सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज पटना:-
अध्याय 1- प्रारंभिक
1 संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ –
(1) इन नियमों का संक्षिप्त नाम दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017 है ।
(2) इनका विस्तार संपूर्ण भारत पर होगा ।
(3) वे उनके राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगें ।
2 परिभाषाएं-
(1) इन नियमों में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(क) अधिनियम से दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 (2016 का 49) अभिप्रेत है,
(ख) प्रमाणपत्र अधिनियम की धारा 57 के अधीन जारी दिव्यांगता प्रमाणपत्र अभिप्रेत है,
(ग) प्रारूप से इन नियमों से उपाबद्ध प्रारूप अभिप्रेत है,
(2) शब्द और पद, जो इसमें प्रयुक्त हैं और परिभाषित नहीं हैं किंतु अधिनियम में परिभाषित हैं, का क्रमश: वही अर्थ होगा, जो उनका अधिनियम में है ।
अध्याय 2 – अधिकार और हकदारियां
3 स्थापन का दिव्यांगता के आधार पर भेदभाव नहीं करना-
(1) स्थापन का अध्यक्ष यह सुनिश्चित करेगा कि अधिनियम की धारा 3 की उपधारा (3) के उपबंधों का, अधिनियम के अंतर्गत आने वाले दिव्यांगजनों के किसी अधिकार और उनको प्राप्त होनो वाले किसी फायदे से इंकार करने के लिए दुरूपयोग नहीं किया जाता है ।
(2) यदि सरकारी स्थापन का प्रमुख या कोई प्राइवेट स्थापन, जो बीस से अधिक व्यक्तियों को नियोजित कर रहा है, दिव्यांगता के आधार पर भेदभाव के संबंध में कोई शिकायत प्राप्त करता है तो वह,-
(क) अधिनियम के उपबंधों के अनुसार कार्रवाई आरंभ करेगा, या
(ख) व्यथित व्यक्तियों को लिखित में सूचित करेगा कि किस प्रकार आक्षेपित कार्रवाई या लोप किसी विधिमान्य ध्येय को पूरा करने के लिए समानुपातिक साधन है ।
(3) यदि व्यथित व्यक्ति, यथास्थिति, दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त या राज्य आयुक्त को शिकायत प्रस्तुत करता है तो शिकायत का निपटान साठ दिन की अवधि के भीतर किया जाएगा परंतु आपातकालीन मामलों में मुख्य आयुक्त या राज्य आयुक्त शिकायत का यथाशीघ्र निपटान करेगा ।
(4) कोई स्थापन किसी दिव्यांगजन को युक्तियुक्त आवासन उपलब्ध कराने पर उपगत किसी लागत को भागत: या पूर्णत: संदत्त करने के लिए बाध्य नहीं करेगा ।
4 दिव्यांगता अनुसंधान के लिए केंद्रीय समिति
(1) दिव्यांगता अनुसंधान के लिए केंद्रीय समिति निम्नलिखित व्यक्तियों से मिलकर बनेगी, अर्थात्,-
(i) केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाने वाला विज्ञान या औषधि अनुसंधान के क्षेत्र में बृहत्त अनुभव रखने वाला एक विख्यात व्यक्ति, – पदेन अध्यक्ष,
(ii) महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं का उप महानिदेशक की पंक्ति से अन्यून नामनिर्देशिती – सदस्य,
(iii) भौतिक, दृश्य, श्रव्य और बौद्धिक दिव्यांगताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले राष्ट्रीय संस्थानों से चार व्यक्ति, जिनको केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा – सदस्य,
(iv) रजिस्ट्रीकृत संगठनों से प्रतिनिधि के रूप में पाँच व्यक्ति, जो अधिनियम की अनुसूची में विनिर्दिष्ट दिव्यांगताओं के पाँच समूहों का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिनको केंद्रीय सरकार द्वारा नामनिर्दिष्ट किया जाएगा – सदस्य, परंतु रजिस्ट्रीकृत संगठनों में से कम से कम एक प्रतिनिधि महिला होगी,
(v) निदेशक, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, जो कि सदस्य-सचिव होगा ।
(2) अध्यक्ष किसी विशेषज्ञ को विशेष आमंत्रिती के रूप में आमंत्रित कर सकेगा ।
(3) नामनिर्दिष्ट सदस्यों की पदावधि, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद धारण करते हैं, तीन वर्ष होगी और नामनिर्दिष्ट सदस्य एक और पदावधि के लिए पुन: नामनिर्देशन के लिए पात्र होंगें ।
(4) आधे सदस्य बैठकों की गणपूर्ति करेंगे ।
(5) गैर-शासकीय सदस्य और विशेष आमंत्रिती केंद्रीय सरकार के समूह क अधिकारियों को अनुज्ञेय यात्रा भत्ते और देनिक भत्ते के पात्र होंगें ।
(6) केंद्रीय सरकार समिति को उतने लिपिकीय और अन्य कर्मचारिवृंद्ध उपलब्ध कराएगी, जैसा केंद्रीय सरकार आवश्यक समझे ।
5 दिव्यांगजन को अनुसंधान का एक विषय नहीं समझा जाना-कोई दिव्यांगजन किसी अनुसंधान का विषय नही होगा सिवाय तब जब अनुसंधान में उसके शरीर पर भौतिक प्रभाव अंतर्वलित हो ।
6 कार्यापालक मजिस्ट्रेटों द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया- अधिनियम की धारा 7 के अधीन परिवादों पर कार्यवाही करने के प्रयोजन के लिए कार्यापालक मजिस्ट्रेट दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (1974 का 2) की धारा 133 से धारा 143 में उपबंधित प्रक्रिया का अनुसरण करेगा ।
अध्याय 3-जिला शिक्षा कार्यालय में नोडल अधिकारी
7 जिला शिक्षा कार्यालय में नोडल अधिकारी–दिव्यांग बालकों के दाखिले से संबंधित सभी मामलों से और अधिनियम की धारा 16 और 31 के निबंधनों में विद्यालयों में उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं से निपटने के लिए जिला शिक्षा कार्यालय में एक नोडल अधिकारी होगा ।
अध्याय 4-नियोजन
8 समान अवसर नीति के प्रकाशन की रीति-
(1) प्रत्येक स्थापन दिव्यांगजनों के लिए समान अवसर नीति का प्रकाशन करेगा ।
