सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के नाक, कान और गला (ENT) विभाग में जन्मजात बहरेपन कर जांच शुरू हो गई है। BHU के सर सुंदरलाल अस्पताल के ENT विभाग में आज 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक विभाग के कमरा नंबर 22 में इस पर परामर्श दिया जाएगा। डॉक्टरों का मानना है कि जिन बच्चों में जन्म से ही बहरेपन की समस्या है उनमें से 50% को ठीक किया जा सकता है। इन बच्चों को अपनी सुनने की शक्ति वापस मिल सकती है। यहां पर 72 घंटे के अंदर बहरेपन की जांच संभव है। नाक, कान और गला विभाग के डॉ. विश्वंभर सिंह HOD प्रो. राजेश कुमार के साथ मिलकर यह शोध कर रहे हैं। डॉ. सिंह बताते हैं कि आज OPD में आएं और जांच शुरू कराएं।डॉ. सिंह ने बताया कि BHU के इंस्टिट्यूशन ऑफ एमिनेंस के तहत एक Early New Born Hearing Screening Programme शुरू किया गया है। इसी के मातहत यह एक तरह का रिसर्च है, जिसमें यह देखा जाएगा कि वाराणसी और आस-पास के जिलों में जन्म लेने वाले नवजात बच्चों को सुनने में कोई समस्या तो नहीं आ रही है। या फिर भविष्य में वे ऐसी समस्या का उन्हें सामना करना पड़ेगा।जांच में देरी से होगा नुकसान जिन बच्चों को मां के गर्भ से यह दिक्कत है तो उन्हें जन्म के दौरान या कुछ दिन बाद लाएंगे तो इस मर्ज को दूर किया जा सकेगा। यह याद रहे जितना देर होगा इलाज की संभावना उतनी ही कम होती जाएगी। अगर जन्म के बाद बच्चों को शुरू के 72 घंटे में या एक हफ्ते में नहीं ला पाते हैं, तो कम से कम BCG के डोज और इम्यूनाइजेशन के टाइम भी यहां पर लाकर जांच करा सकते हैं। तीन महीनों की उम्र तक जांच हो जाए। 6 महीने की उम्र में ऑपरेशन। संभावना है कि ऐसे बच्चे जो बोल सुन नहीं सकते, उपचार के बाद वह ठीक हो जाए और सामान्य जीवन जी सकें।इस तरह से करें जांच जन्म से तीन महीने तक क्या आपका बच्चा तेज आवाज से उठ जाता है। क्या वह आवाज सुनकर चौंकता है। 3-6 महीने तक क्या आपका बच्चा धीमी आवाज सुन लेता है। मां की आवाज को पहचान पाता है। क्या आपका बच्चा आपकी एक आवाज पर खेल छोड़कर आपके पास आ जाता है। शेष बातें ऊपर दिए गए चित्र में बताई गईं हैं।
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