सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : भारत के प्रत्येक दिव्यांग को नई दिव्यांग अधिनियम 2016 मैं स्पष्ट रूप से 4% आरक्षण दिया गया है लेकिन बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि किसी भी दिव्यांग को 4% आरक्षण का लाभ सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है विगत 2 वर्षों में जितने भी प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित हुए हैं उसमें कुल सीट का 4% आप निकालिएगा तो संख्या कुछ और निकलेगी एवं संख्या के आधार पर महज 2% प्रतिशत दिव्यांगों को लिया जा रहा है जो संवैधानिक तौर से गलत है यह वह दिव्यांग समाज है जिससे आरक्षण शब्द का शुरुआत हुआ और आज वह समाज अपने आरक्षण शब्द से अलग हो रहा है एवं खुलेआम सरकारी पदाधिकारी उनके आरक्षण का दुरुपयोग कर रहे हैं उनकी स्थिति इतनी भयावह है कि वह दूसरी की श्रेणी में सम्मिलित भी नहीं हो सकते क्योंकि उनको दूसरी श्रेणी में अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा और नौकरी नहीं दिया जाएगा और उनकी अपनी श्रेणी में उनके साथ बहुत बड़ा पक्षपात हो रहा है प्रमुखता चार प्रकार के दिव्यांग को दिव्यांग श्रेणी में सम्मिलित कर लिया गया है ओर प्रकार 21 प्रकार दिव्यांग श्रेणी बना दिए गए हैं जिसमें किसी भी दिव्यांग श्रेणी में कोई सम्मिलित नहीं हो सकता लेकिन एक शारीरिक दिव्यांग श्रेणी ही एक ऐसा श्रेणी है जिसमें 18 प्रकार के दिव्यांग सम्मिलित है और उसका आरक्षण प्रतिशत महज 1% है एक आंकड़े के अनुसार हम बताते हैं कि किस प्रकार की अनियमितता इन्हें दिव्यांग के साथ हुआ है भारत में विश्व में सबसे रोड एक्सीडेंट होता है उसमें भी जो दिव्यांग होते हैं वह इसी श्रेणी में सम्मिलित होते हैं और दिव्यांग दूसरे श्रेणी में सम्मिलित नहीं हो सकते वैसी स्थिति में इनकी जो मानसिक स्थिति है वह काफी खराब हो जाती है क्योंकि 1% आरक्षण से इनका कभी भी भला नहीं होने वाला पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो जब दिव्यांग की 9 श्रेणी थी तब दिव्यांग आरक्षण प्रतिशत 3% था और जब दिव्यांगों की श्रेणी 21 प्रकार की हो गई तो इन दिव्यांगों का आरक्षण प्रतिशत महज 4% ऐसा कैसे हुआ तो निश्चित रूप से यहां पर दिव्यांगों के साथ अनियमितता होगा ही इसलिए सभी दिव्यांग समाज के तरफ से या अनुरोध किया जाता है कि या तो हमें आरक्षण देना है तो 4% दिया जाए नहीं तो आरक्षण समाप्त ही कर दिया जाए। सरकार दिव्यांग को आंकड़े के अनुसार यह समझाने का कोशिश करती है कि महज 2% ही दिव्यांग पढ़े लिखे हैं और सरकारी नौकरी में 4% आरक्षण दिव्यांगों को प्राप्त होता है प्रत्येक साल तो दिव्यांग बेरोजगार कैसे रह जाते हैं इसके अलावा भी भारत सरकार के द्वारा स्पेशल नौकरी प्रदान करने के लिए दिव्यांगों के लिए कई एजेंसियां है जिसको करोड़ों रुपए आते हैं लेकिन आज तक दिव्यांगों को इसका लाभ नहीं मिल पाया इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि दिव्यांगों के आरक्षण के साथ बहुत बड़ा मजाक किया जा रहा है इसलिए या आरक्षण दिव्यांगों के लिए गले की घंटी बन गई है जिससे उनका पतन हो रहा है इसलिए या तो इसका सही-सही लाभ दिया जाए या इसे समाप्त कर दिया जाए। और सबसे बडी बात यह है कि यह उस समय दिव्यांग समाज के साथ घटित हो रहा है जिस समय नई दिव्यांग अधिनियम 2016 लागू है और उसका सबसे बड़ा विशेषता यह है क्यों नौकरी पेशा के लिए विशेष प्रकार का कानून लागू किया है और 2016 का सबसे बड़ा विशेषता यह है की नौकरी पेशा लोगों के साथ किसी प्रकार का अनियमितता नहीं हो सकता दूसरी बात यह है कि पहली बार 3 साल का सजा और 600000 का जुर्माना का दंड का प्रावधान है फिर भी खुलेआम सरकारी अधिकारी और सरकारी तंत्र इस आरक्षण को नजरअंदाज कर रहे हैं तो दिव्यांग समाज कहां जाए यह सोचने की बात जिस तंत्र को इसकी सजा और जुर्माना से भी डर नहीं लगता उसे किस बात का डर लगेगा और कितनी गंभीर स्थिति में है हमारा दिव्यांग समाज यह सोचने की बात है भारत सरकार इस पर ठोस विचार कीजिए ताकि दिव्यांग समाज को न्याय मिल सके।
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