(2) समान अवसर नीति का स्थापनों द्वारा उनकी वेबसाइट पर प्रदर्शन किया जाएगा, जिसके न हो सकने पर उनके परिसरों में सहज दृश्य स्थान पर उसका प्रदर्शन किया जाएगा ।
(3) बीस कर्मचारी या उससे अधिक कर्मचारी रखने वाले प्राइवेट स्थापनों के लिए और सरकारी स्थापनों के लिए समान अवसर नीति में अन्य बातों के साथ, निम्नलिखित अंतर्विष्ट होंगें, अर्थात्,-
(क) दिव्यांगजनों के लिए सुविधाएं और प्रसुविधाएं ताकि वह स्थापनों में अपने कर्तव्यों का प्रभावी रूप से निर्वहन करने में समर्थ हो सकें,
(ख) स्थापन में दिव्यांगजनों के लिए पहचाने गए समुचित पदों की सूची,
(ग) विभिन्न पदों पर दिव्यांगजनों के चयन की रीति, भर्ती-पश्च् और प्रोन्नति पूर्व प्रशिक्षण स्थानांतरण और तैनाती में अधिमानत:, विशेष छुट्टी, आवासों के आबंटन में अधिमानत:, यदि कोई हो, तथा अन्य सुविधाएं,
(घ) सहायक युक्तियों, बाधा मुक्त पहुंच तथा दिव्यांगजनों के लिए अन्य उपबंध,
(ङ) दिव्यांगजनों की भर्ती की देखरेख के लिए स्थापन में लायजन अधिकारी की नियुक्ति तथा ऐसे कर्मचारियों के लिए सुविधाओं और प्रसुविधाओं का उपबंध ।
(4) बीस से कम कर्मचारियों वाले प्राइवेट स्थापनों में समान अवसर नीति में, अन्य बातों के साथ, दिव्यांगजनों को प्रदान की जाने वाली सुविधाएं और प्रसुविधाएं अंतर्विष्ट होंगी ताकि वह स्थापन में अपने कर्तव्यों का प्रभावी रूप से निर्वहन करने में समर्थ हो सके ।
9 स्थापनों में अभिलेखों को रखे जाने का प्रारूप और रीति-
(1) नियम 8 के उपनियम (3) के अधीन आने वाला प्रत्येक स्थापन निम्नलिखित विशिष्टियों को अंतर्विष्ट करने वाले अभिलेख रखेगा, अर्थात्,-
(क) दिव्यांगजनों की संख्या, जो नियोजित हैं तथा वह तारीख जिससे वे नियोजित हैं,
(ख) ऐसे नियोजित व्यक्तियों का नाम, लिंग और पता,
(ग) ऐसे नियोजित व्यक्तियों की दिव्यांगता की किस्म,
(घ) ऐसे नियोजित दिव्यांगजनों द्वारा किए जाने वाले कार्य की प्रकृति, और
(ङ) ऐसे दिव्यांगजनों को उपलब्ध कराई जाने वाली दिव्यांगता की किस्म ।
(2) प्रत्येक स्थापन मांग किए जाने पर इन नियमों के अधीन रखे गए अभिेलेखों को निरीक्षण के लिए इस अधिनियम के अधीन प्राधिकारियों को उपलब्ध कराएगा तथा ऐसी सूचना प्रदान करेगा, जो यह पता लगाने के प्रयोजन के लिए अपेक्षित हो कि क्या उपबंधों का अनुपालन किया जा रहा है ।
10 सरकारी स्थापनों द्वारा शिकायत रजिस्टरों को रखे जाने की रीति-
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन राजपत्रित अधिकारी के रैंक से अन्यून अधिकारी को शिकायत निपटान अधिकारी नियुक्त करेगा, परंतु जहां किसी राजपत्रित अधिकारी को नियुक्त करना संभव न हो वहां सरकारी स्थापन ज्येष्ठतम अधिकारी को शिकायत निपटान अधिकारी के रूप में नियुक्त कर सकेगा ।
(2) शिकायत निपटान अधिकारी शिकायतों का एक रजिस्टर रखेगा जिसमें निम्नलिखित विशिष्टियां रखेगा, अर्थात्,-
(क) शिकायत की तारीख,
(ख) शिकायतकर्ता का नाम,
(ग) उस व्यक्ति का नाम, जो शिकायत की जांच कर रहा है,
(घ) घटना का स्थान,
(ङ) स्थापन या व्यक्ति का नाम, जिसके विरुद्ध शिकायत की गई है,
(च) शिकायत का सार,
(छ) दस्तावेजी साक्ष्य, यदि कोई हो,
(ज) शिकायत निपटान अधिकारी द्वारा निपटान की तारीख,
(झ) जिला स्तरीय समिति द्वारा अपील के निपटान के ब्यौरे, और
(ञ) कोई अन्य सूचना ।
अध्याय 5 – बैंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों के लिए रिक्तियां
11 रिक्तियों की संगणना
(1) रिक्तियों की संगणना के प्रयोजन के लिए पदों के प्रत्येक समूह में कैडर संख्या में कुल रिक्तियों के चार प्रतिशत को समुचित सरकार द्वारा बैंचमार्क दिव्यांगताओं के लिए गणना में लिया जाएगा । पंरतु प्रोन्नति में आरक्षण, समय-समय पर समुचित सरकार द्वारा जारी अनुदेशों के अनुसार होगा ।
(2) प्रत्येक सरकारी स्थापन दिव्यांगजनों के लिए कैडर संख्या में रिक्तियों की संगणना करने के प्रयोजन के लिए समुचित सरकार द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों के अनुसार एक रिक्ति आधारित रोस्टर रखेगा ।
(3) रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन जारी करते समय प्रत्येक सरकारी स्थापन प्रत्येक वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षित रिक्तियों की संख्या के साथ अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार बैंचमार्क दिव्यांगताओं को उपदर्शित करेगा ।
(4) अधिनियम की धारा 34 के उपबंधों के अनुसार दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण क्षैतिजिक होगा और बैंचमार्क दिव्यांगताओं वाले व्यक्तियों के लिए रिक्तियों को पृथक वर्ग के रूप में अनुरक्षित किया जाएगा ।
12 रिक्तियों का अंतर-परिवर्तन
सरकारी स्थापन अधिनियम की धारा 34 के निबंधनों में रिक्तियों का अंतर-परिवर्तन केवल तब करेगा जब भर्ती की सम्यक् प्रक्रिया जैसे बैंचमार्क दिव्यांगताओं वाले व्यक्तियों के लिए अभिप्रेत रिक्तियों को भरने के लिए विज्ञापन जारी करने का अनुसरण किया गया है और भर्ती प्रक्रिया का अनुसरण करने के पश्चात् कोई समुचित अभ्यर्थी नहीं पाया गया है ।
13 विवरणियों का प्रस्तुत किया जाना
(1) प्रत्येक सरकारी स्थापन स्थानीय विशेष रोजगार एक्सचेंज को प्रारूप दिव्यांगजन नियोक्ता विवरणी प्रारूप -1 में प्रत्येक छह मास में 1 अप्रैल से 30 सितंबर और 1 अक्तूबर से 31 मार्च के लिए एक बार तथा प्रारूप -2 में प्रत्येक दो वर्ष में एक बार विवरणियां प्रस्तुत करेगा ।
