सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज पटना:-
भूमिका
संविधान के अनूच्छेद 15 का खंड (3), अन्य बातों के साथ राज्य के बालकों के लिए विशेष उपबंध करने के लिए सशक्त करता है:
संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा अंगीकृत बालकों के अधिकारों से संबंधित अभिसमय को, जो बालक के सर्वोत्तम हितों को सुरक्षित करने के लिए सभी राज्य पक्षकारों द्वारा पालन किए जाने वाले मानकों को विहित करता है, भारत सरकार ने तारीख 11 दिसंबर, 1992 जी अंगीकृत किया है,
बालक उचित विकास के लिए यह आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति द्वारा उसकी निजता और गोपनीयता के अधिकार का सभी प्रकार से तथा बालकों को अंतवार्लित करने वली न्यायिक प्रक्रिया के सभी प्रक्रमों के माद्यम से संरक्षित और सम्मानित किया जाए;
यह अनिवार्य है कि विधि ऐसी रीति से प्रवर्तित हो कि बालक के अच्छे शारीरिक, भावात्मक, बौद्धिक और सामाजिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक प्रक्रम पर बालक के सर्वोत्तम हित और कल्याण पर सर्वोपरि महत्व के रूप में ध्यान दिया जाए;
बालक के अधिकारों से संबंधित अभिसमय के राज्य पक्षकारों से निम्नलिखित का निवारण करने के लिए समुचित राष्ट्रिय, द्विपक्षीय या बहुपक्षीय उपाय करना अपेक्षित है, –
क. किसी विधिविरुद्ध लैंगिक क्रियाकलाप में लगाने के लिए किसी बालक को उत्प्रेरित या प्रपीड़न करना;
ख. वेश्यावृति या अन्य विधिविरुद्ध लैंगिक व्यवसायों में बालकों का शोषणात्मक उपोग करना;
ग. अश्लील गतिविधियों और समाग्रियों में बालकों का शोषणात्मक उपयोग करना;
बालकों के लैंगिक शोषण और लैंगिक दुरूपयोग जघन्य अपराध हैं, और उन पर प्रभावी रूप से करवाई करने की आवश्यकता है।
भारत गणराज्य के तिरसठवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो:-
प्रारंभिक
(1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 है।
(2) इसका विस्तार जम्मू- कश्मीर राज्य के सिवाय संपुर्ण भारत पर है।
(3) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
परिभाषाएँ
(1) इस अधिनियम में, जब तक की संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
क. गुरूत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा 5 में है;
ख. गुरूत्तर लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा 9 में है;
ग. सशस्त्र बल या सुरक्षा बल से संघ के सशस्त्र बल या अनुसूची में यथाविनिर्दिष्ट
सुरक्षा बल या पुलिस बल अभिप्रेत हैं;
घ. बालक से ऐसा कोई व्यक्ति अभिप्रेत है जिसकी आयु अठारह वर्ष से कम है;
ङ. घरेलू संबंध का वह अर्थ होगा जो घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 2 के खंड (च) में हैं;
च. प्रवेशन लैंगिक हमला का वही अर्थ हैं जो धारा 3 में है;
छ. विहित से इस अधिनियम के अधीन बनाए गए नियमों द्वारा विहित अभिप्रेत है;
ज. धार्मिक संस्था का वह अर्थ होगा जो धार्मिक संस्था दुरूपयोग निवारण अधिनिम, 1988 में है;
झ. लैंगिक हमला का वही अर्थ है जो धारा 7 में है;
ञ. लैंगिक उत्पीड़न का वही अर्थ है जो धारा 11 में है;
ट. साझी गृहस्थी से ऐसी गृहस्थी अभिप्रेत है जहाँ अपराध से आरोपित व्यक्ति, बालक के साथ घरेलू नातेदारी में रहता है या किसी समय पर रह चुका है;
ठ. विशेष न्यायालय से धारा 28 के अधीन उस रूप में अभिहित कोई न्यायालय अभिप्रेत है;
ड. विशेष लोक अभियोजक से धारा 32 के अधीन नियुक्त कोई अभियोजक अभिप्रेत है।
2) उन शब्दों और पदों के. जो इसमें प्रयुक्त हैं, और परिभाषित नहीं हैं किन्तु भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973, किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में परिभाषित हैं, वही अर्थ होंगे जो उक्त संहिता या अधिनियमों में हैं।
बालकों के विरूद्ध लैंगिक अपराध
प्रवेशन लैंगिक हमला और उसके लिए दंड
कोई व्यक्ति, प्रवेशन लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है, यदि वह –
क. अपना लिंग, किसी भी सीमा तक किसी बालक की योनि, मुंह, मूत्र मार्ग या गुदा में प्रवेश करता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य बालक के साथ ऐसा करवाता है; या
ख. किसी वस्तु या शरीर के किसी ऐसे भाग को, जो लिंग नहीं है, किसी भी सीमा तक बालक की योनि, मूत्रमार्ग या गुदा में घुसेड़ता है या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के साथ ऐसा करवाता है; या
ग. बालक के शरीर के किसी भी के साथ ऐसा अभिचालन करता है जिससे वह बालक की योनि, मूत्र मार्ग या गुदा या शरीर के किसी भी भाग में प्रवेश कर सके या बालक से उसके साथ या किसी अन्य व्यक्ति के सात ऐसा करवाता है; या
घ. बालक के लिंग, योनि, गुदा या मूत्रमार्ग पर अपना मुंह लगाता है या ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति के साथ बालक से ऐसा करवाता है।
प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड
जो कोई प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला।
जो कोई, पुलिस अधिकारी होते हुए, किसी बालक पर-
- पुलिस थाने या ऐसे परिसरों की सीमाओं के भीतर जहाँ उसकी नियुक्ति की गई है: या
- किसी थाने के परिसरों में, चाहें उस पुलिस थाने में अवस्थित हैं या नहीं जिसमें उसकी नियुक्ति की गई है: या
- अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा; या
- जहाँ वह, पुलिस अधिकारी के रूप में ज्ञात हो आ उसकी पहचान की गई हो, प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई सशस्त्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए बालक पर, –
- ऐसे क्षेत्र की सीमाओं के भीतर जिसमें वह व्यक्ति तैनात है; या
- बलों या सशस्त्र बलों की कमान के अधीन किन्हीं क्षेत्रों में; या
- अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा; या
- जहाँ उक्त व्यक्ति, सुरक्षा या सशस्त्र बलों के सदस्य के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो,
जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह, संप्रेषण गृह या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के किसी अन्य स्थान का प्रबंध या कर्मचारी वृंद ऐसे जेल, प्रतिप्रेषण गृह, संप्रेषण गृह या अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के अन्य स्थान पर रह रहे बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी अस्पताल, चाहें सरकारी या प्राइवेट हो, का प्रबंध या कर्मचारी वृंद होते हुए उस अस्पताल में किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का प्रबंध या कर्मचारी वृंद होते हुए उस संस्था में किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी बालक सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला करता है।
स्पष्टीकरण – जहाँ किसी बालक पर, किसी समूह के एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा उनके सामान्य आशय को अग्रसर करने में लैंगिक हमला किया गया है वहाँऐसे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस खंड के अंतर्गत सामूहिक प्रवेशन लैंगिक हमला किया जाना समझा जाएगा और प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य ले लिए वैसी ही रीति से दायी होगा मानो वह उसके द्वारा अकेले किया गया था; या
जो कोई, किसी बालक पर घातक आयुध, अग्न्यायूध, गर्म पदार्थ या संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी बालक की घोर उपहति कारित करते हुए या शारीरिक रूप से नुकसान और क्षति करते हुए, या उसके/उसकी जननेंद्रिय को क्षति करते हुए प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है जिससे, –
- बालक शारीरिक रूप से अशक्त हो जाता है आ बालक मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम, 1987 की धारा 2 के खंड (ख) के अधीन यथापरिभाषित मानसिक रूप से रोगी हो जाता है या किसी प्रकार का ऐसा ह्रासकारित करता है जिससे बालक अस्थायी या स्थायी रूप से नियमित कार्य करने में अयोग्य हो जाता है है; या
- बालिका की दशा में, वह लैंगिक हमले के परिणामस्वरूप, गर्भवती हो जाती है;
- बालक, मानव प्रतिरक्षा ह्रास विषाणु या किसी ऐसे अन्य प्राणघातक रोग या संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है जो बालक को शारीरिक रूप से अयोग्य करके अस्थायी या स्थायी रूप से ह्रास कर सकेगा; या
जो कोई, बालक की मानसिक और शारीरिक अशक्तता का लाभ उठाते हुए बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, उसी बालक पर एक से अधिक बार या बार-बार प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बारह वर्ष से कम आयु के किसी बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई बालक का रक्त या दत्तक या विवाह या संरक्षकता द्वारा या पोषण देखभाल करने वाला नातेदार या बालक के माता-पिता के साथ घरेलू संबंध रखते हुए या जो बालक के साथ साझी गृहस्थी में रहता है, ऐसे बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक को सेवा प्रदान करे वाली किसी संस्था का स्वामी या प्रबंध या कर्मचारी वृंद होते हुए बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है;या
जो कोई किसी बालक न्यासी या प्राधिकारी के पद पर होते हुए बालक की किसी संस्था या गृह या कहीं और, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, यह जानते हुए की बालक गर्भ से है, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और बालक की हत्या करने का प्रयत्न करता है; या
जो कोई सामुदायिक या पंथिक हिंसा के दौरान बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और जो पूर्व मिस अधिनयम के अधीन कोई अपराध करने के लिए या तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई लैंगिक अपराध किए जाने के लिए दोषसिद्ध किया गया है; या
जो कोई, बालक पर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है और बालक को सावर्जनिक रूप निवस्त्र करता है या नग्न करके प्रदर्शन करता है,
वह गुरूत्तर प्रवेशन लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है।
गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमले के लिए दंड
जो कोई, गुरूतर प्रवेशन लैंगिक हमला करेगा वह कठोर कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
लैंगिक हमला
जो कोई, लैंगिक आशय से बालक की योनि, लिंग गुदा या स्तनों को स्पर्श करता है या बालक से ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति की योनि, लिंग, गुदा या स्तन का स्पर्श कराता है या लैंगिक आशय से ऐसा कोई अन्य कार्य करता है जिसमें प्रवेशन किए बिना शारीरिक संपर्क अन्तग्रस्त होता है, लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है।
लैंगिक हमले के लिए दंड
जो कोई लैंगिक हमला करेगा वह दोनों में से किसी भांति वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष सेकम की नहीं होगी किन्तु जो पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
गुरूतर लैंगिक हमला
जो कोई, पुलिस अधिकारी होते हुए, किसी बालक पर –
- पुलिस थाने या ऐसे परिसरों की सीमाओं के भीतर जहाँ उसकी नियुक्ति की गई है; या
- किसी थाने के परिसरों में चाहें उस पुलिस थाने में अवस्थित हैं या नहीं जिसमें उसकी नियुक्ति की गई है; या
- अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा; या
- जहाँ वह, पुलिस अधिकारी के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो, प्रवेशन लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, सशस्त्र बल या सुरक्षा बल का सदस्य होते हुए बालक पर, –
- ऐसे क्षेत्र की सीमाओं के भीतर जिसमें वह व्यक्ति तैनात है; या –
- सुरक्षा या सशस्त्र बलों की कमान के अधीन किन्हीं क्षेत्रों में ; या
- अपने कर्तव्यों के अनुक्रम में या अन्यथा; या
- जहाँ वह, सुरक्षा या सशस्त्र बलों के सदस्य के रूप में ज्ञात हो या उसकी पहचान की गई हो,
जो कोई लोक सेवक होते हुए, किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी जेल, प्रतिप्रेषण गृह या संरक्षण गृह या संप्रेषण गृह या तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन स्थापित अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के किसी अन्य स्थान का प्रबंध या कर्मचारी वृंद होते हुए, ऐसे जेल या प्रतिप्रेषण गृह या संरक्षण गृह या संप्रेक्षण गृह या अभिरक्षा या देखरेख और संरक्षण के अन्य स्थान पर रह रहे किसी बालक लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी अस्पताल, चाहे सरकारी या प्राइवेट हो, का प्रबंध या कर्मचारी वृंद होते हुए उसे संस्था में के किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी शैक्षणिक संस्था या धार्मिक संस्था का प्रबंध तंत्र या कर्मचारी वृंद होते हुए उस संस्था में के किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक पर सामूहिक लैंगिक हमला करता है।
