माफिया से अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा स्कूल

 

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुुुमार : स्कूली शिक्षा को लेकर हर तरफ चर्चा होती रहती है. इस बीच कोरोना काल में शिक्षा व्यवस्था और भी बेपटरी हो गई. जिस कारण कई स्कूल बंद हो गए. इसमें सबसे बुरा हाल बिहार संस्कृत शिक्षा द्वारा संचालित संस्कृत स्कूलों का हुआ जो सरकार के देख-रेख में चलते थे. जहां वेद, व्याकरण, ज्योतिष कर्मकांड, धर्मशास्त्र जैसे विषयों की पढ़ाई उनकी पहचान थी. मगर अचानक से उनका महत्व कम होने लगा. संसाधनों में किल्लत, शास्त्रों के उपयोगिता को लेकर संदेह, और सरकार का उदासीन रवैया इसके लिए काफी हद तक जिम्मेदार है. बदहाली पर पहुंचे इन स्कूलों के बंद होने पर कई भूमाफियाओं की नजर स्कूलों की जमीन पर पड़ गई है. जिनकी जमीन पर स्कूल था उनको लालच देकर खरीद लिया तो कहीं दबंगई दिखाकर कब्जा कर लिया. ऐसे ही एक स्कूल पशुपति संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय मनीगाछी प्रखंड अंतर्गत गंगौली कनकपुर पंचायत में संचालित है जिसकी हम बात करने जा रहे हैं. इस स्कूल पर भी भू माफियाओं का भी टेढ़ी नजर है. स्कूल संचालकों पर दबाव बनाते हुए जमीन हड़पना चाहते हैं. हालांकि स्कूल संचालक इसे बचाने के लिए सरकारी कार्य प्रणाली पर विश्वास करते हुए इसे बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन की सुस्ती इन पर भारी पड़ रही है.

बड़े पदों पर दे रहे हैं सेवा
गंगौली कनकपुर के गंगौली मौजा में स्थित पशुपति संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय का क्षेत्र में खासी पहचान थी. इस स्कूल से पढ़कर कई स्टूडेंट सरकारी टीचर और भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं, लेकिन आज इस स्कूल का अस्त्वि खतरे में आ गया है. बता दें की सरकार की ओर से संस्कृत स्कूलों के टीचर्स को वेतन नहीं देने के कारण स्कूल बंदी के कगार पर आ गया है. स्कूल को बचाने के लिए स्कूल के सचिव की ओर से सितंबर 2020 में दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया गया. मगर, एक साल गुजरने के बाद भी स्थानीय प्रशासन दाखिल खारिज नहीं कर पाया. दूसरी तरफ भू माफिया स्कूल की जमीन को हड़पने के लिए पूरजोर कोशिश कर रहे हैं. कभी स्कूल की जमीन बेच देने की धमकी देते हैं तो कभी हड़पने की. स्थानीय लोगों की उदासीनता का लाभ भी भू माफिया उठा रहे हैं. जिस वजह से मौजूदा समय में इस स्कूल का अस्तित्व खतरे में आ गया है.

29 साल पहले दिए थे दान
पशुपति संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय को संचालन करने के लिए स्थानीय निवासी श्यामा देवी ने 1982 में खेसरा नंबर 929 और 927 के पूरब दिशा से 8 कट्ठा जमीन राज्यपाल बिहार सरकार को पशुपति संस्कृत प्राथमिक सह माध्यमिक विद्यालय के नाम से दान में दी थी, मगर 29 साल गुजरने के बाद भी राजस्व विभाग के कर्मचारी ने दाखिल खारिज करना उचित नहीं समझा.

कर्मचारी कर रहे हैं टाल मटोल
राजस्व कर्मचारी रामआश्रय यादव से जब रिपोर्टर ने सवाल किया तो अपना पल्ला झाड़ते कहा कि श्यामा देवी के जमाबंदी नंबर 559 में जमीन कम्प्यूटर में नहीं दिख रहा है. जबकि मैनुअली रजिस्टर 2 में उनके नाम से 6 विघा जमीन की जमाबंदी चल रही है. आवेदन द्वारा दाखिल खारिज की आवेदन करने पर एक कट्ठा पांच धूर जमीन 927 खेसरा से खारिज कर दिए. जबकि 929 को टच भी नहीं किए. मालूम हो कि दान पत्र में खेसरा नम्बर 927 और 929 संयुक्त रूप रजिस्ट्री है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि केवल एक खेसरा को कैसे दाखिल खारिज कर दिए.

वर्जन

दाखिल खारिज के संबंध में मनीगाछी क्षेत्र के सर्किल ऑफिसर रविंद्र कुमार चौपाल से कई बार शिकायत किए मगर हर बार निराशा ही हाथ लगा. सर्किल ऑफिसर और सर्किल इंस्पेक्टर के मिलीभगत के चलते खेसरा नंबर 929 का दाखिल खारिज नहीं हो पाया .आदित्य झा, आवेदक विषय की जांच करा कर खेसरा नंबर 929 को जमाबंदी में जुड़वाने के लिए राजस्व कर्मचारी और सर्किल इंस्पेक्टर को बोलता हूं रविंद्र कुमार, चौपाल सर्किल ऑफिसर मनीगाछी

 

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