(2) छमाही विवरणी को संबंधित तारीखों से तीस दिन के भीतर अर्थात् प्रत्येक वित्तीय वर्ष की 31 मार्च और 30 सितंबर को प्रस्तुत किया जाएगा ।
(3) द्विवार्षिक विवरणी को प्रत्येक एकांतर वित्तीय वर्ष की समाप्ति से 30 दिन के भीतर प्रस्तुत किया जाएगा ।
14 प्रारूप, जिसमें नियोक्ता द्वारा अभिलेख रखे जाने हैं- सरकारी स्थापन का प्रत्येक नियोक्ता प्रारूप -3 में दिव्यांग कर्मचारियों के अभिलेख रखेगा ।
अध्याय 6 – पहुंच
15 निर्धारण के नियम-
(1) प्रत्येक स्थापन निम्नलिखित मानकों का अनुपालन करेगा – भौतिक पर्यावरण, परिवहन और सूचना तथा संचार प्रौद्योगिकी, अर्थात्,-
(क) भारत सरकार, शहरी विकास मंत्रालय द्वारा मार्च 2016 में अधिसूचित लोक भवन मानक जैसा कि “हारमोनाइज्ड गाइडलाइन्स एंड स्पेश स्टैंडर्डस फार परसन्स विद डिस्सेविल्टीज एंड एल्डरली पर्सन्ज” में विनिर्दिष्ट है,
(ख) (i) भारत सरकार, सड़क और राजमार्ग परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना सं साकानि 895 (अ) तारीख 20 सितम्बर, 2016 में यथाविनिर्दिष्ट पब्लिक बस परिवहन बाडी कोड,
(ग) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
(i) प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, भारत सरकार, द्वारा यथा अंगिकृत भारत सरकार वेबसाइट-मार्गदर्शक सिद्धांत,
(ii) वेबसाइट पर रखेजाने वाले दस्तावेज ePUB या OCR आधारित PDF फार्मेट में होंगें, परंतु अन्य सेवाओं और प्रसुविधाओं के संबंध में पंहुच मानकों को केन्द्रीय सरकार द्वारा इन नियमों की अधिसूचना की तारीख से छह मास की अवधि में विनिर्दिष्ट किया जाएगा ।
(2) संबंधित मंत्रालय और विभाग इस नियम के अधीन विनिर्दिष्ट पहुंच मानकों को संबंधित डोमेन विनियमों या अन्यथा के माध्यम से लागू करने के लिए उत्तरदायी होंगें ।
16 पहुंच मानकों का पुनर्विलोकन-केंद्रीय सरकार समय-समय पर संबंधित मंत्रालयों और विभागों द्वारा अधिसूचित पहुंच मानकों का नवीनतम वैज्ञानिक जानकारी और प्रौद्योगिकी के आधार पर पुनर्विलोकन करेगी ।
अध्याय 7 – दिव्यांगता प्रमाणपत्र
17 दिव्यांगता प्रमाण-पत्र के लिए आवेदन – (1) विनिर्दिष्ट दिव्यांगताग्रस्त कोई व्यक्ति प्रारूप 4 में दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कर सकेगा और निम्नलिखित को आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा-
(क) उस जिले, जिसमें आवेदक निवास करता है, जैसा कि आवेदन में आवास के सबूत के रूप में वर्णन किया गया है, का कोई चिकित्सा प्राधिकारी या कोई अन्य अधिसूचित सक्षम प्राधिकारी, या
(ख) किसी सरकारी अस्पताल में संबंधित चिकित्सा प्राधिकारी, जिसमें उसने अपनी दिव्यांगता के संबंध में वह उपचार करा रहा है या उसने उपचार कराया है,
परंतु जहां दिव्यांगजन कोई अल्पव्य है या बौद्धिक दिव्यांगता से ग्रस्त है या किसी ऐसी दिव्यांगता से ग्रस्त है जो उसे स्वयं ऐसा आवेदन करने में अनफिट या असमर्थ बनाती है तो उसके निमित्त आवेदन उसके विधिक अभिभावक या इस अधिनियम के अधीन रजिस्ट्रीकृत ऐसे संगठन द्वारा किया जा सकेगा, जिसकी देखभाल के अधीन अल्पवय है ।
(2) आवेदन के साथ निम्नलिखित संलग्न होंगें –
(क) निवास का सबूत,
(ख) दो नवीनतम पासपोर्ट आकार के फोटो, और
(ग) आधार नंबर या आधार नामांकन नंबर, यदि कोई हो ।
टिप्पण, आवेदक से निवास का कोई अन्य सबूत अपेक्षित नहीं होगा, जिसके पास आधार या आधार नामांकन संख्या है ।
18 दिव्यांगता प्रमाणपत्र का जारी किया जाना-
(1) नियम 17 के अधीन ऑनलाइन आवेदन की प्राप्ति पर चिकित्सा प्राधिकारी आवेदक द्वारा यथा प्रस्तुत सूचना का सत्यापन करेगा और केंद्रीय सरकार द्वारा जारी सुसंगत मार्गदर्शक सिद्धांतों के निबंधनों में दिव्यांगता का पता लगाएगा तथा स्वयं का यह समाधान हो जाने पर कि आवेदक दिव्यांगजन है, यथास्थिति, प्रारूप 5, प्रारूप 6 और प्रारूप 7 में उसके पक्ष में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करेगा ।
(2) चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा आवेदन की प्राप्ति की तारीख से एक मास के भीतर दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा ।
(3) सम्यक् जांच के पश्चात् चिकित्सा प्राधिकारी-
(i) उन मामलों में स्थायी दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करेगा, जहां दिव्यांगता की डिग्री में समय के साथ परिवर्तन की कोई संभावना नहीं है, या
(ii) उन मामलों में, जहां समय के साथ दिव्यांगता के स्तर में परिवर्तन की संभावना है, अस्थायी दिव्यांगता प्रमाणपत्र देगा और प्रमाणपत्र की विधिमान्यता की अवधि को उपदर्शित करेगा ।
(4) यदि किसी आवेदक को दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पात्र नहीं पाया जाता है तो चिकित्सा प्राधिकारी लिखित में कारणों से उसे प्रारूप 8 में आवेदन की प्राप्ति की तारीख से एक मास की अवधि के भीतर सूचित करेगा ।
(5) राज्य सरकार और संघ राज्यक्षेत्र प्रशासन यह सुऩिश्चित करेंगे कि किसी ऑनलाइन प्लेटफार्म पर दिव्यांगता प्रमाण पत्र उस तारीख से मंजूर किया जाता है, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए ।
19 नियम 18 के अधीन जारी प्रमाण पत्र का साधारणतया सभी प्रयोजनों के लिए विधिमान्य होना –
