लोग

  • जाति
  • आय
  • आयु
  • लिंग
  • साक्षरता स्तर
  • पेशा
  • मूल स्थान

ड. लेखों की पुस्तकें –

मिनट पुस्तकें, बचत और ऋण रजिस्टर, नगद पुस्तकें, सदस्यों की पास बुक, बैंक पास बुक आदि।

च. सूक्ष्मवित्त उदाहरण –

तीन मुख्य  खिलाड़ी

  • आरएमके – ऋण और संसाधन प्रदाता के थोक व्यापारी।
  • एनजीओ – निर्धनों को नियोजित करने वाले एजेंसियां, उनका क्षमता निर्माण और उन्हें सशक्त करने की प्रक्रिया।
  • एसएचजी – बैंकिंग सेवाओं को दरवाजे पर उपलब्ध कराने के लिए गरीबों द्वारा सामूहिक रूप से निर्णय लेने हेतु समाधान प्रदाता।

छ. एसएचजी – आरएमके मॉडल –

आरएमके वित्त एसएचजी आईएमओ (एनजीओ/एमएफआई) के माध्यम से । इस मॉडल में आरएमके एसएचजी के लिए भारी में मात्रा में आईएमओ को ऋण देता है। इसमें आईएमओ का दायित्व घटते शेष पर 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से न्यूनतम ब्याज के साथ ऋण राशि पुनर्भुतान करने का होता है।

ज. एसएचजी बैंक संबद्धता-बचत संबद्धता

  • बचत सर्वप्रथम – ऋण के बाद सभी सदस्यों द्वारा पालन किए जाने वाला लक्ष्य
  • ”आय-बचत = व्यय” की अवधारणा का पालन
  • अपनी पसंद के नजदीकी बैंक शाखा में एसएचजी अपना बैंक खाता खुलवाए
  • बैंक को इसके लिए समूह का प्रस्ताव और अधिकृत अनुमति हासिल करनी होगी जिससे कि बचत खाता खुल सके और उसका संचालन शुरू किया जा सके।
  • एसएचजी अपनी पूरी बचत राशि बैंक में जमा कराएगा और इसे आंतरिक ऋण के समय ही वापस निकलवाया जा सकेगा।
  • छह माह की अवधि के बाद समूह ऋण के लिए आवेदन करने के योग्य हो सकेंगे।
  • छह माह की अवधि का आकलन बैंक में बचत खाते के खुलने से नहीं बल्कि समूह के बनने की तिथि से होगा।

झ. एसएचजी-आईएमआ संबद्धता

एसएचजी का मूल्यांकन/ग्रेडिंग निम्न बिंदुओं पर निर्भर रहती है –

  • निर्माण
  • एसएचजी की आयु
  • बैठकें
  • उपस्थिति का प्रतिशत
  • मिनट पुस्तकें
  • सहभागिता
  • बचत
  • बचत और ऋण वसूली
  • कार्यप्रणाली और निर्णय
  • आंतरिक ऋण
  • आंतरिक ऋण पर ब्याज
  • बचत पर टर्नओवर
  • आंतरिक ऋणों की वसूली
  • लेखों की पुस्तकें
  • समूह उपनियम

ञ. एसएचजी का उन्नति मार्ग –

चरण समय (माह)

 

केंद्र

 

गठन से पूर्व <1 पहचान और निर्धनों का नियोजन

 

गठन पर 1-6 समूह के नियम, बैठकें, बचतें, छोटे ऋण, समूह संबंध, नेतृत्व

विकास और मौलिक प्रशिक्षण

स्थायित्व 6-15 बैंकों के साथ संबद्धता, अन्यों पर

कम भरोसा

 

उन्नति व विस्तार >15 एसएचजी के नए समूह संघों का समर्थन

 

