सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : इस योजना से मिलेगा दिव्यांगों को नई आशा की किरण नई ऊर्जा जो अपना अंग खो चुके उन्हें दोबारा से अंग प्रत्यारोपण के माध्यम जिंदगी का आनंद उठाने का मौका प्रधान हो सकता है केंद्र सरकार ने गुरुवार को एक बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने कर्मचारियों को ऑर्गन डोनेशन के लिए 42 दिन की स्पेशल कैजुअल लीव देने का फैसला किया है. सरकार का कहना है कि बड़ी सर्जरी के बाद ठीक होने में काफी समय लगता है और इसको देखते हुए उन्होंने इतने दिन का अवकाश देने का फैसला किया है. फिलहाल 30 दिन के ऐसे विशेष अवकाश का प्रावधान है. कार्मिक मंत्रालय (MINISTRY OF PERSONNEL) के एक नए आदेश में कहा गया है कि ऑर्गन डोनर से अंग निकालना एक बड़ी सर्जरी है, जिससे रिकवर करने में समय लगता है और इसमें अस्पताल में भर्ती होने और अस्पताल में भर्ती होने के बाद का समय दोनों शामिल हैं. अंगदान को देना है बढ़ावा मंत्रालय ने यह भी कहा कि एक दूसरे इंसान की मदद करने और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बीच अंग दान को बढ़ावा देने के लिए, अब केंद्र सरकार के कर्मचारियों को अंग दान करने के लिए अधिकतम 42 दिनों की छुट्टी देने का निर्णय लिया गया है. क्योंकि यह बहुत ही नेक काम है जिससे किसी और इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती है. मंत्रालय के आदेश में आगे कहा गया है कि किसी भी तरह की ऑर्गन डोनेशन सर्जरी में, सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/चिकित्सक की सिफारिश के अनुसार स्पेशल कैजुअल लीव की अवधि अधिकतम 42 दिन होगी. मंत्रालय ने यह भी कहा कि सभी प्रकार के जीवित दाताओं को छुट्टी दी जाएगी, बशर्ते कि दाता को मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 के अनुसार सरकारी पंजीकृत चिकित्सक द्वारा दान के लिए विधिवत अनुमोदित किया गया हो. कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के परामर्श यह फैसला लिया गया. केंद्र सरकार के सभी विभागों/मंत्रालयों को जारी आदेश में कहा गया है कि विशेष आकस्मिक अवकाश को किसी अन्य अवकाश के साथ नहीं जोड़ा जाएगा. यह सिर्फ तभी हो सकता है जब सर्जरी में कोई परेशानी आ जाए या इमरजेंसी की स्थिति हो. हालांकि, अगर आपको अवकाश लेना है तो जिस दिन आप अस्पताल में भर्ती होंगे उस दिन से यह अवकाश लिया जा सकता है. और एक ही बार में यह अवकाश मिलेगा. आवश्यकता के मामले में, सरकारी पंजीकृत चिकित्सक/चिकित्सक की सिफारिश पर सर्जरी से ज्यादा से ज्यादा एक सप्ताह पहले इसका फायदा उठाया जा सकता है. हालांकि, सिर्फ स्पेशल केस में ही छुट्टियों को अलग-अलग समय पर लेने की अनुमति दी जा सकती है.
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