स्पष्टीकरण – जहाँ किसी बालक पर, किसी समूह के एक या अधिक व्यक्तियों द्वारा उनके सामान्य आशय के अग्रसर करने में लैंगिक हमला किया गया है वहाँ ऐसे प्रत्येक व्यक्ति द्वारा इस खंड के अंतर्गत सामूहिक लैंगिक हमला किया जाना समझा जाएगा और ऐसा प्रत्येक व्यक्ति उस कृत्य के लिए वैसी ही रीति से दायी होगा मानो वह उसके द्वारा अकेले किया गया था; या
जो कोई, बालक पर घातक आयुध, अग्न्यायुध, गर्म पदार्थ या संक्षारक पदार्थ का प्रयोग करते हुए लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी बालक को घोर उपहति कारित करते हुए या शारीरिक रूप से नुकसान और क्षति करते हुए लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है जिससे-
- बालक शारीरिक रूप से अशक्त हो जाता है या बालक मानसिक स्वास्थ्य अधिनयम, 1987 की धारा 2 के खंड (ठ) के अधीन यथापरिभाषित मानसिक रूप से रोगी हो जाता है या किसी प्रकार का ऐसा ह्रासकारित करता है जिससे बालक अस्थायी या स्थायी रूप से नियमित कार्य करने में अयोग्य हो जाता है; या
- बालक, मानव प्रतीक्षाह्रास विषाणू या किसी ऐसे अन्य प्राणघातक रोग या संक्रमण से ग्रस्त हो जाता है जो बालक को शारीरिक रूप से अयोग्य, या नियमित कार्य करने में मानसिक रूप से अयोग्य करके अस्थायी या स्थायी रूप से ह्रास कर सकेगा; या
जो कोई, बालक की मानसिक और शरीरिक अशक्तता का लाभ उठाते बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक पर एक से अधिक बार – बार लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बारह वर्ष से कम आयु के किसी बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई बालक का रक्त या दत्तक या विवाह या संरक्षता द्वारा या पोषण देखभाल करने वाला नातेदार या बालक के माता-पिता के साथ घरेलू संबंध रखते हुए या जो बालक के साथ साझी गृहस्थी में रहता है, ऐसे बालक पर लैंगिक हमला करता है
जो कोई, बालक को सेवा प्रदान करने वाली किसी संस्था का स्वामी या प्रबन्ध या कर्मचारीवृंद होते हुए बालक पर लैंगिक हमला है;या
जो कोई किसी बालक के न्यासी या प्राधिकारी के पद पर होते हुए, बालक की कीस संस्था या गृह में या कहीं और, बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, यह जानते हुए कि बालक गर्भ से है, बालक पर लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक पर लैंगिक हमला करता है और बालक की हत्या करने का प्रयत्न करता है; या
जो कोई, सामुदायिक या पंथिक हिंसा के दौरान बालक लैंगिक हमला करता है; या
जो कोई, बालक लैंगिक हमला करता है और जो पूर्व में इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध करने के लिए नया तत्समय प्रवर्त्त किसी अन्य विधि के अधीन दंडनीय कोई लैंगिक अपराध किए जाने के लिए दोषसिद्ध किया गया है; या
जो कोई, बालक लैंगिक हमला करता है और बालक को सार्वजनिक रूप से निवस्त्र करता है या नग्न करके प्रदर्शन करता है,
वह गूरूतर लैंगिक हमला करता है, यह कहा जाता है।
ज. गुरूतर लैंगिक हमले के लिए दंड ।
वह गुरूत्तर लैंगिक हमला करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष से कम की नहीं होगी किन्तु जो साथ वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
झ. लैंगिक उत्पीड़न और उसके लिए दंड
कोई व्यक्ति, किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करता है, यह कहा जाता है जब ऐसा व्यक्ति लैंगिक आशय से-
- कोई शब्द कहता है या कोई ध्वनि या अंगविक्षेप करता है या कोई वस्तु या शरीर का भाग इस आशय के साथ प्रदर्शित करता है कि बालक द्वारा ऐसा शब्द या ध्वनि सूनी जाएगी या ऐसा अंग विक्षेप या वस्तु या शरीर का भाग देखा जाएगा; या ऐसा अंग विक्षेप या वस्तु या शरीर भाग देखा जाएगा; या
- किसी भाग को उसके शरीर या उसके शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करवाता है जिससे उसको ऐसे व्यक्ति या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा देखा जा सके;
- अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी प्रारूप या मीडिया में किसी बालक को कोई वस्तु दिखता है; या
- बालक को या सीधे या इलेक्ट्रोनिक, अंकीय या किसी अन्य साधनों के माध्यम से बार- बार या निरंतर पीछा करता है या देखता है या संपर्क करता है; या
- बालक के शरीर के किसी भाग या लैंगिक कृत्य में बालक के अंत ग्रस्त होने का इलेक्ट्रोनिक, फिल्म या अंकीय या किसी अन्य पद्धति के माध्यम से वास्तविक या गढ़े गए चित्रण को मीडिया के किसी रूप में उपयोग करने की धमकी देता है; या
- अश्लील प्रयोजनों के इए किसी बालक को प्रलोभन देता है या उसके लिए पारितोषक देता है।
स्पष्टीकरण – कोई प्रश्न, जिसमें लैंगिक आशय अन्तर्वलित हैं, तथ्य का प्रश्न होगा।
लैंगिक उत्पीड़न के लिए दंड
जो कोई, किसी बालक पर लैंगिक उत्पीड़न करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग और उसके लिए दंड
जो कोई, किसी बालक का, मीडिया के (जिसमें टेलिविज़न चैनलों या इंटरनेट या कोई इलेक्ट्रोनिक प्रारूप द्वारा प्रसारित कार्यक्रम या विज्ञापन चाहे ऐसे कार्यक्रम या विज्ञापन का आशय व्यक्तिगत उपयोग या वितरण के लिए हो नहीं, सम्मिलित हैं) किसी प्रारूप में ऐसे लैंगिक परितोषण के प्रयोजन के लिए उपयोग करता है, जिसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं –
क. किसी बालक की जनेनेंद्निया का प्रतिदर्शन करना;
ख. किसी बालक का उपयोग वास्तविक या नकली लैंगिक कार्यों में (प्रवेशन के साथ या उसके बिना) करना;
ग. किसी बालक का अशोभनीय या अश्लीलतापूर्ण प्रतिदर्शन करना,
वह किसी बालक का अश्लील प्रयोजनों के लिए उपयोग करने के अपराध का दोषी होगा।
स्पष्टीकरण – इस धारा के प्रयोजनों के लिए किसी बालक का उपयोग पड़ में अश्लील सामग्री को तैयार, उत्पादन, प्रस्थापन, परिषण, प्रकाशन सुकर और वितरण करने के लिए मुद्रण, इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर या किसी अन्य तकनीक के किसी माध्यम से किसी बालक को अन्तर्वलित करना सम्मिलित है।
अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक के उपयोग के लिए दंड