महिला स्व सहायता समूहों गठन हेतु चरणबद्ध मार्गदर्शन

महिला स्व सहायता समूहों (डब्ल्यू-एसएचजी) के गठन के लिए चरणबद्ध मार्गदर्शन

चरण-1 आईएमओ संचालन टीम द्वारा आंकड़ों का संग्रहण

  • लक्षित गांवों में बीपीएल और एपीएल एसएचजी, महिला जनसंख्या  की उपस्थिति से संबंधित आंकड़ों को एकत्र करने के लिए जिला विभागों, आईसीडीएसद्व पंचायत समिति, डीडीएम-नाबार्ड और अग्रणी बैंक प्रबंधक कार्यालयों के सांखियकी/जनगणना विभागों का दौरा।
  • आंकड़ों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन और उन गांवों का चयन करना जहां उनकी महिला जनसंख्या  की तुलना में एसएचजी का गणना कम है।
  • चुने गए गांवों का दौरा करना और ग्राम/महिला सभाओं में भाग लेना।
  • सभाओं के सदस्यों को संस्था के उद्‌देश्यों और एसएचजी कार्यक्रम का परिचय देना और पंचायतों को सम्मानित करना।
  • नीतिओं को अंतिम रूप से देने से पूर्व एसएचजी के पूर्व सदस्यों के साथ विचार-विमर्श बैठक करना अनिवार्य है। पहले गठित एसएचजी सदस्य भी नए एसएचजी गठन में सहायता कर सकते हैं।
  • उन्ही में से फील्ड स्टाफ की नियुक्ति और समुदाय में से अच्छे संभावित फील्ड स्टाफ की पहचान करने के लिएगांव के सरपंच के व्यक्तिगत संपर्क में रहना।
  • पहले से ही काम कर रहे एसएचजी सदस्यों भी स्टाफ सदस्य हो सकते हैं।
  • फील्ड स्टाफ के चयन के बाद सहभागिता ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) का संचालन करना और गांव में वित्त के वर्तमान मॉडलों और माध्यमों के साथ महिलाओं की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के उद्‌देश्य से उसमें सभी जातियों, उपजातियों, लिंग, पेशों, सेवारत पुरुषों/महिलाओं को पीआरए कार्यकलापों में भाग लेने देने की अनुमति देना।

 

चरण-2 स्टाफ को प्रशिक्षण

  • अनुपालन नीति के साथ एसएचजी के गठन पर फील्ड स्टाफ को परिणामोन्मुख प्रशिक्षण उपलब्ध कराना।
  • फील्ड स्टाफ को आईएमओ और बैंकों के साथ लेखा प्रणाली, वित्त प्रबंधन, बैंक लेखे, ऋण संबद्धता से परिचय कराना।
  • प्रशिक्षण प्रक्रिया में बैंक अधिकारियों की सहभागिता को गंभीरता से लेना।
  • केआरए (लक्ष्य बनाम उपलब्धि प्रारूप) के प्रपत्र में प्रत्येक फील्ड स्टाफ के लिए लक्ष्य निर्धारित करना और पूरे उत्साह के साथ उन्हें फील्ड में भेजना।

 

चरण-3 महिलाओं के साथ गांव स्तर की बैठक

  • दिनांक, स्थान और समय अनुसार सभी महिलाओं को पूर्व निमंत्रण भेजना।
  • पंचायत/सामुदायिक भवन/धार्मिक स्थल/गांव के प्रतिनिधियों/फील्ड स्टाफ आदि के घर गांव/कस्बे स्तर की बैठक संचालित करना।
  • सरकार की योजनाओं और अन्य वित्तीय/सामाजिक दायित्वों से विशेषकर अभिसरण के प्रोज और कोन्स के साथ एसएचजी की अवधारणा का परिचय कराना।
  • महिलाओं को और प्रश्न पूछने की अनुमति देना और उन्हें संतोषजनक उत्तर देना और साथ ही उन्हें किसी प्रकार की वचनबद्धता ना देना।
  • सफलतापूर्वक एसएचजी सदस्य भी भाग ले सकते हैं।

प्रारंभिक बैठकों के दौरान, निम्नलिखित बातें हो सकती हैं –

  • कुछ सदस्य छोड़ें
  • कुछ नए सदस्य आएं
  • सदस्य धीरे-धीरे बैठकों के लिए विषयों पर फैसला करना सीखते हैं

 

