सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :केंद्र सरकार जल्द ही निजी कर्मचारियों को राहत देने की तैयारी में है। दरअसल सरकार ग्रैच्युटी पाने के नियमों में बदलाव कर सकती है। इस बदलाव के तहत अगर कर्मचारी ने किसी भी कंपनी में एक साल तक काम किया तो वह ग्रैच्युटी पाने का हकदार होगा। अभी ग्रैच्युटी पाने का अधिकार उसी कर्मचारी को मिलता है, जिसने लगातार पांच साल किसी कंपनी में नौकरी की हो और उसके बाद वह नौकरी छोड़ता हो।
शीतकालीन सत्र में पेश होगा बिल
सूत्रों के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार सोशल सिक्यॉरिटी कोड से जुड़ा बिल पेश करने जा रही है। बिल पेश होने से पहले इसमें कई बदलाव किए जा सकते हैं। एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि हमने सोशल सिक्यॉरिटी कोड बिल को लेकर इस मामले से संबंधित कई लोगों और संगठनों से बातचीत की है। उनकी सलाह और मांगों की तरफ ध्यान दिया जा रहा है।
एक साल होनी चाहिए ग्रैच्युटी की हकदारी
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय की मानें तो सरकार के सोशल सिक्यॉरिटी कोड में कई बातें मजदूर के विरोध में जा रही हैं। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा है कि ग्रैच्युटी के लिए पात्रता को पांच साल से कम करके एक साल करे। आपको बता दें कि 80 फीसदी कर्मचारी ठेके पर काम करते हैं। वहीं उन्होंने यह भी कहा है कि सरकार की ईपीएस में 1.16 फीसदी हिस्सेदारी बरकरार रखे। संगठन सरकार से पुरजोर तरीके से मांग कर रहा है कि वह जल्दबाजी में सामाजिक सुरक्षा कोड को लागू न करे।
जानिए क्या हैं ग्रैच्युटी
जब कोई कर्मचारी किसी कंपनी में कम से कम 5 साल काम कर लेता है, तो कंपनी की तरफ से उसे एकमुश्त रकम दी जाती है, जिसे ग्रैच्युटी कहते हैं। अपने कर्मचारियों को ग्रैच्युटी देना केवल कंपनी की जिम्मेदारी ही नहीं बनती, बल्कि यह कानूनी रूप से अनिवार्य भी है। पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट, 1972 के अंतर्गत ग्रैच्युटी का फायदा उस संस्थान के कर्मचारी को मिलता है, जहां 10 से अधिक कर्मचारी हों।