(1) जो कोई, अश्लील प्रयोजनों के लिए किसी बालक या बालकों का उपयोग करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि पांच वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा तथा दुसरे या पश्चातवर्ती दोषसिद्धि की दशा में, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि साथ वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
2. यदि अश्लिल प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 3 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
3. यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 5 में निर्दिष्ट किसी अपराध को अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह कठोर आजीवन कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
4. यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 7 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि छह वर्ष से कम होगी किन्तु जो आठ वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
5. यदि अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक उपयोग करने वाला व्यक्ति धारा 9 में निर्दिष्ट किसी अपराध को, अश्लील कार्यों में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेकर करेगा, वह किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि आठ वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
बालक को सम्मिलित करने के लिए अश्लील सामग्री के भंडारण के लिए दंड
कोई व्यक्ति जो वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए बालक सम्मिलित करते हुए किसी अश्लील सामग्री का किसी भी रूप में भंडारकरण करेगा, वह किसी भांति के कारावास से, जो तीन वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।
किसी अपराध का दूष्प्रेरणा और उसको करने कके लिए प्रयत्न
- उस अपराध को करने के लिए किसी व्यक्ति को उकसाता है; अथवा
- उस अपराध को करने के लिए किसी षड्यंत्र में एक या अधिक अन्य व्यक्ति या व्यक्तियों के साथ सम्मिलित होता हो, यदि उस षड्यंत्र के अनुसरण में, और उस अपराध को करने के उद्देश्य से, कोई कार्य या अवैध लोप घटित हो जाए; अथवा
- उस अपराध के लिए किए जाने में किसी कार्य या अवैध लोप द्वारा साशय सहायता करता है।
स्पष्टीकरण 1- कोई व्यक्ति जो जानबूझकर दूर्व्यपदेशन द्वारा या तात्त्विक तथ्य, जिसे प्रकट करने के लिए वह आबद्ध है, जनबूझकर छिपाने द्वारा, स्वेच्छया किसी अपराध का किया जानाकारित या उपाप्त करता है अथवा कारित या उपाप्त करने का प्रयत्न करता है, वह उस अपराध का किया जाना उकसाता है, यह कहा जाता है।
स्पष्टीकरण 2- जो कोई या तो किसी कार्य के किए जाने से पूर्व किए जाने के , उस कार्य के किए जाने को सूकर बनाने के लिए कोई कार्य करता है और तद्द्वारा उसके किए जाने को सुकर बनाता है, वह उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।
स्पष्टीकरण 3- जोई कोई किसी बालक को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के प्रयोजन के लिए धमकी या बल प्रयोग या प्रपीड़न के अन्य रूप, अपरहण, कपट, प्रवंचना, शक्ति या स्थिति के दुरूपयोग, भेद्यता या संदायों को देने या प्राप्त करने या अन्य व्यकित पर नियंत्रण रखने वाले किसी व्यक्ति की सहमित प्राप्त करने के लिए फायदों के माध्यम से नियोजित करता है, आश्रय देता है या उसे प्राप्त या परिवहित करता है, उस कार्य के करने में सहायता करता है, यह कहा जाता है।
दुष्प्रेरणा के लिए दंड
जो कोई इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का दुष्प्रेरणा करता है, यदि दुष्प्रेरित कार्य दुष्प्रेरणा के परिणाम स्वरूप किया जाता है, तो वह उस दंड से दंडित किया जाएगा जो उस अपराध के लिए उपबंधित है।
स्पष्टीकरण – कोई कार्य या अपराध दुष्प्रेरणा के परिणामस्वरूप किया गया तब कहा जाता है, जब वह उस उकसाहट के परिणामस्वरूप या उस षड्यंत्र के अनुसरण में या उस सहायता से किया जाता है, जिससे दुष्प्रेरणा गठित होता है।
किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दंड
जो कोई इस अधिनियम के अधीन दंडनीय किसी अपराध के करने का प्रयत्न करेगा या किसी अपराध को करवाएगा और ऐसे प्रयत्न में अपराध करने हेतु कोई कार्य करेगा वह अपराध के लिए उपबंधित किसी भांति के ऐसे कारावास से, यथास्थिति, जिसकी अवधि आजीवन कारावास के आधे तक की या उस अपराध के लिए उपबंधित कारावास से जिसकी अवधि दीर्घतम अवधि के आधे तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडनीय होगा।
मामलों की रिपोर्ट करने के लिए प्रक्रिया
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति (जिसके अंतर्गत बालक भी है) जिसको यह आंशका है कि इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किए जाने की संभावना है या यह जानकारी रखता है कि ऐसा कोई अपराध किया गया है, वह निम्नलिखित को ऐसी जानकारी उपलब्ध कराएगा :-
(i) विशेष किशोर पुलिस यूनिट; या
(ii) स्थानीय पुलिस।
(2) उपधारा (1) के अधीन दी गई प्रत्येक रिपोर्ट में-
क. एक प्रविष्टि संख्या अंकित होगी और लेखबद्ध की जाएगी:
ख. सूचना देने वाले को पढ़कर सुनाई जाएगी;
ग. पुलिस यूनिट द्वारा रखी जाने वाली पुस्तिका में प्रविष्ट की जाएगी।
(3) जहाँ उपधारा (1) के अधीन रिपोर्ट बालक द्वारा दी गई है, उसे उपधारा (2) के अधीन सरल भाषा में अभिलिखित किया जाएगा जिससे बालक अभिलिखित की जा रही अंतर्वस्तुओं के समझ सके।
(4) यदि बालक द्वारा नहीं समझी जाने वाली भाषा में अंतर्वस्तु अभिलिखित की जा रही है या बालक यदि वह उसको समझने में असफल रहता है तो कोई अनुवादक या कोई दुभाषिया जो ऐसी अहर्ताएं, अनुभव रखता हो और ऐसी फ़ीस के सन्दे पर जो विहित की जाए, जब कभी आवश्यक समझा जाए, उपलब्ध कराया जाएगा।
(5) यहाँ विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस का यह समाधान हो जाता है कि उस बालक हो, जिसके विरूद्ध कोई अपराध किया गया है, देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता है तब रिपोर्ट के चौबीस घंटे के भीतर कारणों को लेखबद्ध करने के पश्चात उसको यथाविहित ऐसी देख रेख और संरक्षण में (जिसके अंतर्गत बालक को संरक्षण गृह या निकटम अस्पताल में भर्ती किया जाना भी है) रखने की तुरंत व्यवस्था करेगी।