चरण-4 पुराने फील्ड स्टाफ के साथ फील्ड स्टाफ द्वारा महिला एसएचजी का गठन

  • सभी महिलाओं को उनके व्यावसाय, सेवा, आयु, धर्म, जाति और स्थान के अनुसार वर्गीकृत करना और प्रत्येक वर्ग में न्यूनतम 15 का समूह बनाएं। महिलाएं किसी भी प्रकार के वर्ग को चुन सकती हैं। समरूप (समान आय वर्ग) के समूहों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। फील्ड स्टाफ किसी वर्ग समूह को चुनने के लिए किसी महिला पर बल प्रभाव नहीं लगा सकता।
  • एसएचजी नाम का चयन -समूह अपने एसएचजी नाम चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। क्षेत्र कर्मचारी को ही केवल एसएचजी नाम के चयन की सुविधा है। कभी-कभी यह पाया गया है कि एसएचजी खाते का नाम पहले से ही बैंक में मौजूद है और यह एक ही नाम पर खाता खोलने में बैंकरों के लिए समस्या बना है। एसएचजी नाम स्थानीय भगवान, देवी पर या किसी भी प्रसिद्ध व्यक्तित्व, वैज्ञानिक, खिलाड़ियों आदि पर हो सकता है।उदाहरण के लिए, इंदिरा गांधी एसएचजी, कल्पना चावला एसएचजी आदि।
  • पदाधिकारियों का चयन अध्यक्ष/एनिमेटर, सचिव/उपाध्यक्ष/प्रतिनिधि-1 और खंजाची/प्रतिनिधि-2 नाम से होता है। क्षेत्र कर्मचारी सभी पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारी की व्याखया करेगा क्योंकि सभी महिलाओं के बीच में सही महिला की पहचान करने के लिए समूहों को आसान हो जाएगी। क्षेत्र कर्मचारियों को सभी पदाधिकारियों के चयन की सुविधा प्राप्त होगी कयोंकि कभी-कभी महिलाएं सभी पदों के लिए सही महिलाओं का चयन करने की स्थिति में नहीं होती हैं। यह अनिवार्य है कि एसएचजी का अध्यक्ष साक्षर हो और यदि नहीं है, तब आईएमओ सभी पदाधिकारियों को बुनियादी साक्षरता प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होंगे। क्षेत्र कर्मचारी पदाधिकारियों के चयन में समूहों के लिए मजबूर नहीं होगा। पदाधिकारी स्वयं सहायता समूह द्वारा सहमति पर निश्चित समय अंतराल पर जितना संभव हो उतना बदलते रहने चाहिए।
  • पारित प्रस्ताव – पदाधिकारियों के चयन के बाद, एसएचजी संकल्प पारित करना अनिवार्य है। इस प्रस्ताव में नीचे वर्णित बिंदु होना अनिवार्य हैं –

1. एसएचजी के नाम

2. पदाधिकारियों के नाम

3. बचत राशि – बचत राशि एसएचजी के सदस्यों के बीच समूह चर्चा के बाद एसएचजी सदस्यों द्वारा निर्णय लिया जाएगा। यह प्रतिमाह 50 रुपए से 200 रुपए के बीच में या परस्पर एसएचजी सदस्यों द्वारा निर्णय लिया गया हो सकता है।

4. समूह की बैठक -प्रस्ताव में बैठक का दिन और जगह का उल्लेख किया जाएगा। यह साप्ताहिक/मासिक आधार पर हो सकती है।

5. बैंक का नाम – एसएचजी बचत बैंक खाते खुलने के उद्‌देश्य के लिए प्रस्ताव में आरआरबी/राष्ट्रीय बैंकों के वर्णित हैं जहां एसएचजी के सदस्य अपनी साप्ताहिक/मासिक बचत का जमा कर सकते हैं। क्षेत्र कर्मचारी बैंक नाम के चयन में एसएचजी को सुविधा देगा। मुख्य  बैंक प्रबंधक के पास एसएचजी बचत खाते के लिए सभी बैंक सुविधाओं की सूची है।

6. हस्ताक्षर – एसएचजी मुहर/रबड़ स्टाम्प के साथ एसएचजी के पदाधिकारियों की तारीख सहित हस्ताक्षर प्रस्ताव में है।

7. एसएचजी नियमों और विनियमों और उनके हस्ताक्षर सहित सभी सदस्य के नामों की एक शीट जुड़ी हो।

क्षेत्र कर्मचारी/एसएचजी के अध्यक्ष को सभी एसएचजी सदस्यों के सामने संकल्प पढ़ना होगा। गवाह के रूप में, अन्य एसएचजी सदस्य प्रस्ताव में अपने नाम डाल सकते हैं।

दूसरे समूह बैठक के लिए कॉल – पहचान का प्रमाण, निवास प्रमाण और नवीनतम पासपोर्ट आकार के फोटो की दो प्रतियां साथ प्रस्ताव पारित होने के बाद 2 दिनों के भीतर दूसरी समूह की बैठक में भाग लेने के लिए उसी दिन पर निमंत्रण देता हूं। पदाधिकारियों को सभी तीन दस्तावेजों की 3 प्रतियों के साथ आना होगा।(आईएमओ को सलाह दी जाती है कि कार्यक्रम के समय पर अपने क्षेत्र कर्मचारियों को कैमरा प्रदानकरें क्योंकि वे बिना असफलता के सदस्यों तस्वीर पर क्लिक करें और समूह केवाईसी भरें)।

