विश्व पुस्तक दिवस एवं कॉपीराइट दिवस पर पुस्तक की आत्मकथा एक पुस्तक अपने अंतर्मन में उद्धृत पंक्तियों में:-

 

सर्वप्रथम न्यूज़ : विश्व पुस्तक दिवस एवं कॉपीराइट दिवस पर पुस्तक की आत्मकथा एक पुस्तक अपने अंतर्मन में उद्धृत पंक्तियों में:-

मैं ईश्वर का स्वरूप है मैं चार वेदों का समूह हो या फिर रामायण, महाभारत, गीता ,कुरान, बाइबल हो चाहे कोई भी पाठ्यपुस्तक हो चाहे कोई भी औषधि विज्ञान अंतरिक्ष विज्ञान या तो कोई समाजशास्त्र या तो कोई गणित शास्त्र क्या बच्चों की पंचतंत्र मीना राजू की कहानी कोई अलीबाबा चालीस चोर की कहानी अन्यत्र नामों से जाना जाता हूं| बचपन से बुढ़ापा त सब मेरे अंतर्गत ही आता|
आज मेरा जन्मदिन है विश्व स्तर पर पुस्तकों के लिए आज खुशी का दिन है आज मैं अपने अंतर्मन की बात आपसे कहना चाहता हूं, इन पंक्तियों के द्वारा सुने और मुझे पढ़ने के लिए पुस्तकालय में जरूर आएं;-
1.मैं वह हूं , जिसमें स्वर अठखेलियां करती हैं, कर्म वचन की भाषा गाती हैं मेहनत करना सीख लाती कभी-कभी तो यह कहती हैं नॉलेज इज द पावर! मुझ में हैरी पॉटर, मीना राजू अन्यत्र कहानियां अन्यत्र भाषाओं में उपलब्ध होती हैं जिसमें पात्र अभिनय करते हैं पठन करते हैं अपने आप को पाने लगते हैं तभी तो कहा जाता है पुस्तक हमारा सबसे सच्चा अच्छा मित्र है|

2. मैं वह हूं जिसमें ज्ञान-विज्ञान ,सार संग्रह ,लेखनी टिप्पणी ,व्यंग, मुहावरे ,व्याकरण ,प्रश्नोत्तरी पाठ्यक्रम सामग्री सभी समाया करते हैं जिन को पढ़ने वाले बच्चे अपने आप को बहुत गौरवान्वित महसूस करते हैं, इसमें दिनकर ,रविदास ,रसखान, स्वामी विवेकानंद, डॉक्टर कलाम ,अटल, फणीश्वर नाथ रेनू महादेवी वर्मा नागार्जुन ,रामवृक्ष बेनीपुरी, हरिवंश राय बच्चन और हिंदी जगत के लेखक रचनाकार सब की जीवनी, कविताएं इस पुस्तक में मिल जाती हैं ज्यादातर पढ़ने वालों ने प्रेमचंद की जीवनी उदित रचनाएं लोग पढ़ते हैं विद्यालय के पुस्तकालय में दिख भी जाती है, “कहने का तात्पर्य पुस्तक वह शस्त्र है जिसे पढ़कर हम अपने व्यक्तित्व को निखार तकते हैं और ना सिर्फ स्वयं का बल्कि समाज का देश राष्ट्र का उचित निर्माण कर सकते हैं||
3. मेरा निर्माण जिस किसी भी लक्ष्य के लिए हुआ है उसमें बचपन से अंतिम अवस्था अर्थात मृत्यु तक सभी व्यक्ति विशेष अपने बचपन से पठन पढ़ाई कर प्रक्रिया के द्वारा मुझ में सेंध लगाते हैं पढ़ते हैं अपनी रचनाएं कुछ भी लिखते हैं और हमारी लिखी हुई रचनाओं को आत्मसात करते हैं देश को सुनाते हैं व्यक्तित्व को सुनाते हैं कोई अधिकारी बनते हैं कोई डॉक्टर बनते हैं कोई लेखक बनते हैं सभी पुस्तक उनका सच्चा मित्र कहलाता है || सरकार भी जब नियम कानून बनाती है तो भी वह एक पुस्तक जिसका नाम कांस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया अर्थात संविधान की किताब का अनुपालन करती है उस समय वह मेरा ही स्वरूप कहलाती जब हम विद्यालय पथ से गुजरते हैं तब वह हमें अनेक रूपों में विज्ञान, सामाजिक, विज्ञान, हिंदी, इंग्लिश ,कंप्यूटर संगीत, योगा अन्यत्र नाम होते हमें उपलब्ध होती है इसके लिए पुस्तकालय बनाया जाता और वहां पुस्तकों का संग्रह किया जाता है वहां मौजूद लाइब्रेरियन के द्वारा बच्चों में एक जिज्ञासा दिलाई जाती है आओ बच्चों खूब पढ़ो देश का नाम ऊंचा करो||
यहां हम अपनी सोच विकसित करें तो पाते हैं कि किसी भी धर्म कांड करने में धर्म की किताब, संस्कार ग्रहण करने में धर्म की किताब नौकरी पेशा रोजगार तकनीक शिक्षा तकनीक पुस्तक शोध पत्रों के लिए शोध पुस्तक महामारी से निपटने के लिए औषधि पुस्तक सभी स्वरूपों में मेरा स्थान सर्वोपरि है|
सभी अर्थों में पुस्तक का महत्व के व्यक्तित्व विकास के लिए बहुत आवश्यक इतने लिखित काव्य हो चाहे रचना हो या फिर किसी प्रश्न का उत्तर हो या फिर कोई औषधि के रूप में हो सभी को आत्मसात करने वाले व्यक्ति के मनन चिंतन पर निर्भर करता है कि वह करना चाहता है जिसने भी इस कठिन तपस्या को अपने आत्मसात कर लिया वही सही मायने में राष्ट्र निर्माणक घोषित होता है  इस प्रकार एवं एक पुस्तक की आत्मकथा को हम समझ पाते हैं| लेखन प्रक्रिया के रूप में मैंने एक छोटा सा प्रयास की के अंतर्मन को भी कभी पढ़ा जाए आज पुस्तक का जन्म दिवस अर्थात विश्व पुस्तक दिवस एवं दिवस है इस अवसर पर या छंद व्यक्त करते हुए महसूस कर रहा हूं उम्मीद है बच्चे इससे शिक्षा लेंगे और अपने पुस्तक की कद्र करेंगे उन्हें सही वस्तु व्यवस्थित ढंग से रखेंगे खूब मन लगाकर पढ़ाई करेंगे धन्यवाद||

रत्नेश कुमार लेखक

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