सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : पटना के एक अणे मार्ग यानी बिहार के मुख्यमंत्री निवास में अगले पांच साल कौन बैठेगा ये तो कल शाम में पता चल जाएगा. लेकिन क्या आपको पता है कि अणे मार्ग का नाम क्यों और कैसे पड़ा? इसकी कहानी बहुत दिलचस्प है। माधव श्रीहरि अणे जब 1948 में राज्यपाल पद पर आसीन हुए तो वे आमजन से इतने जुड़े कि इस सड़क का नाम ही उनके नाम पर रख दिया गया। क्योंकि यह सड़क राजभवन को जाती है लेकिन यह आज भी राजभवन मार्ग के नाम से नहीं जाना जाता है। बापूजी अणे’ या ‘लोकनायक अणे’ के नाम से विख्यात माधव श्रीहरि अणे का जन्म 29 अगस्त, 1880 ई. को महाराष्ट्र के यवतमाल ज़िले के वणी नामक स्थान में हुआ था। अणे ने ‘कोलकाता विश्वविद्यालय’ से उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1904 से 1907 ई. तक अध्यापन का कार्य भी करते रहे। फिर उन्होंने यवतमाल में वकालत आरम्भ कर दी। अणे लोकमान्य तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे। गाँधी जी के ‘नमक सत्याग्रह’ के समय इन्होंने भी जेल की सज़ा भोगी। 1943 से 1947 ई. तक ये श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त भी रहे। आज़ादी प्राप्त करने के बाद इन्हें बिहार का दूसरा राज्यपाल बनाया गया था। पहले राज्यपाल जयराम दास दौलतराम थे।
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