(6) विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस अनावश्यक विलंब के बिना किन्तु चौबीस घंटे की अवधि के भीतर मामले को बालक कल्याण समिति और विशेष न्यायालय या जहाँ कोई विशेष न्यायालय पदाभिहित नहीं किया गया है वहाँ सेशन न्यायालय को रिपोर्ट करेगी, जिसके अंतर्गत बालक की देखभाल और संरक्षण के लिए आवश्यकता और इस संबंध में किए गए उपाय भी हैं।
(7) उपधारा (1) के प्रयोजन के लिए सद्भावपूर्वक दी गई जानकारी के लिए किसी व्यक्ति द्वारा सिविल या दांडिक कोई दायित्व उपगत नहीं होगा।
क. मामले की रिपोर्ट करने के लिए मीडिया स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
मीडिया या होटल या लॉज या अस्पताल या क्लब स्टूडियों या फोटो चित्रण संबंधी सुविधाओं का कोई कार्मिक, चाहें जिस नाम से ज्ञात हो, उनमें नियोजित व्यक्तियों की संख्या को दृष्टि में लाए बिना किसी ऐसी सामग्री या वस्तु की किसी माध्यम के उपयोग से, जो किसी बालक के लैंगिक शोषण संबंधी है, (जिसके अंतर्गत अश्लील साहित्य, लिंग संबंधी या बालक या बालकों का अश्लील प्रदर्शन करना भी है), यथास्थिति, विशेष किशोर पुलिस यूनिट या स्थानीय पुलिस को ऐसी जानकरी उपलब्ध कराएगा।
मामले की रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिए दंड
(1) कोई व्यक्ति जो धारा 19 की उपधारा (1) या धारा 20 के अधीन किसी अपराध के किए जाने की रिपोर्ट करने में विफल रहेगा या जो धारा 19 की उपधारा (2) के अधीन ऐसे अपराध को अभिलिखित करने में विफल रहेगा, वह किसी भी भांति के कारावास से, जो छह मास तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।
(2) किसी कंपनी या किसी संस्था (चाहें जिस नाम से ज्ञात हो) का भारसाधक कोई व्यक्ति जो अपने नियंत्रणाधीन किसी अधीनस्थ के संबंध में धारा 19 की उपधारा (1) के अधीन किसी अधीन अपराध के किए जाने की रिपोर्ट करने में विफल रहेगा, वह ऐसी अवधि के कारावास से जो एक वर्ष तक का हो सकेगा और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
(3) उपधारा (1) के उपबंध इस अधिनियम के अधीन किसी बालक को लागू नहीं होगें।
मिथ्या परिवाद या मिथ्या सूचना के लिए दंड
(1) कोई व्यक्ति जो धारा 3, धारा 5, धारा 7, और धारा 9 के अधीन किए गए किसी अपराध के संबंध में किसी व्यक्ति के विरूद्ध उसको अपमानित करने, उद्दापित करने या धमकाने या उसकी मानहानि करने के एकमात्र आशय से मिथ्या परिवाद करेगा या मिथ्या सूचना उपलब्ध कराएगा, वह ऐसे कारावास से, जो छह मासाद तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
(2) जहाँ किसी बालक द्वारा कोई मिथ्या परिवाद किया गया है या मिथ्या सूचना उपलब्ध कराई गई है, वहाँ ऐसे बालक पर कोई दंड अधिरोपित नहीं किया जाएगा।
(3) जो कोई बालक नहीं होते हुए, किसी बालक के विरूद्ध कोई मिथ्या परिवाद करेगा या मिथ्या सूचना उसको मिथ्या जानते हुए उपलब्ध कराएगा जिसके द्वारा ऐसा बालक इस अधिनियम के अधीन किन्हीं अपराधों के लिए उत्पीड़न हो, वह ऐसे कारावास से, जो एक वर्ष तक का हो सकेगा या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।
मीडिया के लिए प्रक्रिया।
(1) कोई व्यक्ति, किसी भी प्रकार के मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी सुविधाओं से, कोई पूर्ण या अधिप्रमाणित सूचना रखे बिना, किसी बालक के संबंध में कोई ऐसी रिपोर्ट नहीं करेगा या उस पर कोई ऐसी टिका- टिप्पणी नहीं करेगा जिससे उसकी ख्याति का हनन या उसकी निजता का अतिलंघन होना प्रभावित होता हो।
(2) किसी मीडिया में कोई रिपोर्ट, बालक की पहचान को, जिसके अंतर्गत उसका नाम, पता, फोटोचित्र, परिवार के ब्यौरा, विद्यालय, पड़ोस या कोई ऐसी अन्य विशिष्टियां भी हैं, जिनसे बालक की पहचान का प्रकटन होता हो, प्रकट नहीं करेगी:
परंतु ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किए जायेंगे, अधिनियम के अधीन मामले का विचारण करने, के लिए सक्षम विशेष न्यायालय ऐसे प्रकटन केलिए अनुज्ञात कर सकेगा यदि उसकी राय में ऐसा प्रकटन बालक के हित में है।
(3) मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी सुविधाओं का कोई प्रकाशक या स्वामी, संयुक्त रूप से रूप और पृथक रूप से अपनी कर्मचारी के कार्यों और लोपों के लिए दायित्वधीन होगा।
(4) कोई व्यक्ति जो उपधारा (1) या उपधारा (2) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास से कम की नहीं होगी किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से दोनों से, दंडित किए जाने के लिए दायी होगा।
बालक के कथनों को अभिलिखित करने के लिए प्रक्रिया
बालक के कथन अभिलिखित किया जाना
(1) बालक के कथन, बालक के निवास पर या ऐसे स्थान पर जहाँ वह साधारणतया निवास करता है या उसकी पंसद के स्थान पर और यथासाध्य, उप- निरीक्षक की पंक्ति से अन्यून किसी महिला पुलिस अधिकारी द्वारा अभिलिखित किया जाएगा।
(2) बालक के कथन को अभिलिखित किए जाते समय पुलिस अधिकारी वर्दी में नहीं होगा।
(3) अन्वेषण करने वाला पुलिस अधिकारी, बालक की परीक्षा करते समय यह सुनिश्चित करेगा कि बालक किसी भी समय पर अभियुक्त के किसी भी प्रकार से संपर्क में न आए।
(4) किसी बालक को किसी भी कारण से रात्रि में किसी पुलिस स्टेशन में निरूद्ध नहीं किया जाएगा।
(5) पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि बालक की पहचान पब्लिक मीडिया से तब तक संरक्षित की है जब तक कि बालक के हित में विशेष न्यायालय द्वारा अन्यथा निदेशित न किया गया हो।
मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन
(1) यदि बालक का कथन, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (जिसे इसमें इसके पश्चात संहिता कहा गया है) की धारा 164 के अधीन अभिलिखित किया जाता है तो उसमें अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी ऐसे कथन को अभिलिखित करने वाला मजिस्ट्रेट बालक द्वारा बोले गए अनुसार कथन को अभिलिखित करेगा:
परंतु संहिता की धारा 164 की उपधारा (1) के प्रथम परंतुक में अंतर्विष्ट उपबंध, जहाँ तक वह अभियुक्त के अधिवक्ता की उपस्थिति अनुज्ञात करता है, इस मामले में लागू नहीं होगा।
(2) मजिस्ट्रेट, उस संहिता की धारा 173 के अधीन पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट फ़ाइल किए जाने पर, बालक और उसके माता-पिता, या उसके प्रतिनिधि को संहिता की धारा 207 के अधीन विनिर्दिष्ट दस्तावेज की एक प्रति, प्रदान करेगा।
अभिलिखित किए जाने वाले कथन के संबंध में अतिरिक्त उपबंध