नियम 18 के अधीन जारी कोई प्रमाणपत्र किसी व्यक्ति को सरकार और सरकार द्वारा वित्तपोषित गैर-सरकारी संगठनों की स्कीमों के अधीन अनुज्ञेय प्रसुविधाओं, रियायतों फायदों हेतु आवेदन करने में समर्थ करेगा ।
20 निरसित अधिनियम के अधीन जारी दिव्यांगता प्रमाणपत्र की विधिमान्यता-
नि:शक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 (1996 का 1) के अधीन जारी दिव्यांगता प्रमाणपत्र इस अधिनियम के प्रारंभ के पश्चात उसमें विनिर्दिष्ट अवधि तक विधिमान्य बना रहेगा ।
अध्याय 8 – दिव्यांगता केंद्रीय सलाहकार बोर्ड
21 सलाहकार बोर्ड के सदस्यों के भत्ते-
(1) दिल्ली में केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के गैर-शासकीय सदस्यों को बैठक के वास्तविक दिन के लिए दो हजार रुपए प्रतिदिन के भत्ते का संदाय किया जाएगा ।
(2) केंदीय सलाहकार बोर्ड के गैर-शासकीय सदस्यों को, जो दिल्ली में निवास नहीं कर रहे हैं, को वास्तविक बैठक के प्रत्येक दिन के लिए दैनिक भत्ता और यात्रा भत्ता का उस दर से संदाय किया जाएगा, जो केंद्रीय सरकार के समूह क अधिकारी को अनुज्ञेय है,
परंतु संसद् सदस्य की दशा में, जो केंद्रीय सलाहकार बोर्ड का सदस्य है, को उसे संसद् सदस्य के रूप में अनुज्ञेय दर पर यात्रा भत्ते और दैनिक भत्ते का तब संदाय किया जाएगा जब संसद् सत्र में नहीं हो और सदस्य द्वारा प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए कि उसने किसी अन्य सरकारी स्रोत से उसी यात्रा और ठहराव के लिए कोई ऐसा भत्ता आहरित नहीं किया है ।
(3) केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के शासकीय सदस्यों को दैनिक भत्ते और यात्रा भत्ते का संदाय संबंधित सरकार, जिसके अधीन वह कार्य कर रहा है, के सुसंगत नियमों के अधीन इस निमित्त एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर कि उसने किसी अन्य सरकारी स्रोत से उसी यात्रा और ठहराव के लिए कोई ऐसा भत्ता आहरित नहीं किया है, किया जाएगा ।
22 बैठक की सूचना-
(1) दिव्यांगता केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक साधारणतया दिल्ली में और ऐसी तारीख को, जो अध्यक्ष द्वारा नियत की जाए, आयोजित की जाएगी, परंतु यह कि प्रत्येक छह मास में कम से कम एक बैठक होगी ।
(2) अध्यक्ष, केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के कम से कम दस सदस्यों के लिखित अनुरोध पर बोर्ड की विशेष बैठक आयोजित करेगा ।
(3) सदस्य-सचिव साधारण बैठक की 15 स्पष्ट दिनों की और विशेष बैठक की 6 स्पष्ट दिनों की उसमें ऐसी बैठक के समय और स्थान की सूचना देते हुए और उनमें किए जाने वाले संव्यवहार की सूचना देगा ।
(4) सदस्य-सचिव ऐसी सूचना सदस्यों को संवाहक द्वारा या उनके पते पर रजिस्टर डाक द्वारा या ऐसी अन्य रीति से, जो अध्यक्ष मामले की परिस्थितियों में उचित समझे, सूचना देगा ।
(5) कोई भी सदस्य बैठक में विचारण के लिए किसी विषय को, जिसकी सदस्य-सचिव द्वारा दस स्पष्ट दिन की सूचना नहीं दी गई है, को लाने का तब तक हकदार नहीं होगा जब तक कि अध्यक्ष ऐसा करने के लिए उसे अनुज्ञात न करे ।
(6) केंद्रीय सलाहकार बोर्ड दिन-प्रतिदिन या किसी विशिष्ट दिन के लिए अपनी बैठक को स्थगित कर सकेगा ।
(7) जब केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक को किसी दिन के लिए स्थगित किया जाता है तो सदस्य-सचिव ऐसी स्थगित बैठक के समय, जहां बैठक स्थगित की गई थी, यदि आयोजित की गई हो कि संवाहक द्वारा सूचना देगा और स्थगित बैठक की अन्य सदस्यों को सूचना देना आवश्यक नहीं होगा ।
(8) जब केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की किसी दिन के लिए बैठक स्थगित नहीं की जाती है किंतु उस दिन के लिए, जिसको बैठक आयोजित की जानी है, से किसी अन्य दिन के लिए स्थगित की जाती है तो ऐसी बैठक की सूचना सभी सदस्यों को उपनियम (4) में यथाउपबंधित रीति में दी जाएगी ।
23 पीठासीन अधिकारी-
अध्यक्ष केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की प्रत्येक बैठक की अध्यक्षता करेगा और उसकी उपस्थिति में उपाध्यक्ष अध्यक्षता करेगा किंतु जब अध्यक्ष और उपाध्यक्ष, दोनों किसी बैठक में अनुपस्थित हों तो उपस्थित सदस्य किसी एक सदस्य को बैठक की अध्यक्षता करने के लिए चुने ।
24 गणपूर्ति-
(1) केंद्रीय सलाहकार बोर्ड के कुल सदस्यों का एक-तिहाई किसी बैठक के लिए गणपूर्ति होंगें ।
(2) किसी बैठक के लिए नियत समय या किसी बैठक के प्रक्रम के दौरान कुल सदस्यों का एक-तिहाई सदस्यों से कम उपस्थित हैं तो अध्यक्ष बैठक को ऐसे समय के लिए आगामी या किसी भावी तारीख के लिए जैसा कि वह नियत करे, स्थगित कर सकेगा ।
(3) स्थगित बैठक के लिए कोई गणपूर्ति आवश्यक नहीं होगी ।
(4) कोई विषय, जो यथास्थिति, किसी साधारण या विशेष बैठक का एंजेडा नहीं है, पर स्थगित बैठक में चर्चा नहीं की जाएगी ।
25 कार्यवृत्त-
(1) सदस्य-सचिव उन सदस्यों के नामों को अंतर्विष्ट करने वाला अभिलेख रखेगा, जिन्होंने बैठक में भाग लिया था तथा बैठक की कार्यवाहियों की पुस्तिका उस प्रयोजन के लिए रखी जाएगी ।
(2) पूर्व बैठक के कार्यवृत्त को प्रत्येक पश्चातवर्ती बैठक के प्रारंभ में पढ़ा जाएगा और ऐसी बैठक के अध्यक्ष अधिकारी द्वारा उसकी पुष्टि की जाएगी और हस्ताक्षर किए जाएंगे ।
