सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : Supreme Court: देखने से लाचार (visually impaired) एक दिव्यांग MBBS डॉक्टर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने कहा है कि वो एमडी साइकाइट्री काउंसिलिंग में शामिल हो सकते हैं. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने पीटीशनर को अंतरिम राहत दी. बेंच ने कहा है कि अगले आदेश तक टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज, मुंबई में एमडी साइकाइट्री में सीट का प्रोविजिनल अलोकेशन नहीं किया जाएगा.बेंच ने कहा कि “अगले आदेश तक एमडी मनोचिकित्सा पाठ्यक्रम में याचिकाकर्ता को एक सीट का प्रविजिनल अलोकेशन टोपीवाला नेशनल मेडिकल कॉलेज, मुंबई में नहीं किया जाएगा. वहीं याचिकाकर्ता को काउंसिलिंग की चल रही प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति होगी.”डॉ अय्यर सीतारामण वेणुगोपालन की याचिका कोर्ट ने इसे लेकर संबंधित प्रतिवादियों(Respondents) को नोटिस जारी किया. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट एमबीबीएस डॉक्टर अय्यर सीतारामण वेणुगोपालन की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. वेणुगोपालन एक यंग एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जो दोनों आंखों से 100 फीसदी दृष्टि बाधित (visual impairment) हैं. उन्होंने NEET- PG एंट्रेस परीक्षा पास की है.बॉम्बे हाईकोर्ट ने नामंजूर कर दी थी याचिकाइ ससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2 फरवरी 2022 को पीटीशनर की अंतरिम याचिका को नामंजूर कर दिया था. डॉक्टर वेणुगोपालन ने NEET पीजी काउंसलिंग में भाग लेने की परमिशन देने की अपील की थी. उन्होंने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. पीटीशनर की तरफ से सीनियर एडवोकेट सी एस वैद्यनाथन ने नंदिनी गोर, सोनिया निगम और सार्थक गौर की टीम को इस बारे में जानकारी दी. याचिकाकर्ता की तरफ से करंजावाला एंड कंपनी के वकील पेश हुए.
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