(1) यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, बालक के माता-पिता या ऐसे किसी अन्य व्यक्ति की, जिसमें बालक का भरोसा या विश्वास है, उपस्थिति में बालक द्वारा बोले गए अनुसार कथन अभिलिखित करेगा।
(2) जहाँ आवश्यक है, वहाँ, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी, बालक का कथन अभिलिखित करते समय किसी अनुवादक या किसी दुभाषिए की, जो ऐसी अहर्ताएं, अनुभव रखता हो और ऐसी फ़ीस के संदाय पर जो विहित की जाए, सहायता ले सकेगा।
(3) यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी किसी बालक का कथन अभिलिखित करने के लिए मानसिक या शारीरिक नि: शक्तता: वाले बालक के मामले में किसी विशेष शिक्षक या बालक से संपर्क की रीति से सुपरिचित किसी व्यक्ति या उस क्षेत्र में किसी विशेषज्ञ की, जो ऐसी अहर्ताएं, अनुभव रखता हो और ऐसी फ़ीस के संदाय पर जो विहित की जाए, की सहायता ले सकेगा।
(4) जहाँ संभव है, वहां, यथास्थिति, मजिस्ट्रेट या पुलिस अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि बालक का कथन श्रव्य – दृश्य इलेक्ट्रोनिक माध्यमों से भी अभिलिखित किया जाए।
बालक की चिकित्सीय परीक्षा
(1) उस बालक की चिकित्सीय परीक्षा, जिसके संबंध में इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध किया है, इस बात के होते हुए भी इस अधिनियम के अधीन अपराधों के लिए कोई प्रथम सूचना रिपोर्ट या परिवाद रजिस्ट्रीकृत नहीं किया गया है, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 164 क के अनुसार की जाएगी।
(2) यदि पीड़ित कोई बालिका है तो चिकित्सीय परीक्षा किसी महिला डॉक्टर द्वारा की जाएगी।
(3) चिकित्सीय परीक्षा बालक के माता-पिता या किसी ऐसे अन्य व्यक्ति, बालक की चिकित्सीय परीक्षा के दौरान किसी कारण से उपस्थित नहीं हो सकता है तो चिकित्सीय परीक्षा,चिकित्सा संस्था के प्रमुख द्वारा नामनिर्दिष्ट किसी महिला की उपस्थिति में की जाएगी।
विशेष न्यायालय
विशेष न्यायालयों को अभिहित किया जाना
(1) त्वरित विचरण उपलब्ध कराने के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिला के लिएनिस अधिनियम के अधीन अपराधों का विचारण करने के लिए किसी सेशन न्यायालय को एक विशेष न्यायालय होने के लिए, अभिहित करेगी:
परन्तु यदि किसी सेशन न्यायालय को, बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 या तत्समय प्रवृत किसी अन्य विधि के अधीन उन्हीं प्रयोजनों के लिए अभिहित किसी विशेष न्यायालय को, बालक न्यायालय के रूप में अधिसूचित कर दिया है, तो ऐसे न्यायालय के रूप में अधिसूचित कर दिया है, तो ऐसा न्यायालय इस धारा के अधीन विशेष न्यायालय समझा जाएगा।
(2) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध का विचारण करते समय कोई विशेष न्यायालय किसी ऐसे अपराध का [उपधारा (1) में निर्दिष्ट किसी अपराध से भिन्न] विचारण भी करेगा जिसके साथ अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अधीन उसी विचारण में आरोपित किया जा सकेगा।
(3) इस अधिनियम के अधीन गठित विशेष न्यायालय को, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 में किसी बात के होते हुए भी, उस अधिनियम की धारा 67 ख के अधीन अपराधों का, जहाँ तक वे किसी कृत्य या व्यवहार या रीति में बालकों को चित्रित करने वाली लैंगिक प्रकटन सामग्री के प्रकाशन या पारेषण से संबंधित है, या बालकों का ऑन- लाइन दुरूपयोग सुकर बनाते हैं, विचारण करने की अधिकारित होगी।
कतिपय अपराधों के बारे में उपधारणा
(1) इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के इस किसी अभियोजन में, जो अभियुक्त की ओर से अपराधिक मानसिक स्थिति की अपेक्षा करता है, विशेष न्यायालय ऐसी मानसिक की दशा की विद्यमानता की उपधारणा करेगा, किन्तु अभियुक्त के इए यह तथ्य साबित करने के लिए प्रतिरक्षा होगी कि उस अभियोजन में किसी अपराध के रूप में आरोपित कृत्य के संबंध में उसकी ऐसी मानसिक दशा नहीं थी।
(2) इस धारा के प्रयोजनों के लिए किसी तथ्य का साबित किया जाना केवल तभी कहा जाएगा जब विशेष न्यायालय उसके युक्तियुक्त संदेह से परे विद्यमान होने पर विश्वास करता है और केवल तब नहीं जब इसकी विद्यमान संभाव्यता की प्रबलता द्वारा स्थापित होती है।
स्पष्टीकरण – इस धारा में “अपराधिक मानसिक दशा” के अंतर्गत आशय, हेतुक, किसी तथ्य का ज्ञान और किसी तथ्य में विश्वास किए जाने का कारण भी है।
विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 का लागू होना
इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के उपबंध (जमानत और बंधपत्र विषयक उपबंधों सहित) किसी विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहियों को लागू होंगे और उक्त उपबंधों के प्रयोजनों कें लिए विशेष न्यायालय को सेशन न्यायालय समझा जाएगा तथा विशेष न्यायालय के समक्ष अभियोजन का संचालन करने वाले व्यक्ति को, लोक अभियोजक समझा जाएगा।
विशेष लोक अभियोजक
(1) राज्य सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, केवल इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन मामलों का संचालन करने के लिए प्रत्येक विशेष न्यायालय के लिए एक विशेष लोक अभियोजक की, नियुक्ति करेगी।
(2) उपधारा (1) के अधीन विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किए जाने के लिए कोई व्यक्ति केवल तभी पात्र होगा यदि उसने सात वर्ष से अन्यून अवधि के लिए अधिवक्ता के रूप में विधि व्यवसाय किया हो।
(3) इस धारा के अधीन विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त प्रत्येक व्यक्ति, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 2 खंड (प) के अंतर्गत एक लोक अभियोजक समझा जाएगा और उस संहिता के उपबंध तदनुसार प्रभावी होंगे।
विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियाँ तथा साक्ष्य का अभिलेखन
विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियाँ
(1) कोई विशेष न्यायालय, अभियुक्त को विचारण के लिए उसको सुपूर्द किए बिना किसी अपराध का संज्ञान ऐसे अपराध का गठन करने वाले तथ्यों का परवाद प्राप्त होने पर या ऐसे तथ्यों की पुलिस रिपोर्ट पर, ले सकेगा।
(2) यथास्थिति, विशेष लोक अभियोजक या अभियुक्त के लिए उपसंजात होने वाला कौंसिल बालक की मुख्य परीक्षा, प्रतिपरीक्षा, या पुन: परीक्षा अभिलिखित करते समय बालक से पूछे जाने वाले प्रश्नों को, विशेष न्यायालय को संसूचित करेगा जो क्रम से उन प्रश्नों को बालक के समक्ष रखेगा।