(3) कार्यवाहियां किसी सदस्य द्वारा निरीक्षण के लिए कार्यालय समय के दौरान सदस्य-सचिव के कार्यालय में उपलब्ध होंगी ।
26 बैठकों में संव्यवहार किया जाने वाला कारबार-
सिवाय अध्यक्ष की अनुज्ञा के किसी कारबार को किसी एजेंडा में दर्ज नहीं किया जाएगा या जिसकी सूचना नियम 22 के उपनियम (5) के अधीन सदस्य द्वारा नहीं दी गई है, का किसी बैठक में संव्यवहार नहीं होगा ।
27 केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की बैठक के लिए एजेंडा-
(1) किसी बैठक में कारबार का संव्यवहार उसी क्रम में किया जाएगा, जिसमें वह एजेंडा में दर्ज है, सिवाय जब अन्यथा किसी बैठक में अध्यक्ष की अनुज्ञा के संकल्प न किया गया हो ।
(2) या तो बैठक के प्रारंभ में या बैठक में किसी प्रस्ताव पर चर्चा के समापन पर अध्यक्ष या सदस्य एजेंडा में यथा दर्ज कारबार के क्रम में परिवर्तन का सुझाव दे सकेगा और यदि अध्यक्ष सहमत होता है तो ऐसा परिवर्तन किया जाएगा ।
28 बहुमत द्वारा विनिश्चय-
समिति की बैठक में विचार किए गए सभी प्रश्नों का विनिश्चय उपस्थित सदस्यों के और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत के मत से किया जाएगा और मतों के समान होने की दशा में, यथास्थिति, अध्यक्ष या अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष या दोनों की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता करने वाले सदस्य का द्वितीय या निर्णायक मत होगा ।
29 किसी कार्यवाही का रिक्ति या किसी अन्य त्रुटि से अविधिमान्य न होना-
केंद्रीय सलाहकार बोर्ड की कोई कार्यवाही बोर्ड के गठन में किसी रिक्ति या किसी अन्य त्रुटि के विद्यमान होने के कारण से अविधिमान्य नहीं होगी ।
अध्याय 9 – दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मुख्य आयुक्त और आयुक्त
30 मुख्य आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए अर्हता-
(1) मुख्य आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए कोई व्यक्ति तब तक पात्र नहीं होगा जब तक,-
(क) वह किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक न हो,
परंतु उन व्यक्तियों को अधिमानत: दी जाएगी जिनके पास सामाजिक कार्य या विधि या प्रबंध या मानव अधिकार या पुनर्वास या दिव्यांगजनों की शिक्षा में मान्यताप्राप्त डिग्री या डिप्लोमा है,
(ख) जिनके पास केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या पब्लिक सेक्टर उपक्रम या अर्ध-सरकारी या स्वायत्त निकायों में दिव्यांगता से संबंधित मामलों या सामाजिक क्षेत्र में समूह क स्तर के पद का या किसी रजिस्ट्रीकृत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन में ज्येष्ठ स्तर के कृत्यकारी के रूप में दिव्यांगता या सामाजिक विकास के क्षेत्र में कम से कम 25 वर्ष का अनुभव है,
परंतु 25 वर्ष के कुल अनुभव में से उसके पास कम से कम तीन वर्ष का अनुभव दिव्यांगजनों के पुनर्वास या सशक्तिकरण के क्षेत्र में होना चाहिए, और
(ग) वह भर्ती के वर्ष की 1 जनवरी को 60 वर्ष का होना चाहिए,
टिप्पण, यदि वह केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार की सेवा में है तो वह पद पर नियुक्ति से पूर्व ऐसी सेवा से सेवानिवृत्ति लेगा ।
31 आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए अर्हता-(1) आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए कोई व्यक्ति तब तक पात्र नहीं होगा जब तक,-
(क) वह किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक न हो, परंतु उन व्यक्तियों को अधिमानत: दी जाएगी जिनके पास सामाजिक कार्य या विधि या प्रबंध या मानव अधिकार या पुनर्वास या दिव्यांगजनों की शिक्षा में मान्यताप्राप्त डिग्री या डिप्लोमा है,
(ख) जिनके पास केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार या पब्लिक सेक्टर उपक्रम या अर्ध-सरकारी या स्वायत्त निकायों में दिव्यांगता से संबंधित मामलों या सामाजिक क्षेत्र में समूह क स्तर के पद का या किसी रजिस्ट्रीकृत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वैच्छिक संगठन में ज्येष्ठ स्तर के कृत्यकारी के रूप में दिव्यांगता या सामाजिक विकास के क्षेत्र में कम से कम 20 वर्ष का अनुभव है, और
(ग) वह भर्ती के वर्ष की 1 जनवरी को 56 वर्ष का होना चाहिए,
32 मुख्य आयुक्त और आयुक्त की नियुक्ति की विधि-
(1) केंद्रीय सरकार मुख्य आयुक्त के पद की रिक्ति होने से छह मास पूर्व कम से कम दो राष्ट्रीय स्तर के अंग्रेजी और हिंदी के दैनिक समाचार-पत्रों में पद के लिए पात्र अभ्यर्थियों, जो नियम 30 और 31 में विहित अर्हताओं को पूरा करते है, से आवेदन आमंत्रित करने के लिए विज्ञापन देगी ।
(2) छानबीन-सह-चयन समिति का गठन मुख्य आयुक्त और आयुक्त के पद पर तीन उपयुक्त अभ्यर्थियों के पैनल की सिफारिश के लिए किया जाएगा ।
(3) छानबीन-सह-चयन समिति का गठन कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग द्वारा समय-समय पर जारी अनुदेशों के अनुसार किया जाएगा ।
(4) समिति द्वारा सिफारिश किए गए पैनल में उन व्यक्तियों में से जिन्होंने उपनियम (1) में वर्णित विज्ञापन के प्रत्युत्तर में आवेदन किया हो तथा अन्य पात्र व्यक्ति, जिन्हें समिति समुचित समझे, व्यक्ति हो सकते हैं ।
(5) केंद्रीय सरकार छानबीन-सह-चयन समिति द्वारा सिफारिश किए गए किसी एक अभ्यर्थी को मुख्य आयुक्त या आयुक्त नियुक्त करेगी ।
