सामाजिक न्याय और सशक्तीकरण के लिए सरकार की पहल दिव्यांगों एवं गरीब व्यक्ति के लिए योजनाएं और उनकी पूरी जानकारी

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :  भारत सरकार सामाजिक कल्याण न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के द्वारा दिव्यांग एवं जाति विशेष और गरीब लोगों के लिए क्या-क्या योजनाएं चलाई जाती है और उसके मध्य में कितने पैसे दिए गए उसकी पूरी जानकारी
अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी।
वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के बजट में 12.19 प्रतिशत की वृद्धि
हुई है। वर्ष 2017-18 में 6908.00 करोड़ रुपए का बजट था, जो बढ़कर वर्ष 2018-19 में 7750.00 करोड़ रुपए हो गया।
धीमी प्रगति को ध्यान में रखते हुए 18 राज्यों के 170 चिन्हित जिलों में सिर पर मैला ढोने पर राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया है।
एनएसकेएफडीसी द्वारा राज्य सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के सहयोग से सर्वे का समन्वय और निगरानी किया
जा रहा है। 125 जिलों में सर्वेक्षण पूरे हो चुके हैं और अब तक 5365 लोगों को सिर पर मैला ढोने वाले के रूप में पहचान की
गई है।
मंत्रालय प्रत्यक्ष लाभ अंतरण रूप में 25 योजनाएं लागू कर रहा है। 2016-17 और 2017-18 के दौरान कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा
क्रमशः 1.45 और 1.66 करोड़ रूपए लाभार्थियों को सहायता/लाभ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण रूप में जारी किए गए थे। लाभार्थी डेटाबेस
में आधार जुड़ाव 66 प्रतिशत तक पहुंच गया है। अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए आवंटन में 2015-16 के 30850.88
करोड़ रुपए से वृद्धि करके 56618.50 करोड़ रूपए किया गया। यह 83.52 प्रतिशत की वृद्धि है।
अनुसूचित जाति के छात्रों (पीएमएस-एससी) को पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना में प्रति वर्ष लगभग 60 लाख छात्रों को शामिल
किया जाता है। 2014 से 2018 के बीच.22930654 छात्रों ने पीएमएस-एससी छात्रवृत्ति का लाभ
9-30.054 छात्रा न पाएमएस-एससी छात्रवृत्ति का लाभ उठाया है और 10388 करोड
रुपए की राशि का उपयोग किया गया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यों व संघ शासित प्रदेशों के लिए पीएमएस-एससी में 8737 करोड़ रुपए की एकत्रित बकाया राशि को
मंजूरी दे दी है। वर्ष 2018-2019 में इस उद्देश्य के लिए 3000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। 9वीं और 10वीं कक्षा में पढ़ने
वाले अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति की दर तथा स्वच्छता के कार्य में शामिल लोगों के बच्चों के
लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति 2017-18 से 50 प्रतिशत बढ़ा दी गई है।
अनुसूचित जाति के लिए राष्ट्रीय फेलोशिप योजना के तहत अप्रैल, 2014 से मार्च 2018 के बीच 8000 मेधावी छात्रों को 770.80
करोड़ रुपए की फेलोशिप दी गई। 2018-19 में 2000
छात्रों को एमफिल व पीएचडी के लिए फेलोशिप मिलेगी।
सभी मेरिट आधारित छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ लेने के
लिए माता-पिता की आय सीमा को वर्ष 2017-18 से
बढ़ाकर वार्षिक 6 लाख रुपए कर दिया गया है।
अंतरजाति विवाह जिसमें युगल में से एक अनुसूचित जाति
का हो, के लिए वर्ष 2017-18 से ढाई लाख रुपए की
केंद्र प्रायोजित योजना के तहत मदद दी जा रही है। इस
योजना के तहत जो राशि प्रदान की जाती है, वह संयुक्त
खाते में किसी सरकारी/राष्ट्रीयकृत बैंक में तीन वर्ष के
लिए सवाधि जमा खाते में रखी जाती है, जो तीन वर्ष से
पहले नहीं निकाली जा सकती।
केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना’ को
अनुसूचित जाति के एकीकृत विकास के लिए लागू किया जा रहा है। ऐसे 2500 गांवों को कवर किया गया है, जहां अनुसूचित
जाति के लोगों की संख्या अधिक है। वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 के लिए 300 करोड़ रुपए का अनुदान ‘प्रधानमंत्री आदर्श
ग्राम योजना’ के लिए आवंटित किया गया है।
वर्ष 2014-15 में अनुसूचित जातियों के लिए ‘वेंचर कैपिटल फंड’ की शुरुआत की गई थी, जिसके तहत अब तक अनुसूचित
जाति के 71 उद्यमियों को 255 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।

 

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