(3) विशेष न्यायालय, यदि वह आवश्यक समझे, विचारण के दौरान बालक के लिए बार-बार विराम अनुज्ञात कर सकेगा।
(4) विशेष न्यायालय, बालक के परिवार के किसी सदस्य, संरक्षक, मीटर या नातेदार की, जिसमें बालक का भरोसा और विश्वास है, न्यायालय में उपस्थिति अनुज्ञात करके बाक के लिए मित्रतापूर्ण वातावरण सृजित करेगा।
(5) विशेष न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि बालक को न्यायालय में साक्ष्य देने के लिए बार – बार नहीं बुलाया जाए।
(6) विशेष न्यायालय, विचारण के दौरान आक्रामक या बालक के चरित्र हनन संबंधी प्रश्न पूछने के लिए अनुज्ञात नहीं करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि सभी समय बालक की गरिमा बनाए रखी जाए।
(7) विशेष न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि अन्वेषण या विचारण के दौरान किसी भी समय बालक की पहचान प्रकट नहीं की जाए;
परंतु ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किए जाएँ, विशेष न्यायालय ऐसे प्रकटन की अनुज्ञा दे सकेगा, यदि उसकी राय में ऐसा प्रकटन बालक के हित में है।
स्पष्टीकरण – इस उपधारा के प्रयोजनों के लिए, बालक की पहचान में, बालक के कूटूम्ब, विद्यालय, नातेदार, पड़ोसी की पहचान या कोई अन्य सूचना जिसके द्वारा बालक की पहचान का पता चल सके सम्मीलित होंगे।
(8) समुचित मामलों में विशेष न्यायालय, दंड के अतिरिक्त, बालक को कारित किसी शारीरिक या मानसिक आघात के लिए या ऐसे बालक तुरंत पुनर्वास के लिए उसको ऐसे प्रतिकार के संदाय का निदेश दे सकेगा जो विहित किया जाए।
(9) इस अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए विशेष न्यायालय को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के विचारण के प्रयोजन के लिए सेशन न्यायालय की सभी शक्तियाँ होंगी और ऐसे अपराध का विचारण ऐसे करेगा, मानो वह सेशन न्यायालय हो, और यथाशक्ति सेशन न्यायालय के समक्ष विचारण के लिए दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 में विनिर्दिष्ट प्रक्रिया का अनुसरण करेगा।
बालक द्वारा अपराध किए जाने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु का अवधारण करने के मामले में प्रक्रिया
(1) जहाँ इस अधिनियम के अधीन कोई अपराध, किसी बालक द्वारा किया जाता है वहाँ ऐसे बालक किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2000, के उपबंधों के अधीन करवाई की जाएगी।
(2) यदि विशेष न्यायालय के समक्ष किसी कार्यवाही में इस संबंध में कोई प्रश्न उठता है कि कोई व्यक्ति बालक नहीं तो ऐसे प्रश्न का अवधारणा विशेष न्यायालय द्वारा ऐसे व्यक्ति की आयु के बारे में स्वयं का समाधान करने के पश्चात् किया जाएगा और वह ऐसे अवधारणा के लिए उसके कारणों को लेख बद्ध करेगा।
(3) विशेष न्यायालय द्वारा किया गया कोई आदेश केवल पश्चातवर्ती सबूत के कारण अविधिमान्य नहीं समझा जाएगा की उपधारा (2) के अधीन उसके द्वारा यथा अवधारित किसी व्यक्ति की आयु उस व्यक्ति की सही आयु नहीं थी।
बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि
(1) बालक के साक्ष्य को विशेष न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लिए जाने के तीस दिन के भीतर अभिलिखित किया जाएगा और विलंब के लिए कारण, यदि कोई हों, विशेष न्यायालय द्वारा अभिलिखित किए जाएंगे।
(2) विशेष न्यायालय, यथासंभव, अपराध का संज्ञान लिए जाने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर विचारण पूरा करेगा।
साक्ष्य देते समय बालक का अभियुक्त को न दिखना।
(1) बालक के साक्ष्य को विशेष न्यायालय द्वारा अपराध का संज्ञान लिए जाने के तीस दिन के भीतर अभिलिखित किया जाएगा और विलंब के लिए कारण, यदि कोई हों, विशेष न्ययालय द्वारा अभिलिखित किए जाएंगे।
(2) विशेष न्यायालय, यथासंभव, अपराध का संज्ञान लिए जाने की तारीख से एक वर्ष की अवधि के भीतर विचारण पूरा करेगा।
साक्ष्य देते समय बालक का अभियुक्त को न दिखना
(1) विशेष न्यायालय यह सुनिश्चित करेगा कि बालक किसी प्रकार से साक्ष्य को अभिलिखित करते समय अभियुक्त के सामने अभिदार्षित नहीं किया गया है, जब कि उसी समय यह सुनिश्चित करेगा कि अभियुक्त उस बालक का कथन सुनने और अपने अधिवक्ता के संपर्क में है।
(2) उपधारा (1) का प्रयोजन के लिए विशेष न्यायालय, बालक का कथन वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से या एकल दृश्य दर्पण या पर्दा या ऐसी ही अन्य युक्ति का उपयोग करके अभिलिखित कर सकेगा।
विचारण का बंद कमरे से संचालन।
विशेष न्यायालय, मामलों का विचारण बंद कमरे में और बालक के माता-पिता या किसी ऐसे अनुवादक या दुभाषिए, जो ऐसी अहर्ताएं, अनुभव रखता हो और ऐसी फ़ीस के संदाय पर, जो विहित की जाए, की सहायता ले सकेगा।
(2) यदि बालक मानसिक या शारीरिक रूप से नि:शक्त है तो विशेष न्यायालय, बालक का साक्ष्य अभिलिखित करने के लिए किसी विशेष शिक्षक या बालक से संपर्क की रीति से सुपरिचित किसी व्यक्ति या उस क्षेत्र में किसी विशेषज्ञ, जो ऐसे अहर्ताएं, अनुभव रखता हो और ऐसे फ़ीस के संदाय पर जो विहित की जाए, की सहायता ले सकेगा।
प्रकीर्ण 15
विशेषज्ञा आदि की सहायता लेने के लिए बालक के लिए मार्गनिर्देश
राज्य/सरकार, ऐसे नियमों केअधीन रहते हुए जो इस निमित्त बनाये जाएँ, गैर – सरकारी संगठनों, वृत्तकों और विशेषज्ञों या व्यक्तियों जिनके पास मनोविज्ञान,सामाजिक कार्य, चिकित्सीय स्वास्थय, मानसिक स्वास्थय और बाल विकास में ज्ञान है, बालक की श्सयता करने के लिए पूर्व विचारण और विचारण प्रक्रम पर सहयोजित करने के लिए मार्गनिर्देश तैयार करेगी।
विधिक कौंसिल की सहायता लेने का बालक का अधिकार
दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 301 के परन्तुक के अधीन रहते हुए बालक का कूटूम्ब या संरक्षक इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध के लिए अपनी पसंद के विधिक कौंसिल की सहायता लेने के लिए हक़दार होंगे।
परंतु यदि बालक का कूटूम्ब या संरक्षक विधिक कौंसिल का व्यय वहन करने में असर्मथ है तो विधिक सेवा प्राधिकरण उसकी वकील उपलब्ध कराएगा।
कतिपय मामलों में धारा 3 से धारा 13 तक के उपबंधों का लागू न होना
धारा 3 से धारा 13 (जिसमें दोनों सम्मिलित हैं) तक के उपबंध बालक की चिकित्सीय परीक्षा या चिकित्सीय उपचार की दशा में तब लागू नहीं होंगें जब ऐसी चिकित्सकीय परीक्षा या चिकित्सीय उपचार उसके माता-पिता या संरक्षक की सहमित से किए जा रहे हों।
