एक भी दिव्यांग को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ।

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : एक भी दिव्यांग को नहीं मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सन 2023 -2024 शहरी गरीबों के 95% घर पड़े हैं राज्य के दिव्यांगों को आवास योजना नहीं मिलने के कारण प्रधानमंत्री (शहरी) आवास योजना के तहत गरीबों के लिए बननेवाले 95 फीसदी आवास आधे-अधूरे पड़े हुए हैं। इस योजना के तहत राज्य के सभी 261 नगर निकायों में 2 लाख 10 हजार 433 घर बनाने का लक्ष्य है। करीब 85 हजार आवासों का लिंटर या प्लिथ स्तर तक ही निर्माण हुआ है। सबसे पहले इन अधूरे आवासों को पूरा करने के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग ने सभी नगर निकायों को निर्देश दिया है। नगर निकायों को 15 दिनों के अंदर सभी संबंधित लाभुकों को उनके खाते में राशि भेजने को कहा गया है, जिससे छतों की ढलाई की जा सके। पीएम आवास योजना के तहत मार्च से अब तक 548 करोड़ 85 लाख रुपये जारी किए गए हैं। इनमें 131 करोड़ 77 लाख रुपये खर्च हुए हैं। एक दिव्यांग को नहीं मिला आवास योजना का लाभ इस योजना में 100 से अधिक नगर प्रधानमंत्री (शहरी) आवास योजना के तहत निकायों में 2 लाख 96 हजार 538 घर बनाने का लक्ष्य इसमें अब तक 86 हजार 105 आवास ही हो पाए तैयार, यह निर्धारित लक्ष्य का महज 35 फीसदी बचे हुए घरों में 95 फीसदी आवास अधूरे, 15 दिनों में राशि देने का निर्देश निकाय ऐसे हैं, जिनका प्रदर्शन खराब है। इनके यहां अधूरे या लंबित आवासों की संख्या अधिक है।इन नगर निकायों को खासतौर से हिदायत दी गई है। पीएम (शहरी) आवास योजना की शुरुआत 2015 से की गई है। इसके तहत सूबे के नगर निकायों में गरीबों के लिए 2 लाख 96 हजार 538 आवास बनाने का जमीन की सबसे बड़ी समस्या योजना में निर्धारित प्रावधान के मुताबिक, घर बनाने के लिए दो लाख रुपये की राशि शहरी निकायों में रहने वाले सिर्फ उन्हीं गरीबों को दी जाएगी, जिनके पास अपनी कम से कम 30 वर्ग मीटर जमीन है और उस पर झोपड़ी बनी है। इसमें डेढ़ लाख रुपये केंद्र और 50 हजार रुपये राज्य सरकार की तरफ से प्रदान की जाती है। नगर निकायों में गरीबों के पास जमीन की सबसे बड़ी समस्या आती है। कई लाभुकों के आवास स्वीकृत होने के बाद यह पता चलता है कि जिस जमीन पर वे रह रहे हैं, वे उनके नाम से नहीं है। लक्ष्य रखा गया है। इन्हें दिसंबर 2024 तक तैयार करने का लक्ष्य है। इसमें अब तक 86 हजार 105 घर ही पूर्ण हुए हैं, जो लक्ष्य का 35 फीसदी ही है। चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक अधूरे पड़े अन्य आवासों को भी पूर्ण कराने की योजना है। इससे राज्य में पूर्ण हुए आवासों की संख्या बढ़कर 1 लाख 72 हजार के आसपास हो जाएगी।

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