चरण-5 आईएमओ द्वारा एसएचजी के लिए प्रशिक्षण

  • समूह प्रबंधन पर – सभी एसएचजी सदस्यों के लिए समूह प्रबंधन प्रशिक्षण समूह गठन के 1 महीने के भीतर आयोजित किया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण मापदंड नीचे दिए गए हैं –

1. समूह समन्वय पर

2. नेतृत्व पर

3. समूह की बैठक में

4. मिनट पुस्तक को बनाए रखने पर

5. प्रत्येक सदस्य की भूमिका और जिम्मेदारियाँ

6. पदाधिकारियों की भूमिका और जिम्मेदारियाँ

7. एसएचजी की प्रस्ताव प्रति में वर्णन अनुसार एसएचजी नियम व विनियमों के पालन करने पर।

  • खाता प्रबंधन पर – खाता प्रबंधन प्रशिक्षण केवल पदाधिकारियों के लिए है, स्वेच्छा से कोई भी एसएचजी से इस प्रशिक्षण में शामिल हो सकता है। प्रशिक्षण समूह गठन के 2 महीने के भीतर आयोजित किया जाना चाहिए।

महत्वपूर्ण मापदंड नीचे दिए गए हैं –

1. किताब रखने पर

2. बैंक लेनदेन पर

3. आंतरिक ऋण की प्रक्रिया पर

  • वित्तीय प्रबंधन पर – यह नियमित बचत और वित्तीय अनुशासन की आदत विकसित करने के लिए सभी एसएचजी सदस्यों के लिए है। प्रशिक्षण समूह गठन से 3 महीने के अंदर आयोजित किया जाना चाहिए।

महत्वपूर्ण मापदंड नीचे दिए गए हैं –

1. अनिवार्य समूह बचत पर

2. आंतरिक ऋण और बाह्य ऋण पर (आरएमके ऋण)

3. ऋण के पुनर्भुगतान पर

4. स्वैच्छिक बचत पर

5. सदस्यों के बीच वित्तीय अनुशासन पर

6. वित्तीय लेनदेन पर सदस्यों की जिम्मेदारियों पर द्विभाजन

  • उद्यम निर्माण पर प्रशिक्षण – अधिकांश मामलों में एसएचजी सदस्य उचित चैनल/प्रबंधन सहित आवश्यकता आधारित गतिविधियों का चयन करने की स्थिति में नहीं होते हैं। प्रशिक्षण के माध्यम से वे पास के स्थानों पर कुछ अन्य अवसरों के बारे में जान सकते हैं और अपनी व्यापार योजना व विचार जमा करने में सक्षम होंगे। प्रशिक्षण उद्यम ऋण से पहले आयोजित किया जाना चाहिए। महत्वपूर्ण मापदंड नीचे दिए गए हैं –

1. अवसरों की पहचान पर

2. उद्यम सृजन पर

3. कोश प्रबंधन पर

4. व्यापार विश्लेषण पर

5. बाजार में

6. ऋण प्रबंधन पर

  • ऋण संवितरण के बाद प्रशिक्षण
  • ऋण देने के समय आयोजित किया जाने वाला एक लघु प्रशिक्षण निम्न अनुसार है –

1. ऋण राशि के उपयोग पर

2. ब्याज दर पर

3. पुनर्भुगतान अनुसूची पर

4. पुनर्भुगतान पर प्रक्रिया (पुनर्भुगतान संग्रह बिंदुओं पर या एसएचजी की बैठक के समय पर एकत्र किया जाना चाहिए, कोई क्षेत्र कर्मचारी व्यक्तिगत रूप से ऋणकर्ताओं से किस्त एकत्रित नहीं करेगा।)

5. उद्यम स्थापना पर

चरण-6 का पालन करें

निधि के उपयोग पर – उपयोग प्रमाण पत्र प्रत्येक ऋणकर्ता से उनके हस्ताक्षर सहित आईएमओ के मध्य स्तर के कर्मचारियों द्वारा एकत्र किया जाना चाहिए। निरंतर निगरानी के समय यदि यह पाया गया कि किसी सदस्य द्वारा आरएमके वित्तपोषित ऋण का दुरुपयोग हो रहा है तब आरएमके को तुरंत आईएमओ से कोश के दुरूपयोग के बारे में पूछने का अधिकार है।

