ट्रेन में लैपटॉप चार्जिंग प्रतिबंधित क्यों है?

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : आजकल लैपटॉप या मोबाइल चार्ज करने हेतु SMPS डप्टर ही इस्तेमाल किया जाता है, इनकी खासियत यह है की ये बहुत उच्च दक्षता वाले होते है तथा AC और DC दोनों पर काम कर लेते है।

ट्रेन कोच की सॉकेट में 110 वाल्ट DC होता है। इस पर लैपटॉप चार्ज किया जा सकता है, बस दिक्कत ये होती है की लैपटॉप एडप्टर ज्यादा लोड देता है।

  • एक समान्य लैपटॉप एडाप्टर का आउटपुट 20 वाल्ट, 3 एम्पेयर यानि 60 watt के आसपास का होता है, कई लैपटॉप एडप्टर 150 watt के भी होते है। यानि आप लैपटॉप यूज़ करेंगे तब सप्लाई पर 60 -150 वाट का लोड पड़ेगा।
  • वही एक औसत मोबाइल एडप्टर 10 watt का होता है।
  • एक लैपटॉप उपयोगकर्ता, मोबाइल उपयोगकर्ता से 6 गुना जयादा बिजली पर लोड देगा।

ट्रेन की पावर सप्लाई सिस्टम बेसिक काम निपटाने के लिए डिज़ाइन की हुई होती है। डिज़ाइन करते समय इतना ध्यान रखा जाता है की यात्री मोबाइल ही चलाएगा न की लैपटॉप, टीवी, फ्रीज।

सो सबका मोबाइल चार्ज होता रहे न की सिर्फ आपका लैपटॉप, इसलिए हैवी लोड वाले उपकरण का उपयोग रेस्ट्रिक्ट किया जाता है।

  • जहाँ तक मुझे लगता है, वे सॉकेट सर्किट ब्रेकर से जुड़े होते होंगे, अगर कोई लैपटॉप लगाता है तो सप्लाई ट्रिप हो जाएगी जिसे रिसेट करना पड़ता होगा।

दूसरी चीज ये भी है की ट्रेन में आने वाली पावर सप्लाई उतनी शुद्ध नहीं होती है, तो कभी कभी लैपटोप एडप्टर ढंग से काम नहीं कर सकता है।

नई ट्रेने जो आ रही है उनमे लैपटॉप चार्ज करने की कोई मनाही नहीं है।

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