33 मुख्य आयुक्त और आयुक्त की पदावधि-
(1) मुख्य आयुक्त की पदावधि, उस तारीख से जिसको वह पद धारण करता है से तीन वर्ष या पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, इनमें से जो भी पूर्वत्तर हो, होगी ।
(2) आयुक्त की पदावधि तीन वर्ष होगी और उसका दो वर्ष की और अवधि के लिए विस्तार किया जा सकेगा या जब तक कि वह साठ वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता है, इनमें से जो भी पूर्वत्तर हो ।
(3) कोई व्यक्ति मुख्य आयुक्त या आयुक्त के रूप में अधिकतम दो कार्यकाल के लिए इस शर्त के अधीन रहते हुए कि उसने क्रमश: पैंसठ वर्ष या साठ वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है, सेवा कर सकेगा ।
34 मुख्य आयुक्त और आयुक्त के वेतन और भत्ते-
(1) मुख्य आयुक्त ऐसे वेतन और भत्तों के लिए हकदार होगा, जो भारत सरकार के सचिव को अनुज्ञेय हैं ।
(2) आयुक्त ऐसे वेतन और भत्तों के लिए हकदार होगा, जो भारत सरकार के अपर सचिव को अनुज्ञेय हैं।
(3) जहां मुख्य आयुक्त या आयुक्त कोई सेवानिवृत्त सरकारी सेवक या सरकार द्वारा वित्त पोषित किसी संस्था या स्वायत निकाय का सेवानिवृत्त कर्मचारी है और जो ऐसी पूर्व सेवा की बाबत पेंशन प्राप्त कर रहा है वहां उसे इन नियमों के अधीन अनुज्ञेय वेतन में से पेंशन की रकम को घटा दिया जाएगा, और यदि उसने पेंशन के किसी भाग के बदले उसका सारांशित मूल्य प्राप्त किया है, वहां पेंशन के ऐसे सारांशित भाग की रकम को भी वेतन में से घटा दिया जाएगा ।
35 मुख्य आयुक्त और आयुक्त की सेवा के अन्य निबंधन और शर्तें –
(1) मुख्य आयुक्त और आयुक्त ऐसी छुट्टी के लिए हकदार होंगें, जो किसी सरकारी सेवक को केन्द्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम, 1972 के अधीन अनुज्ञेय हैं ।
(2) मुख्य आयुक्त और आयुक्त ऐसी छुट्टी यात्रा रियायत के लिए हकदार होंगें, जो किसी समूह क अधिकारी को केन्द्रीय सिविल सेवा (छुट्टी यात्रा रियायत) नियम, 1988 के अधीन अनुज्ञेय हैं।
(3) मुख्य आयुक्त और आयुक्त ऐसे चिकित्सीय फायदों के लिए हकदार होंगें , जो किसी समूह क अधिकारी को केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य स्कीम के अधीन अनुज्ञेय हैं।
36 त्यागपत्र और हटाया जाना-
(1) मुख्य आयुक्त और आयुक्त, अपने हस्ताक्षर के अधीन केन्द्रीय सरकार को संबोधित एक लिखित सूचना देकर अपने पद से त्यागपत्र दे सकेंगे ।
(2) केन्द्रीय सरकार किसी व्यक्ति को मुख्य आयुक्त और आयुक्त उसके पद से हटा सकेगी, यदि वह-
(क) अनुन्मोचित दिवालिया हो जाता है,
(ख) अपने कार्यकाल के दौरान किसी संदाययुक्त नियोजन में लगता है या उसके कार्यालय के कर्तव्यों से परे कोई क्रियाकलाप करता है,
(ग) किसी ऐसे अपराध को लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है या कारावास से दंडादिष्ट किया जाता है, जिसमें केन्द्रीय सरकार की राय में नैतिक अधमता अंतर्वलित है,
(घ) केन्द्रीय सरकार की राय में, मस्तिष्क या शरीर के अंग-शैथिल्य के कारण या अधिनियम में यथाअधिकथित उसके कृत्यों के निष्पादन में गंभीर व्यतिक्रम के कारण पद पर बने रहने के लिए उपयुक्त नहीं है,
(ङ) केन्द्रीय सरकार से अनुपस्थिति की अनुमति अभिप्राप्त किए बिना पन्द्रह दिन या अधिक की अनुक्रमिक अवधि के लिए कार्य से अनुपस्थित रहता है, या
(च) केन्द्रीय सरकार की राय में, मुख्य आयुक्त और आयुक्त के पद का इस प्रकार दुरुपयोग करता है कि उसका पद पर बने रहना दिव्यांग व्यक्तियों के हित के लिए हानिकारक है
परंतु किसी व्यक्ति को इस नियम के अधीन, केन्द्रीय सरकार के समूह क के कर्मचारियों को हटाए जाने के लिए लागू प्रक्रिया का यथावश्यक परिवर्तनों सहित अनुसरण किए बगैर नही हटाया जाएगा ।
(3) केन्द्रीय सरकार किसी ऐसे मुख्य आयुक्त या आयुक्त को, जिसके विरुद्ध उपनियम (2) के अनुसार उसे हटाए जाने के लिए प्रक्रियाएं प्रारंभ की गई हैं और ऐसी प्रक्रियाएं निष्कर्ष हेतु लंबित हैं, निलंबित कर सकेगी ।
37 अवशिष्ट उपबंध-
किसी मुख्य आयुक्त और आयुक्त की किन्हीं ऐसी सेवा शर्तों की बाबत, जिसके लिए इन नियमों में कोई अभिव्यक्त उपबंध नही किया गया है, अवधारण, यथास्थिति, भारत सरकार के सचिव या अपर सचिव को सत्समय लागू नियमों और आदेशों द्वारा किया जाएगा ।
38 मुख्य आयुक्त और आयुक्त द्वारा अनुसरित की जाने वाली प्रक्रिया-
(1) व्यथित व्यक्ति निम्नलिखित विशिष्टियों को अंतर्विष्ट करने वाला कोई परिवाद वैयक्तिक रूप से या अपने किसी अभिकर्ता के माध्यम से मुख्य आयुक्त या आयुक्त के समक्ष प्रस्तुत कर सकेगा या उसे मुख्य आयुक्त या आयुक्त को संबोधित करते हुए रजिस्ट्रीकृत डाक या ई-मेल द्वारा भेजेगा, अर्थात्:-
(क) व्यथित व्यक्ति का नाम, वर्णन और पता,
(ख) यथास्थिति, विरोधी पक्षकार या पक्षकारों का नाम, वर्णन और पता, जहां तक उन्हे अभिनिश्चित किया जा सकेगा,
(ग) परिवाद से संबंधित तथ्य और वह कब और कहां उदभूत हुआ,
(घ) परिवाद में अंतर्विष्ट अभिकथनों के समर्थन में दस्तावेज,
(ङ) वह अनुतोष, जिसके लिए व्यथित व्यक्ति दावा करता है ।
(2) मुख्य आयुक्त या आयुक्त किसी परिवाद की प्राप्ति पर, परिवाद में उल्लिखित विरोधी पक्षकार या पक्षकारों को यह निदेश देते हुए परिवाद की एक प्रति निर्दिष्ट करेगा कि वे तीस दिन अथवा मुख्य आयुक्त या आयुक्त द्वारा मंजूर की जाने वाली पन्द्रह से अनधिक की विस्तारित अवधि के भीतर मामले का अपना पहलू प्रस्तुत करे ।