ग्राम/पुरवा वार ग्राहक संतुष्टि बैठक (सीएसएम) सभी ऋणकर्ताओं के साथ त्रैमासिक आधार पर आयोजित किया जाएगा। सीएसएम में आईएमओ के वरिष्ठ कर्मचारियों और क्षेत्र कर्मचारियों के साथ नीति निर्माताओं द्वारा भाग लिया जाएगा।

(सभी आईएमओ को चार्ट, खेल, कैटलॉग, कहानियों आदि का उपयोग करके पूर्व आधार पर प्रशिक्षण आयोजित करने की सलाह दी जाती है। एसएचजी सदस्यों के साथ आईएमओ के बीच विश्वास निर्माण करने का ये एक ही रास्ता है)।

संयुक्त देयता समूह(जेएलजी) मॉडल

गांवों, बड़े शहरों के साथ-साथ प्रचालन के शहरी क्षेत्रों में महिलाओं के आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए लघु वित्त सेवाएं प्रदान करने के लिए यह एक सफल मॉडल है। जेएलजी मॉडल आईएमओ के लिए भारत में सबसे अधिक स्वीकृत है जो मलिन बस्तियों, शहरी क्षेत्र और बड़े कस्बों में अधिकतम ऋण लेते हैं। विशिष्टता और मुख्य  विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  • सभी सदस्य पुनर्भुगतान के लिए संयुक्त रूप से जिम्मेदार हैं। यदि कोई सदस्य चूक गया है, समूह के सदस्य आईएमओ/बैंक इत्यादि के पुनर्भुगजान के लिए राशि में अपना योगदान करेंगे, यदि समूह सदस्य ऐसा करने में असमर्थ हैं, जेएलजी पूर्ण के रूप में योगदान करता है और उत्तरदायित्व को साझा करता है।
  • आईएमओ में विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों और बड़े शहर में जेएलजी के पांच सदस्य हैं।
  • सभी सदस्यों से विचार-विमर्श के बाद एक समूह नेता का चयन किया गया है।
  • प्रशिक्षण सभी वित्तीय लेन-देन के सुचारू संचालन के लिए अनिवार्य है।
  • पैटी दुकान इत्यादि जैसे लघु उद्यम रखने वाले औसतन ऋण लेने वाले सदस्यों के लिए अल्प अवधि (15-20 मिनट) के लिए गैर आवधिक बैठकें हैं।
  • जेएलजी कहीं समूह और व्यक्तिगत ऋण देने के तरीकों के बीच हैं। ऐसे जेएलजी कुछ आराम प्रदान करने के लिए छोटे जेएलजी व्यक्तिगत सदस्यों के लिए है। जबकि अभी भी आराम के कुछ प्रकार प्रदान करते हैं

पुनर्भुगतान आम तौर पर प्रत्येक व्यक्ति द्वारा करने के बजाय समूह के नेता से एक बिंदु से किया जा सकता है।

संयुक्त देयता समूह- ग्रामीण मॉडल

ग्रामीण मॉडल बांग्लादेश में ग्रामीण बैंक के संस्थापक, नोबेल पुरस्कार विजेता, प्रो. मोहम्मद यूनुस की एक अवधारणा है।

