दिलचस्प यह कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेंगे, वहीं से उसे 7 साल के भीतर जारी करने का भी विकल्प मिलेगा।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : भारतीय शिक्षा प्रणाली में नए शैक्षणिक सत्र से बड़ा बदलाव आने जा रहा है। सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक सत्र 2022-23 में नई नीति 2020 के तहत स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट प्रोग्राम में एंट्री-एग्जिट की सुविधा मिलने जा रही है। वहीं, छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ने से लेकर विश्वविद्यालय तक को अपनी सहूलियत के हिसाब से बदल (पोर्टबल फेसिलिटी) सकेगा। दिलचस्प यह कि छात्र जहां पर बीच में पढ़ाई छोड़ेंगे, वहीं से उसे 7 साल के भीतर जारी करने का भी विकल्प मिलेगा। स्कूली शिक्षा के बाद अब उच्च शिक्षा भी लर्निंग आउटकम पर आधारित होगी। हर साल ज्ञान, कौशल और सक्षमता पर आधारित परीक्षा मूल्यांकन होगा। खास बात है कि प्रति सेमेस्टर कम से कम 20 क्रेडिट अनिवार्य होंगे, लेकिन विश्वविद्यालयों को आजादी दी जाएगी कि वे क्रेडिट स्कोर के मानक (क्राइटीरिया) में बदलाव कर सकेंगे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग(यूजीसी) नेशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क( एनएचईक्यूएफ) का ड्रॉफ्ट तैयार राज्य सरकारों और विश्वविद्यालयों को भेज दिया है। नेशनल हायर एजुकेशन क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क की शुरुआत आगामी सत्र से केंद्रीय विश्वविद्यालयों से शुरू होने जा रही है। इसके बाद अगले साल से राज्यों के विश्वविद्यालयों को भी शामिल किया जाएगा। ऐसे होगा अब यूजी और पीजी का डिजाइन स्नातक प्रोग्राम तीन और चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम में होगा। पहले साल की पढ़ाई पूरी करने पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा, तीसरे साल की पढ़ाई पूरी करने पर स्नातक डिग्री मिलेगी। इसके बाद चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम भी इसी में जुड़ जाएगा। यदि कोई छात्र ऑनर्स करना चाहता होगा तो उसको चौथे साल की पढ़ाई करनी होगी। ऑनर्स की पढ़ाई का विकल्प सभी छात्रों के सामने खुला रहेगा। हालांकि तीसरे वर्ष की डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोई छात्र शोध क्षेत्र में भविष्य बनाना चाहता होगा तो  उसके पास तीसरे वर्ष में 7 सीजीपीए होना जरूरी है।  इसके बाद पांचवें वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर पीजी डिप्लोमा और छठें वर्ष की पढ़ाई पूरी करने पर उसे स्नातकोत्तर की डिग्री मिल जाएगी। अब इन डिग्री प्रोग्राम का नाम ग्रेजुएट एट्रीव्यूट और ग्रेजुएट प्रोफाइल हो जाएगा। स्नातक डिग्री में रिसर्च क्षेत्र की पढ़ाई तो सीधे पीएचडी स्नातक प्रोग्राम में यदि कोई छात्र रिसर्च एरिया का भी विकल्प चुनता है तो फिर उसे स्नातकोत्तर करने की जरूरत नहीं होगी। बल्कि वह यूजी रिसर्च डिग्री के साथ सीधे पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला ले पाएगा। बीए, बीकॉम, बीएससी वाले छात्र दूसरे और तीसरे वर्ष में मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई कर सकेंगे। मल्टीडिस्पलनेरी की पढ़ाई के लिए भी परीक्षा आधारित मूल्यांकन से विकल्प मिलेगा।दूसरे वर्ष लेटरल एंट्री का भी विकल्प नौकरीपेशा या अपना कामकाज कर रहे लोगों को भी डिग्री पूरी करने का अब विकल्प मिलेगा। परिवारिक या किसी अन्य दिक्कत के चलते जो लोग बीच में पढ़ाई छोड़ चुके थे, उन्हें भी शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। मसलन कोई ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिकल , मैकेनिकल समेत दूसरे प्रोफेशनल कामों में लगे लोगों को बीटेक या बीई जैसी तकनीकी डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई का मौका मिलेगा। इसके लिए यूजी प्रोग्राम के दूसरे वर्ष में विकल्प रहेगा। हालांकि दाखिले से पहले वर्षों पहले पढ़ाई छोड़ चुके लोगों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए उन्हें एक परीक्षा पास करनी होगी।किताबों के साथ नैतिक शिक्षा संग सामुदायिक सेवा का भी ज्ञान: नए जमाने के इस पाठ्यक्रम में किताबी ज्ञान, प्रोफेशनल नॉलेज, स्किल के अलावा छात्रों का मेकओवर भी किया जाएगा। इसमें उन्हें खास तौर पर नैतिक शिक्षा, सामुदायिक सेवा, इंटर्नशिप आदि की अनिवार्य पढ़ाई और प्रैक्टिकल व फील्ड वर्क करना होगा। इसका मकसद उन्हें घर, परिवार, समाज, देश के साथ काम के दौरान सहकर्मियों से व्यवहार के भी गुर मिलेंगे।अब डिग्री में डिवीजन नहीं ग्रेड होगा डिग्री में अब डिवीजन नहीं ग्रेड होगा। मसलन 10 से लेकर 4 तक ग्रेड निर्धारित किए गए हैं। इसमें 10 को आउटस्टैडिंग, 9 को एक्सीलेंट, 8 को वेरी गुड, 7 को ग्रुड, 6 -5 को एवरेज और 4 पास की श्रेणी में होगा। इसके नीचे के सभी फेल श्रेणी होगी।  स्कूल से लेकर स्नातकोत्तर तक 10 लेवल होंगे। इसमे एक से चार स्कूली शिक्षा और पांच से 10 उच्च शिक्षा के लिए हैं। स्नातक प्रोग्राम में पहला वर्ष  लेवल 5 को होगा, इसमें 40 क्रेडिट, लेवल 6 यानी दूसरे वर्ष में 80 क्रेडिट, लेवल 7 में 120 क्रेडिट, लेवल आठ में 160 क्रेडिट होगा। वहीं, पीजी  प्रोग्राम में पहला साल डिप्लोमा में लेवल आठ 40 क्रेडिट, दूसरे वर्ष लेवल नौ में 40 क्रेडिट और लेवल 10 डॉक्टरेट प्रोग्राम यानी पीएचडी  का रहेगा। डिप्लोमा और सर्टिफिकेट वालों को नौकरी की ट्रेनिंग यदि कोई छात्र पहले और दूसरे वर्ष किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ता है तो उसके लिए गर्मियों में दो महीने का ब्रिज कोर्स चलाया जाएगा। यह 10 क्रेडिट को होगा। इसमें उसे नौकरी से जोड़ने की ट्रेनिंग मिलेगी।

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