सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग जनों के लिए एक सरकारी कर्मचारी के रूप में मेडिकल की सुविधा एवं उसको कार्ड बनवाने मैं सुविधा हो इस के संदर्भ में जानकारी दी जा रही है हमारी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकारों के अंतर्गत कार्य करने वाले दिव्यांग जनों को उनके विभागों से सर्वप्रथम एक मेडिकल कार्ड बनाना होता है इसमें स्वयं या उनके माता-पिता जो उन पर निर्भर होते हैं अथवा उनकी परिवार के सदस्य उनका नाम सहित फोटो उसमें अंकित किया जाता तत्पश्चात एक डिस्पेंसरी चुनी जाती है वहां से वह मेडिकल कार्ड ऑनलाइन नंबर से अधिकृत करते हुए संबंधित विभाग से उसकी पूर्ण प्रक्रिया की जाती है जैसे यदि विद्यालय स्तर पर यह कार्य होता है तो प्रिंसिपल के द्वारा वह सत्यापित किया जाता है एवं यदि किसी अन्य विभाग से हो तो विभाग के आला अधिकारी उसे सत्यापित करते हैं अर्थात उनके मेडिकल कार्ड को बनाने के पश्चात एक कॉपी उनके सर्विस बुक में लगा दी जाती है और एक कॉपी संबंधित डिस्पेंसरी में जहां पर उनको दाखिला मिल जाता है वहां पर भी इसका एक प्रमाण जमा करना पड़ता| इसके तत्पश्चात जैसे ही भारत में भारत सरकार के अंतर्गत सीजीएचएस जो केंद्रीय कर्मचारियों के लिए लागू होता है उसके आधार पर कुछ कुछ राज्यों में जैसे दिल्ली की बात की जाए तो केजरीवाल सरकार ने वहां पर दिल्ली कर्मचारियों के लिए बहुत समुचित व्यवस्था कर रखी है इसमें उनको जो कार्ड प्रदान किए गए हैं उनमें इलाज के लिए नासिर सरकारी अस्पताल बल्कि प्राइवेट अस्पतालों की भी सूची दी गई है जिसमें मुख्यतः ओपीडी जांच की व्यवस्था इमरजेंसी सुविधा साथ ही साथ मेडिकल बिल जो आते हैं वह भी भुगतान कर दिए जाते हैं उस समय पश्चात|| सभी दिव्यांगजन अपने अपने कार्य स्थलों पर अपने अपने विभाग से इसके बारे में पता कर सकते हैं बात अगर अन्य राज्यों की, की जाए तो वहां की व्यवस्था के संदर्भ में विभाग के अकाउंट सेक्शन के अधिकारी जो आप का बहीखाता अर्थात सर्विस बुक मेंटेन करते हैं वह आपको इस के संदर्भ में तथा आपके संबंधित अस्पताल जहां पर वह इसकी जानकारी आपको प्राप्त हो जाएगी|| दिल्ली सरकार में एक व्यवस्था यह भी देखी गई है दिव्यांग हो चाहे कोई भी सामान्य कर्मी उनको मेडिकल फैसिलिटी इतनी दी गई है कि कम से कम वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, दिव्यांगजन कर्मियों की सुरक्षा के लिए समाज अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा भी अनेक अनेक प्रयास किए जाते रहे हैं समय-समय पर भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के द्वारा एडवर्टाइजमेंट के माध्यम से सर्कुलर के माध्यम से समय-समय पर सूचनाएं दी जाती सतर्क रहें समझे और अपने लिए काम करें|| जहां तक बात मेडिकल बिल के निपटारे की होती है वहां पर अस्पताल प्रबंधन भी इसका भाग होता है जिनके द्वारा दिए गए विल को जांच कर संबंधित विभाग एक पूरी कार्रवाई करते हुए कर्मियों के खाते में उसका भुगतान कर दिया जाता|| यदि कभी इमरजेंसी में ऑर्गन ट्रांसप्लांट की नौबत आ जाती है अगर किसी भी गर्मी के पास इतने पैसे नहीं होते हैं तो वह विभाग से उसके लिए एक फाइल तैयार करवाते हैं और संबंधित आला अधिकारियों के कार्यालय में भेजते हैं जहां से स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार उनको सुविधा दी जाती थी आखिरकार ऑर्गन ट्रांसप्लांट जैसे किडनी लीवर बाईपास सर्जरी या अन्य मेजर थे मेजर ऑर्गन ट्रांसप्लांट की स्थिति में मुख्य राज्य के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री एवं संबंधित राज्य के बीमा अधिकारी मंत्रालय के द्वारा एक मेडिकल प्रशासन के द्वारा उनसे स्थिति संबंधित ऑर्गन ट्रांसप्लांट का पूरा खर्चा मांगा जाता है और उसके आधार पर एक फाइल तैयार की जाती है विभाग उसे प्रस्तावित करता है और पूरी जांच करने के बाद वह पैसे संबंधित अस्पताल कर्मी के खाते में दे दिए जाते हैं और संबंधित अवधि में उस राशि का पूरा ब्यौरा खर्च कर उन्हें एक-एक रसीद जमा करनी होती है ध्यान रहे यहां पर यह राशि स्वास्थ्य के लिए यह स्वास्थ्य में ही खर्च हो इसका ध्यान रखना होता है इलाज करवाने के बाद संपूर्ण बिलों का भुगतान हेतु संबंधित विभाग से आला अधिकारी विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग में इसकी पूरी जांच करते हुए तत्पश्चात जिसको भुगतान के लिए भेज दिया जाता है| दिल्ली राज्य के तर्ज पर यदि संपूर्ण राज्य अपने अपने महकमों में ऐसी व्यवस्था कर दे तो निश्चित रूप से हम कह सकते हैं कि दिव्यांगजन कर्मी स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं।
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