इसकी विशिष्ट और मुख्य  विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  • यह संयुक्त देयता की अवधारणा पर आधारित है। इसका अभिप्राय है कि सभी सदस्य संयुक्त रूप से भुगतान के लिए जिम्मेदार हैं और समूह का एक नेता है। यदि कोई सदस्य इससे चूक जाता है, तो समूह सदस्य आईएमओ को पुनर्भुगतान के लिए राशि में योगदान देंगे। यदि समूह सदस्य ऐसा करने में असमर्थ हैं तो पूर्ण के रूप में केंद्र योगदान और जिम्मेदारी साझा करता है।
  • पांच सदस्यों का समूहों गठित है और एक केंद्र से ऐसे आठ समूह हैं। कम से कम पांच सजातीय समूहों एक केंद्र में गठित हैं।
  • एक केंद्र में अधिकतम सदस्यों की संख्या  40 है।
  • सभी समूहों के सदस्य को प्रत्येक दिन एक से दो घंटे का एक सात दिन का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से लेना है।
  • केंद्र आईएमओ के लिए एक परिचालन इकाई है, जिसका अभिप्राय पूर्ण के रूप में केंद्र के साथ आईएमओ समझौते करना है। यह आसान निगरानी में मदद करता है और आईएमओ परिचालन लागत को कम करता है।
  • साप्ताहिक आधार पर बैठकें बहुत ही कम समय अवधि (15-20 मिनट) के लिए होती हैं और बचत आईएमओ द्वारा एकत्रित की जाती हैं और केंद्र द्वारा नहीं।
  • केन्द्र के कुछ रिकॉर्ड हो सकते हैं लेकिन उनके खाते की पुस्तकें नहीं हो बनाई जाती हैं। आंकड़ें आईएमओ द्वारा रखे जाते हैं।
  • समूह के बीच व्यक्तिगत समूहों को किसी प्रकार के लेन-देने के लिए मिलने की अनुमति नहीं है। बैठक आईएमओ के क्षेत्र कर्मचारी के सामने केंद्र स्तर पर होती है।
  • एक ग्रामीण मॉडल वित्तीय लेनदेन पर ध्यान केंद्रित करता है और आम तौर पर अन्य सामाजिक मुद्दों पर चर्चा नहीं करता है।
  • केन्द्रों के लिए प्रतिबंधित है और किसी भी अन्य संरचना का निर्माण नहीं होता।
  • ऋण संवितरण बैंक कोष से है और व्यक्तिगत सदस्य की बचत के साथ जुड़ा हुआ नहीं है। ऋण समूह के लिए नहीं बल्कि व्यक्ति समूह सदस्य और केन्द्र को दिया जाता है।
  • बनाने के लिए बैठकों के दौरान ऋण संवितरण हमेशा केंद्र में किए जाते हैं और साथियों का दबाब बना रहता है।आवास ऋण प्रलेखन बनाए रखने के लिए बैंक की शाखाओं में वितरित किए गए हैं।
  • सदस्यों के लिए साप्ताहिक बचत और उसे बैंक में जमा करना अनिवार्य है। इस जमा के साथ बैंक उन्हें व्यय आवश्यकताओं के लिए ऋण देते हैं।
  • सभी उत्पादक ऋण पर कर का प्रावधान अपने स्वयं के कोष को बढ़ाने के लिए एक सदस्य के लिए व्यय किया गया है।
  • समूह के साथ बना कोष और इस कोष के सदस्यों द्वारा व्यय उद्‌देश्य के लिए ऋण लिया जा सकता है। कर लेने के पीछे उद्‌देश्य सदस्यों की व्यय आवश्यकताओं को पूरा करना है और ऋण राशि को केवल आय अर्जन गतिविधि के लिए प्रयोग किया जा सकता है।
  • केंद्र आय अर्जन गतिविधियों के लिए बचत से अपने स्वयं के कोष फंड पर ऋण नहीं लेते हैं। केवल आईएमओ ऋण का एकमात्र स्रोत हैं।
  • सम ब्याज मानकीकृत प्रणाली बनाने के लिए लिया जाता है। सम दर पद्धति में पुनर्भुगतान की किस्त सभी कमजोरों के लिए समान ही रहती है और जिससे व्याखया करने में सुविधाजनक और आसान है। इसके अलावा, यह मूलधन और ब्याज में ऋण की किस्त तोड़ने के लिए आसान है।

इस मॉडल के महत्वपूर्ण तत्वों में से कुछ इस प्रकार हैं –

  • कम लेन-देन लागत – सहकर्मी मूल्यांकन
  • कोई जमानत नहीं – सहकर्मी दबाव
  • सभी प्रकार के ऋण – उत्पादक और व्यय
  • पुनर्भुगतान लघु हैं और नियमित व कम अंतराल पर है
  • त्वरित ऋण स्वीकृति – न्यूनतम औपचारिकताएँ और कागजी काम

एसएचजी और ग्रामीण मॉडल दो अलग अलग दृष्टिकोण के साथ शुरू हुए हैं। एसएचजी मॉडल समाज के सशक्तिकरण के समग्र दृष्टिकोण के साथ विकसित किया गया है जहां केवल वित्तीय लेनदेन का ही इसका हिस्सा है जबकि ग्रामीण मॉडल विशेष रूप से कम आय वाले ग्राहकों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करने पर ध्यान करता है

स्रोत: राष्ट्रीय महिला कोष, महिला व बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार

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