कोर्ट में रजिस्टर कराना होगा किरायानामा, सरकार ने तैयार किया मॉडल ड्रॉफ्ट
August 21, 2019
सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :अब घर या दुकान किराये पर लेने से पहले किरायानामा को कोर्ट में रजिस्टर कराना होगा। कोर्ट में किरायेनामे को रजिस्टर कराने के बाद ही व्यक्ति उस घर या फिर दुकान का प्रयोग कर सकेगा। केंद्र सरकार ने मकान मालिकों के हितों की रक्षा करने के लिए एक मॉडल ड्रॉफ्ट तैयार किया है। फिलहाल नोटरी के यहां से तैयार किरायानामा को ही मान्य किया गया है।
नए कानून से मकान मालिकों को लाभ
अभी जो कानून है, उसके मुताबकि इसका सबसे ज्यादा फायदा किरायेदारों को मिलता है। इस कारण कई लोग अपने घर को किराए पर देने से हिचकते हैं। एक अनुमान के अनुसार, देश में लाखों घर खाली हैं। अब तक ज्यादातर घरों को बिना किसी लीज एग्रीमेंट के किराये पर लिया जाता है और जहां एग्रीमेंट होता है, वह रजिस्टर्ड नहीं होता है। इसलिए अब जब सभी रेंट डीड को नए नियम के तहत रजिस्टर्ड कराया जाएगा तो पारदर्शिता आएगी। मकान मालिकों को किराएदारी के नए नियम के माध्यम से कानूनी सुरक्षा मिल जाएगी।
रेरा में कराना होगा रजिस्टर
आवास और शहरी मामले मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने सोमवार को कहा- अब तक अधिकांश किराएदारी कानून किराएदार के पक्ष में हैं, मालिक के पक्ष में नहीं। सरकार रेरा के जिन प्रावधानों में संशोधन करने की दिशा में काम कर रही है, उनसे सभी हित-धारकों को लाभ होगा। रेरा एक्ट में कई बदलाव लाने की आवश्यकता है। जल्द ही कानून में संबंधित जरूरी संशोधन करेंगे।
तीन महीने पहले देना होगा नोटिस
प्रस्ताव के अनुसार मकान मालिक को किराया बढ़ाने से तीन माह पहले लिखित में नोटिस देना होगा। वहीं मकान या परिसर खाली करने की नोटिस अवधि बीतने के बाद भी उसमें किराएदार के रुके रहने पर उसे दो बार दोगुना किराया देना होगा और इससे ज्यादा समय तक रहने पर चार गुना ज्यादा किराया देना होगा। देश में किराया कानून को नए सिरे से लागू करने के लिए सरकार ने इसे तैयार किया है।
मॉडल किरायेदारी कानून में मकान अथवा दुकान किराये पर लगाने वाले मकान मालिक किरायेदार से एडवांस के नाम पर दो महीने के किराए की रकम से ज्यादा की मांग नहीं कर पाएंगे। मकान मालिकों की चिंता दूर करने के लिए सरकार यह कानून ला रही है।
मॉडल कानून में ये प्रस्ताव
मकान मालिक को घर के मुआयने, रिपेयर से जुड़े काम या किसी दूसरे मकसद से आने के लिए 24 घंटों का लिखित नोटिस पहले देना होगा।
रेंट एग्रीमेंट की समय सीमा से पहले किरायेदार को तब तक नहीं निकाला जा सकेगा, जब तक उसने लगातार दो महीनों तक किराया न दिया हो या प्रॉपर्टी गलत इस्तेमाल कर रहा हो।
बिल्डिंग के ढांचे की देखभाल के लिए किरायेदार और मकान मालिक दोनों ही जिम्मेदार होंगे।
मकान में कुछ सुधार कराने या रेनोवेशन का काम खत्म होने के एक महीने बाद किराएदार की सहमित से किराया बढ़ा सकेगा मालिक।
राज्य सरकारें अपनी इच्छा से यह कानून अपने यहां लागू कर सकेंगी।
बनेगी रेरा जैसी अथॉरिटी
ड्राफ्ट कानून में रेरा जैसी अथॉरिटी बनाने की भी सिफारिश की गई है। यह किराया अथॉरिटी विवादों का निपटारा करेगी। किरायेदार और मकान मालिक दोनों को किरायानामा (रेंट एग्रीमेंट) बनने के बाद इसको अथॉरिटी में जमा करना होगा। एग्रीमेंट में मासिक किराया, अवधि, मकान में आंशिक रिपेयर, बिलों का भुगतान (बिजली, गैस, मेंटिनेंस आदि) जैसे का जिक्र होगा। विवाद होने पर कोई भी पक्ष अथॉरिटी के पास जा सकता है। किराएदार अगर लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता है तो मकान मालिक रेंट अथॉरिटी की शरण ले सकता है।