(3) सुनवाई की तारीख या ऐसी अन्य तारीख को, जिसको सुनवाई आस्थगित की जा सकती है, पक्षकार या उनके अभिकर्ता मुख्य आयुक्त या आयुक्त के समक्ष उपसंजात होंगें ।
(4) जहां परिवादी या उसका अभिकर्ता ऐसी तारीखों को मुख्य आयुक्त या आयुक्त के समक्ष उपसंजात होने में असफल रहता है, वहां मुख्य आयुक्त या आयुक्त व्यतिक्रम पर परिवाद को खारिज कर सकेगा या गुणागुण के आधार पर उसका विनिश्चय कर सकेगा ।
(5) जहां विरोधी पक्षकार या उसका अभिकर्ता सुनवाई की तारीख को मुख्य आयुक्त या आयुक्त के समक्ष उपसंजात होने में असफल रहता है, वहां मुख्य आयुक्त या आयुक्त अधिनियम की धारा 77 के अधीन ऐसी आवश्यक कार्रवाई कर सकेगा, जिसे वह विरोधी पक्षकार को समन करने और उसे हाजिर करना के लिए आवश्यक समझता है ।
(6) मुख्य आयुक्त या आयुक्त, यदि आवश्यक हो तो परिवाद को एकपक्षीय रूप से निपटा सकेगा ।
(7) मुख्य आयुक्त या आयुक्त ऐसे निबंधनों पर, जिन्हें वह उचित समझे और कार्यवाहियों के किसी भी प्रक्रम पर परिवाद की सुनवाई को अस्थगित कर सकेगा ।
(8) मुख्य आयुक्त या आयुक्त यथाशक्य रूप से, विरोधी पक्षकार द्वारा सूचना की प्राप्ति की तारीख से तीन मास की अवधि के भीतर परिवाद का विनिश्चय करेगा ।
39 मुख्य आयुक्त की सहायता के लिए सलाहकार समिति-
(1) केन्द्रीय सरकार निम्नलिखित सदस्यों से मिलकर बनने वाली एक सलाहकार समिति नियुक्त करेगी, अर्थात्:-
(क) अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित विनिर्दिष्ट दिव्यांगताओं के पांच समूहों में से प्रत्येक का प्रतिनिधित्व करने के लिए पांच विशेषज्ञ, जिनमें से दो महिलाएं होंगी,
(ख) अवरोध मुक्त वातावरण के क्षेत्र में निम्नानुसार नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले तीन विशेषज्ञ,-
(i) भौतिक वातावरण में एक विशेषज्ञ,
(ii) परिवहन प्रणालियों से एक विशेषज्ञ, और
(iii) सूचना और संचार प्रौद्योगिकी या अन्य सेवाएं या जनता को उपलब्ध कराई जाने वाली प्रसुविधाओं के क्षेत्र में से एक विशेषज्ञ,
(ग) दिव्यांगजनों के नियोजन के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ,
(घ) एक विधिक विशेषज्ञ, और
(ङ) दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त द्वारा सिफारिश किए गए अनुसार एक विशेषज्ञ।
(2) मुख्य आयुक्त आवश्यकता के अनुसार विषय-वस्तु या डोमेन विशेषज्ञ को आमंत्रित कर सकेगा, जो उसकी बैठक या सुनवाई में और रिपोर्ट तैयार करने में सहायता करेगा ।
(3) सलाहकार समिति के सदस्यों की पदावधि तीन वर्ष होगी और सदस्य पुन: नामनिर्देशन के पात्र नहीं होंगें ।
(4) दिल्ली में सलाहकार समिति के गैर-शासकीय सदस्यों को वास्तविक बैठक के प्रत्येक दिन के लिए दो हजार रुपए प्रतिदिन के भत्ते का संदाय किया जाएगा ।
(5) सलाहकार समिति के गैर-शासकीय सदस्य, जो दिल्ली में निवास नहीं करते हैं, को वास्तविक बैठक के प्रत्येक दिन के लिए दैनिक भत्ते और यात्रा भत्ते का उस दर पर संदाय किया जाएगा, जो केंद्रीय सरकार के समूह ‘क’ अधिकारी को अनुज्ञेय है ।
40 वार्षिक रिपोर्ट का प्रस्तुत किया जाना-
(1) मुख्य आयुक्त, वित्तीय वर्ष के अंत के पश्चात् यथासंभव शीघ्र, किंतु आगामी वर्ष के तीस सितंबर से पूर्व एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा और केन्द्रीय सरकार को प्रस्तुत करेगा जिसमें उक्त वित्तीय वर्ष के दौरान उसके क्रियाकलापों का पूर्ण लेखा-जोखा दिया जाएगा ।
(2) विशिष्ट रूप से, उपनियम (1) में निर्दिष्ट वार्षिक रिपोर्ट में निम्नलिखित मामलों में से प्रत्येक के संबंध में जानकारी अंतर्विष्ट होगी, अर्थात्:-
(क) उसके अधिकारियों और कर्मचारिवृंद के नाम और संगठनात्मक गठन और दर्शित करने वाला एक चार्ट,
(ख) ऐसे कृत्य, जिनके लिए मुख्य आयुक्त को अधिनियम की धारा 75 और धारा 76 के अधीन सशक्त किया गया है और इस संबंध में उसके कार्यपालन की मुख्य विशिष्टियां,
(ग) मुख्य आयुक्त द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशें,
(घ) अधिनियम के कार्यान्वयन की दिशा में की गई प्रगति,
(ङ) अन्य कोई विषय, जिसे मुख्य आयुक्त द्वारा सम्मिलित किया जाना समुचित समझा जाए या जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा समय-समय पर विनिर्दिष्ट किया जाए ।
अध्याय 10 – दिव्यांगजन राष्ट्रीय निधि
41 राष्ट्रीय निधि का प्रबंध-
(1) राष्ट्रीय निधि का प्रबंध करने के लिए एक शासी निकाय होगा, जिसमें निम्नलिखित सदस्य सम्मिलित होंगें , अर्थात्:-
(क) सचिव, केन्द्रीय सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग- अध्यक्ष,
(ख) अध्यक्ष, प्रमस्तिष्क घात, मानसिक मंदता और बहुनिःशक्तता व्यक्ति कल्याण राष्ट्रीय न्यास बोर्ड – सदस्य,
(ग) वित्तीय सलाहकार, केन्द्रीय सरकार का सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय – सदस्य,
(घ) केन्द्रीय सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्यांण मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय (विद्यालय शिक्षा और साक्षरता विभाग तथा उच्चतर शिक्षा विभाग), श्रम और नियोजन मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के दो प्रतिनिधि, जो संयुक्त-सचिव से पंक्ति से नीचे का न हो, वर्णानुक्रम के अनुसार चक्रानुक्रम से – सदस्य,
