समाज बने आत्मनिर्भर समाज कल्याण की इस योजना की पूरी जानकारी

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :  समाजिक कल्याण न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा संचालित योजना की संपूर्ण जानकारी दिव्यांग गरीब जाति विशेष वर्ग के व्यक्तियों के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के लिए वर्ष 2018-19 में आवंटित राशि में 41.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वर्ष 2017-18 में
जहां इस वर्ग को 1237.30 करोड़ रुपए जारी किए गए थे, वहीं वर्ष 2018-19 में 1747 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।
अनुसूचित जाति की तरह अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए भी ‘वेंचर कैपिटल फंड’ शुरुआती 200 करोड़ रुपए के कोष के साथ शुरू
किया जा रहा है। गैर-क्रीमीलेयर की आय सीमा को 1 सितम्बर 2017 से बढ़ाकर आठ लाख रुपए कर दिया गया है। अन्य पिछड़ा
वर्ग की उपश्रेणियों की जांच के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) जी. रोहिणी की अध्यक्षता में 2 अक्टूबर,
2017 को आयोग का गठन किया गया, जिसने 11 नवंबर 2017 से काम करना शुरू कर दिया।
• मद्यपान और मादक पदार्थ से बचाव के लिए योजना के तहत नशा मुक्त केंद्रों के लिए मंत्रालय ने 1 अप्रैल, 2018 से लागत
राशि में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी है। नशा मुक्त केंद्रों में रसोइया और पूर्णकालिक चिकित्सक के अलावा एक चौकीदार
की भी व्यवस्था की गई है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए एकीकृत कार्यक्रम योजना के तहत लागत मानकों को 1 अप्रैल, 2015 को
110 फीसदी बढ़ाया गया था, जो आगे 1 अप्रैल, 2018 को फिर से 104 फीसदी बढ़ाया गया। योजना के तहत फिजियोथेरेपिस्ट
परिचारक/परिचारिका और योग प्रशिक्षक की सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। साथ ही घरों के पंजीयन, मानकीकरण और रेटिंग
के लिए प्रावधान तैयार किए गए हैं। श्री गहलोत ने बताया कि लागत मानदंडों में अंतिम बार संशोधन 1 अप्रैल, 2015 को
किया गया था।
राष्ट्रीय वयोश्री योजना के तहत, कुल 292 जिलों का चयन किया गया है, 52 जिलों में मूल्यांकन शिविर और 39 जिलों में वितरण
शिविर आयोजित किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से 43865 वरिष्ठ नागरिक लाभान्वित हुए हैं। बीपीएल श्रेणियों के वरिष्ठ नागरिकों
को कुल 99431 उपकरण प्रदान किए गए। पहली बार नशीली दवाओं के दुरूपयोग से होने वाले पीड़ितों की पहचान करने के
लिए राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में 185 जिलों के 1.5 लाख परिवार और 6 लाख लोगों को शामिल किया गया। सर्वेक्षण
अभी चालू है और जल्द ही इसके पूरा होने की उम्मीद है।
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) का उद्देश्य दिव्यांगों को सशक्त बनाना है। इसमें विभिन्न प्रकार के दिव्यांगजनों
को सहायता और उपकरण प्रदान करना; भवन, परिवहन और वेबसाइटों के मामले में बाधा मुक्त माहौल तैयार करना शुरुआती
उपाय, स्कूली शिक्षा, एनजीओ के माध्यम से बच्चों के व्यावसायिक प्रशिक्षण; स्कूलों, कॉलेजों में छात्रवृत्ति, पेशेवर शिक्षा और
कौशल विकास के प्रति सहायता प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है।
1995 के पुराने कानून को निरस्त कर 2016 में नया कानून लाया गया जिसका नाम ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ है।
यह कानून समानता के अधिकार, भेदभाव रहित. सामुदायिक
जीवन का अधिकार, न्याय तक पहुंच, शिक्षा, रोज़गार इत्यादि
की गारंटी देता है। अभी तक 21 प्रकार की दिव्यांगता की
पहचान की गई है, जो पहले केवल 7 प्रकार की थीं।
एडीआईपी शिविरों का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा
कि 2014 से अभी तक एडीआईपी योजना के तहत 622.
45 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जिससे देश भर में 6459
शिविरों के माध्यम से 9.97 लाख लाभार्थियों को लाभ पहुंचा।
172 अस्पतालों को कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण सर्जरी के
लिए सूचीबद्ध किया गया है और अभी तक 1142 कर्णावर्त
तंत्रिका प्रत्यारोपण सर्जरी की जा चुकी हैं। दिव्यांगों के लिए
मोटर चालित तिपहिया साइकिल की पात्रता उम्र 18 साल से
घटाकर 16 वर्ष कर दी गई है। पिछले 4 वर्षों में, 80 प्रतिशत
से अधिक दिव्यांगजनों को 5693 मोटर चालित तिपहिया साइकिल दी गई। वर्ष 2013-14 में 95.36 करोड़ रुपए के बजट को
बढ़ाकर 2018-19 के लिए दोगुने से ज्यादा 220 करोड़ कर दिया गया है।
सुगम्य भारत अभियान एक लक्षित कार्यक्रम है और यह सार्वजनिक भवनों, परिवहन, सड़क और वेबसाइटों को सुगम्य बनाने के लिए
राज्य सरकारों को पैसा प्रदान करता है। 1662 इमारतों का ऑडिट किया गया है. 613 भवनों के लिए 160.3 लाख रुपए जारी किए
गए हैं। सभी 34 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों को सुगम्य कर दिया गया है, 48 घरेलू हवाई अड्डों को सुगम्य बनाया गया है।

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