सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : सरकार ने कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला किया है. उसने लॉकडाउन के बाद कामकाज शुरू करने वाली सभी कंपनियों के लिए कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस देना जरूरी कर दिया है. इसका मतलब है कि अब हर कंपनी को अपने कर्मचारियों को आवश्यक रूप से मेडिकल इंश्योरेंस देना होगा.
लिबर्टी जनरल इंश्योरेंस के सीईओ और डायरेक्टर रूपम अस्थाना ने कहा कि पहले संस्थानों को अपने कर्मचारियों को हेल्थ इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराना अनिवार्य नहीं था. हालांकि, कुछ संस्थान अपने कर्मचारियों के लिए ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी लेते रहे हैं.
कॉरपोरेट ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी मुख्य रूप से कर्मचारी के अस्पताल में भर्ती होने के खर्च को कवर करती है. जीवनसाथी या माता-पिता को भी एक हद तक इसमें कवर किया जाता है.बीमा नियामक इरडा ने इस बारे में सर्कुलर जारी किया है. इसमें कहा गया है कि सभी औद्योगिक और कमर्शियल प्रतिष्ठानों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों को कामकाज शुरू करने से पहले स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) को अपनाना जरूरी है. सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करने के साथ उन्हें सभी कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी देना अनिवार्य है.
सर्कुलर में इरडा ने बीमा कंपनियों से कॉम्प्रिहेंसिव हेल्थ पॉलिसी मुहैया कराने का सुझाव दिया है. स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस के एमडी डॉक्टर एस. प्रकाश ने कहा कि हेल्थ इंश्योरेंस कवर उपलब्ध कराने का कदम कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद होगा. प्रकाश ने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश के अनुसार सभी कंपनियों को इसे कर्मचारियों को उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है.
ईएसआई से कवर हैं तो क्या होगा?
श्रम कानून के अनुसार, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) अधिनियम, 1948 के तहत संगठित क्षेत्र के उन कर्मचारियों को मेडिकल इंश्योरेंस उपलब्ध कराया जाता है जिनकी मासिक सैलरी 21,000 रुपये या इससे कम है.ईएसआई के तहत बीमित व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं. इनमें सिकनेस, मैटरनिटी, डिसेबलमेंट, मेडिकल बेनिफिट इत्यादि शामिल हैं. इसमें मेडिकल बेनिफिट ओपीडी इलाज के लिए इंश्योरेंस कवर होता है.
अमूमन संस्थान में ईएसआई में कवर होने वाले कर्मचारी ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते हैं. इसका मतलब यह है कि अब इन कर्मचारियों को ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का अतिरिक्त बेनिफिट मिलेगा.
क्या महामारी के चलने तक मिलेगा इंश्योरेंस?
इरडा ने कहा कि संस्थानों को मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी केवल ताजा स्थितियों को देखते हुए ही नहीं देनी चाहिए बल्कि हमेशा के लिए यह व्यवस्था करनी चाहिए. उसने इंश्योरेंस कंपनियों को हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को इस तरह बनाने के लिए कहा जिससे छोटे उद्यमों के बजट में भी इन्हें ले पाना संभव हो.