रत्नेश कुमार की कलम से:- कहते हैं तुम दिव्यांगों से कुछ ना होगा मैं कहता हूं मुझसे जो होगा वह तुमसे ना होगा| अर्थात दिल में जब जज्बा हो कुछ करने का लाख तूफान आ जाएं फिर भी वह जज्बा पूरा करके तकदीर बदलने का हौसला हम दिव्यांगों की सबसे बड़ी ताकत है| 21वीं सदी का नारा है नॉलेज इज द पावर इसे साबित किया है महान अष्टावक्र अरस्तु प्लूटो इन सब ने भी दिव्यांगों के जीवन पर शोध किया|| लुई ब्रेल जिन्होंने ब्रेल लिपि का आविष्कार दुनिया को एक नया आप आविष्कार दिया जिसकी बदौलत आज दृष्टिबाधित दिव्यांग देख पाते हैं मन की आंखों से पढ़ पाते|
लेखकों ने अपने अपने लेखों में इसका जिक्र भी किया है साथ ही साथ वर्ष बीते चले गए अंधकार से उजाले की तरफ हमने जीवन को जीना सीखा| कभी हार ना मानना संघर्ष में भी संघर्ष पताका लहराना कभी दूसरों के दिल को ना दुखाना कर्म पथ पर हमेशा आगे बढ़ते रहना|