अनूकल्पिक दंड
जहाँ कोई कार्य या लोप इस अधिनियम और तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि के अधीन भी दंडनीय कोई अपराध गठित करता है वहाँ तत्समय प्रवृत्त किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे अपराध के लिए दोषी पाया गया अपराधी केवल उस दंड का भागी होगा जो ऐसी विधि या इस अधिनियम के अधीन मात्रा में गुरूतर हो।
अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता
केन्द्रीय सरकार और प्रत्येक राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी उपाय करेंगी की-
क) साधारण जनता, बालकों के साथ ही उनके माता – पिता और संरक्षकों को इस अधिनियम के उपबंधों के प्रति जागरूक बनाने के लिए इस अधिनियम के उपबंधों का मीडिया, जिसके अंतर्गत टेलीविजन, रेडियो और प्रिंट मीडिया भी सम्मिलित है, के माध्यम से नियमित अंतरालों पर व्यापक प्रचार किया जाता है;
ख) केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारों के अधिकारीयों और अन्य संबंद्ध व्यक्तियों )जिसके अंतर्गत पुलिस अधिकारी भी हैं) को अधिनियम के उपबंधों के कार्यान्यवन से संबंधित विषयों पर आवधिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
अधिनियम के क्रियान्वयन की मानीटरी।
(1) यथा स्थिति, बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 3 के अदीन गठित बालक अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रिय आयोग या धारा 17 के अधीन गठित बालक अधिकार संरक्षण के लिए राष्ट्रीय आयोग या धारा 17 के अधीन गठित बालक अधिकार संरक्षण के लिए राज्य आयोग, उस अधिनियम के अधीन उनको समनुदेशित कृतियों के अतिरिक्त इस अधिनियम के उपबंधों के क्रियान्वयन की मानीटरी ऐसी रीति से, जो विहित की जाए, करेंगे।
(2) उपधारा (1) में निर्दिष्ट, यथास्थिति, राष्ट्रीय आयोग या राज्य आयोग को इस अधिनियम के अधीन किसी अपराध से संबंधित किसी मामले के जाँच करते समय वही शक्तियाँ होंगी जो उनको बालक अधिकार संरक्षण आयोग, अधिनियम, 2005 के अधीन निहित की गई है।
(3) उपधारा (1) में निर्दिष्ट, यथास्थिति, राष्ट्रिय आयोग या राज्य आयोग इस धारा के अधीन उनके कार्यकलापों को, बालक अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 की धारा 16 में निर्दिष्ट रिपोर्ट में भी सम्मिलित करेंगे।
नियम बनाने की शक्ति।
(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए राजपत्र में अधिसूचना द्वारा नियम बना सकेगी।
(2) विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऐसे नियम निम्नलिखित सभी या किन्हीं विषयों के लिए उपबंध कर सकेंगे, अर्थात :-
(क) धारा 19 की उपधारा (4) धारा 26 उपधारा (2) और उपधारा (3) तथा धारा 38 के अधीन किसी अधीन किसी अनुवादक या दुभाषिया, किसी विशेष शिक्षक या बालक संपर्क करने की रीति से सुपरिचित किसी व्यक्ति या उस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ की अहर्ताएं और अनुभव तथा संदेय फ़ीस;
(ख) धारा 19 की उपधारा (5) के अधीन बालक की देखभाल और संरक्षण तथा आपात चिकित्सीय उपचार;
(ग) धारा 33 की उपधारा (8) के अधीन प्रतिकार का संदाय;
(घ) धारा 44 की उपधारा (1) के अधीन अधिनियम के उपबंधों की आवधिक मानीटरी की रीति।
(3) इस धारा के अधीन बनाया गया प्रत्येक नियम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष जब वह स्तर में हो, कुल तीस दिन की अवधि केंलिए रखा जाएगा। यह अवधि एक स्तर में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी। यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रमिक सत्रों के गतिक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएँ तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रूप में ही प्रभावी होगा। यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएँ कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात वह निष्प्रभाव हो जाएगा किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निष्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति
(1) यदि इस अधिनियम के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में प्रकाशित आदेश द्वारा, ऐसे उपबंध कर सकेगी, जो उसे कठिनाइयाँ दूर करने के लिए आवश्यक या समीचीन प्रतीत हों और जो इस अधिनियम के उपबंधों से असंगत न हों;
परंतु कोई आदेश इस धारा के अदीन इस अधिनियम के प्रारंभ से दो वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात नहीं किया जाएगा।
(2) इस धारा के अधीन किया गया प्रत्येक आदेश किए जाने के पश्चात, यथाशीघ्र, ससंद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखा जाएगा।
अनुसूची
[धारा 2 (ग) देखिए]
क. वायु सेना अधिनियम, 1950 (1950 का 45);
ख. सेना अधिनियम, 1950 (1950 का 46);
ग. असम राइफल्स अधिनियम,म 2006 (2006 का 47);
घ. बंबई होमगार्ड अधिनियम, 1947 (1947 का 3);
ङ. सीमा सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 (1968 का 47);
च. केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अधिनियम, 1968 (1968 का 50);
छ. केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल अधिनियम, 1949 (1949 का 66);
ज. तटरक्षक अधिनियम, 1978 (1978 का 30);
झ. दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम, 1946 (1946 का 25);
ञ. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल अधिनियम, 1992 (1992 का 35);
ट. नौसेना अधिनियम, 1957 (1957 का 62);
ठ. राष्ट्रिय अन्वेषण अभिकरण, अधिनियम, 2008 (2008 का 34);
ड. राष्ट्रिय सुरक्षक अधिनियम, 1986 (1986 का 47);
ढ. रेल संरक्षण बल अधिनियम, 1957 (1957 का 23);
ण.सशत्र सीमा बल अधिनियम, 2007 (2007 का 53);
त. विशेष संरक्षा ग्रुप अधिनियम, 1988 (1988 का 34);
थ. प्रादेशिक सेना अधिनियम, 1948 (1948 का 56);
द. राज्य की सिविल बालों की सहायता करने के लिए अरु आतंरिक अशांति के दौरान दलों को नियोजित करने के लिए या अन्यथा जिनके अंतर्गत सशस्त्र बल (विशेष शंक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (1958 का 28) की धारा 2 के खंड (क) में यथा परिभाषित सशस्त्र बल भी हैं, राज्य विधियों के अधीन गठित राज्य पुलिस बल (जिनके अंतर्गत सशस्त्र कांस्टेबुलरी भी हैं)।