सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : सरकार ने नकली दवाओं पर लगाम लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है और सरकार ने दवाओं के बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रेडिएंट्स पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है, जिससे अब आप नकली और असली दवाओं की पहचान आसानी से कर सकते हैं । ग्राहक अब किसी भी दवा पर मौजूद क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन कर इसकी हकीकत के बारे में आसानी से जान सकेंगे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि, ये नया नियम 1 जनवरी, 2023 से लागू होगा । इस नए नियम को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया हैं । इसके आगे बता दें कि, एपीआई में क्यूआर कोड लगाने से ये भी आसानी मालूम चल जाएगा कि कच्चा माल कहां से सप्लाई हुआ है और क्या दवा बनाने के फॉर्मूला से कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं और दवाई की डिलीवरी कहां हो रही है। इसके आगे आपको बता दें कि, ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड ने जून 2019 में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी । यह बारकोड का अपग्रेड वर्जन है । मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बता दें कि, भारत नकली दवाओं का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है और भारत में 25 फीसदी के करीब दवाइयां नकली है ।
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