सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज:-
उद्देश्य
योजना के उददेश्य निम्नानुसार हैं-
- समान अवसर, समानता, सामाजिक न्याय और दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए सुगम वातावरण सृजित करना।
- दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त को विकलांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 2016के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए स्वतः कार्रवाई को बढ़ावा देना।
अनुदान के लिए पात्र घटक/क्रियाकलाप
योजना के अंतर्गत निम्नलिखित मॉडल परियोजनाओं को सहायता दी जाती है-
- प्रि-स्कूल तथा प्रारंभिक हस्तक्षेप और प्रशिक्षण हेतु परियोजना
- विशेष स्कूल
- सेरेबल पाल्सी वाले बच्चों हेतु परियोजना
- व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्र
- शैल्टर्ड वर्कशाप
- कुष्ठ रोग उपचारित व्यक्तियों के पुनर्वास हेतु परियोजना
- उपचारित और नियंत्रित मानसिक रूग्ण व्यक्तियों के मनोसामाजिक पुनर्वास हेतु हॉफ-वे होम
- सर्वे, पहचान, जागरूकता और सुग्राह्ीकरण से संबंधित परियोजना
- गृह आधारित पुनर्वास कार्यक्रम/गृह प्रबंध कार्यक्रम
- समुदाय आधारित पुनर्वास परियोजना
- अल्प दृष्टि केन्द्र परियोजना
- मानव संसाधन विकास परियोजना
- सेमिनार/कार्यशाला/ग्रामीण शिविर
- दिव्यांगों हेतु पर्यावरण अनुकूल और पर्यावरण संवर्धनात्मक परियोजनाएं
- कंप्यूटर हेतु अनुदान
- भवन निर्माण
- विधि साक्षरता, विधि काउंसलिंग सहित, विधि सहायता और विशलेषण तथा वर्तमान कानूनों का मूल्यांकन परियोजना
- जिला दिव्यांगता पुनर्वास केन्द्र
योजना के अंतर्गत उपलब्ध सहायता की मात्रा
सहायता/अनुदान सहायता की मात्रा परियोजना प्रस्ताव के स्कोप और गुणों के आधार पर निर्धारित की जाती हैं। जो किसी परियोजना हेतु बजटीय राशि का 90 प्रतिशत तक हो सकता है, जो निर्धारित लागत मानदण्डों पर आधारित है। एनजीओं की धीमी आत्म निर्भरता को बढ़ाने के लिए प्रत्येक वर्षानु्क्रम में 5 प्रतिशत द्राहरी क्षेत्रों में 7 वर्षों से पहले ही निधियन की गई परियोजनाओं हेतु अनुदान कम करने को लागू किया गया है ताकि निधियन के स्तर को 75 प्रतिशत तक घटाया जा सके।
आवेदन कैसे करें
इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने हेतु निम्नलिखित संगठन/संस्थान पात्र होंगेः
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- समितियां पंजीकरण अधिनियम, 1860 (1860) अथवा राज्य/संघ राज्य क्षेत्र के संबंधित अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत संगठन, अथवा
- काम चलाऊ व्यवस्था के अंतर्गत लागू किसी कानून के अंतर्गत पंजीकृत कोई सार्वजनिक न्यास, अथवा
- कंपनियां अधिनियम, 1958 की धारा 25 के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त कोई चेरिटेबल कंपनी,
इस योजना के अंतर्गत अनुदान हेतु आवेदन करने के समय कम से कम 2 वर्ष का पंजीकरण होना चाहिए।
पात्रता
संगठनों/संस्थानों की निम्नलिखित विशिष्टतायें होनी चाहिएः
- इसका स्पष्ट रुप में लिखित और स्पष्ट परिभाषित शक्तियों, ड्यूटियों और जिम्मेदारियों के साथ उचित ढंग से गठित एक प्रबंध निकाय होना चाहिए।
- इसके पास कार्यक्रम चलाने हेतु संचालन/सुविधायें और अनुभव होना चाहिए।
- यह किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के निकाय द्वारा लाभ के लिए नहीं चलाया जा रहा हो।
- यह किसी व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह के विरुद्ध लिंग, धर्म, जाति अथवा पंथ के आधार पर भेदभाव न करता हो।
- यह सामान्यतः 2 वर्ष से अस्तित्व में हो।
- इसकी वित्तीय स्थिति सुदृढ़ होनी चाहिये।
- संगठन सबसे पहले संबंधित राज्य सरकार के संबंधित जिला समाज कल्याण अधिकारी को प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा।
- अपेक्षित औपचारिकतायें पूरी कर लेने के बाद जिला समाज कल्याण अधिकारी निरीक्षण रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव को संबंधित राज्य सरकार को अग्रेषित करेगा।
- संबंधित राज्य सरकार उससे संबंधित राज्य स्तरीय बहु-विषयक अनुदान सहायता समिति द्वारा अनुमोदन कर दिये जाने के बाद संगठन के प्रस्ताव को भारत सरकार को अग्रेषित करेगी।
- इस विभाग ने नेशनल इनफोरमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) की सहायता से मंत्रालय की वेबसाइट(www.ngograntsje.gov.in) पर एक केन्द्रीयकृत ऑनलाइन एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर विकसित किया है। दीन दयाल दिव्यांग पुनर्वास योजना के अंतर्गत अनुदान सहायता हेतु गैर-सरकारी संगठनों द्वारा सभी आवेदन पत्र ऑनलाइन प्रोसेस के तहत मंत्रालय की वेबसाइट पर आमंत्रित किये जाते हैं।
निधियां मंजूर और जारी किये जाने की प्रक्रिया
- विभाग राज्य सरकारों द्वारा अग्रेषित संगठनों के प्रस्तावों पर विचार करने हेतु गठित स्क्रीनिंग समिति की आवधिक बैठकें आयोजित करता है।
- सभी मानदंडों को पूरा करने वाले स्क्रीनिंग समिति द्वारा संस्तुत और सभी आवश्यकता अपेक्षित कागजातों वाले प्रस्तावों पर अनुदान सहायता जारी किये जाने हेतु एकीकृत वित्त प्रभाग (आईएफडी) के अनुमोदन और सहमति हेतु कार्रवाई की जाती है।
- एकीकृत वित्त प्रभाग (आईएफडी) के अनुमोदन के बाद अनुदान सहायता की राशि जारी किये जाने हेतु सक्षम अधिकारी का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया जाता है।
- सक्षम अधिकारी के प्रशासनिक अनुमोदन के बाद मंजूरी पत्र जारी किया जाता है और संगठन के बैंक खाते में मंजूर धनराशि जारी किये जाने हेतु उसका बिल विभाग के वेतन और लेखा कार्यालय में भेज दिया जाता है।
- अगली अनुदान सहायता हेतु संगठन को पहले जारी की गई अनुदान सहायता के संबंध में उपयोगिता प्रमाण पत्र की प्राप्ति हो जाने के बाद ही विचार किया जाता है।