(ङ) केन्द्रीय सरकार द्वारा चक्रानुक्रम से नामनिर्दिष्ट किए जाने वाले दो व्यक्ति जो भिन्न-भिन्न किस्मों की निशक्तताओं का प्रतिनिधित्व करेंगे – सदस्य,
(च) केन्द्रीय सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग का संयुक्त-सचिव – संयोजक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी ।
(2) शासी निकाय उतनी बार अपने अधिवेशन करेगा, जितने वह आवश्यक समझे, किंतु प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक अधिवेशन किया जाएगा ।
(3) नामनिर्दिष्ट सदस्य तीन वर्ष से अधिक की अवधि के लिए पद धारण नहीं करेंगे ।
(4) शासी निकाय का कोई भी सदस्य, उस अवधि के दौरान निधि का फायदाग्राही नहीं होगा, जिसके दौरान ऐसा सदस्य पद धारण करता है ।
(5) नामनिर्दिष्ट गैर-शासकीय सदस्य शासी निकाय के अधिवेशनों में भाग लेने के लिए ऐसे यात्रा भत्ते और देनिक भत्ते के संदाय के लिए पात्र होंगें , जो केन्द्रीय सरकार के समूहक के कर्मचारियों को अनुज्ञेय है ।
(6) किसी भी व्यक्ति को उपनियम (1) के खंड (ङ) के अधीन शासी निकाय के सदस्य के रूप में नामनिर्दिष्ट नहीं किया जाएगा, यदि वह –
(क) किसी ऐसे अपराध को लिए दोषसिद्ध ठहराया जाता है या गया है जिसमें केन्द्रीय सरकार की राय में नैतिक अधमता अंतर्वलित है,
(ख) किसी भी समय दिवालिए के रूप में अधिनिर्णीत किया जाता है या किया गया है ।
42 राष्ट्रीय निधि का उपयोग-
(1) इस अधिनियम के प्रारंभ की तारीख को दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए न्यास निधि और दिव्यांगजन राष्ट्रीय निधि के अधीन उपलब्ध रकम, मिलकर राष्ट्रीय निधि बनेंगी ।
(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट दोनों निधियों के अधीन उपलब्ध सभी धन राष्ट्रीय निधि को अंतरित हो जाएंगे ।
(3) निधि से संबंधित सभी धनों को ऐसे बैंकों में जमा किया जाएगा या उनका ऐसी रीति में विनिधान किया जाएगा, जैसाकि शासी निकाय द्वारा केन्द्रीय सरकार के साधारण मार्गदर्शक सिद्धांतों के अधीन रहते हुए विनिश्चय किया जाए ।
(4) निधि का विनिधान ऐसी रीति में किया जाएगा, जो शासकीय निकाय द्वारा विनिश्चय किया जाए ।
(5) निधि का उपयोग निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए किया जाएगा, अर्थात्,-
(क) ऐसे क्षेत्रों में वित्तीय सहायता प्रदान करने, जो विनिर्दिष्ट रूप से केन्द्रीय सरकार की किसी स्कीम और कार्यक्रम के अंतर्गत नहीं आते हैं या पर्याप्त रूप से केंद्रीय सरकार की किसी स्कीम या कार्यक्रम के अधीन वित्तपोषित नहीं है,
(ख) निधि के प्रशासनिक और अन्य व्यय, जिन्हें इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन उपगत किया जाना अपेक्षित है, और
(ग) ऐसे अन्य प्रयोजनों के लिए, जो शासी निकाय द्वारा विनिश्चित किए जाएं ।
(6) व्यय के प्रत्येक प्रस्ताव को शासी निकाय के समक्ष, उसके अनुमोदन के लिए रखा जाएगा ।
(7) शासी निकाय, लेखापालों सहित अनुसचिवीय कर्मचारिवृंद की नियुक्ति ऐसे निबंधनों और शर्तों के साथ कर सकेगा जिन्हें वह आवश्यकता आधारित अपेक्षा के आधार पर निधि के प्रबंध और उपयोग की देखभाल करने के लिए उपयुक्त समझे ।
43 बजट-
निधि का मुख्य कार्यपालक अधिकारी, प्रत्येक वित्त वर्ष के लिए निधि के अधीन व्यय उपगत करने के लिए बजट तैयार करेगा, जिसमें प्रत्येक वर्ष के जनवरी मास में निधि की प्राक्कलित प्राप्तियों और व्यय को दर्शित किया जाएगा और उसे शासी निकाय के समक्ष विचारार्थ रखा जाएगा ।
44 वार्षिक रिपोर्ट-
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में राष्ट्रीय निधि के संबंधित एक अध्याय सम्मिलित होगा ।
प्रारूप 1 – नियोक्ता द्वारा विवरणी
[देखिए नियम 13(1)]………………………………………………………………………… को समाप्त छमाही के लिए विशेष रोजगार एक्सचेंज को प्रस्तुत की जाने वाली छमासिक विवरणी
नियोक्ता का नाम और पता ……………………………………………………
क्या – मुख्यालय……………………………………………
शाखा कार्यालय है ……………………………………
कारबार/मुख्य कार्यकलाप की प्रकृति,…………………………………………………
1(क) रोजगार
सरकारी स्थापन के पे-रोल पर व्यक्तियों की कुल संख्या, जिसके अंतर्गत प्रोपाइटर/भागीदार/कमीशन अभिकर्ता/ आकस्मिक संदत्त और ठेका श्रमिक हैं, किंतु जिसमें अंशकालिक कर्मकार और प्रशिक्षु नहीं है । (इन आंकड़ों में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति शामिल होना चाहिए, जिसकी मजदूरी या वेतन का संदाय सरकारी स्थापन द्वारा किया जाता है) ।
पूर्व छमाही के अंतिम कार्य दिवस को
अंधता और निम्न दृश्यता
|
बधिर और जिन्हें सुनने में कठिनाई होती है
|
चलन दिव्यांगता, जिसके अंतर्गत परा-मस्तिष्क घात, ठीक किया गया कुष्ठ, बौनापन, अम्ल हमले के पीड़ित और पेशीय दुर्विकास है
|
आटिजम, बौद्धिक दिव्यांगता, सीखने में विशिष्ट दिव्यांगता और मानसिक रोग
|
स्तंभ (1) से (4) के अधीन दिव्यांगताओं से युक्त व्यक्तियों में से बहु दिव्यांगता, जिसके अंतर्गत बधिर-अंधता है
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
रिपोर्ट के अधीन छमाही के अंतिम कार्य दिवस को
अंधता और निम्न दृश्यता
|
बधिर और जिन्हें सुनने में कठिनाई होती है
|
चलन दिव्यांगता, जिसके अंतर्गत परा-मस्तिष्क घात, ठीक किया गया कुष्ठ, बौनापन, अम्ल हमले के पीड़ित और पेशीय दुर्विकास है
|
आटिजम, बौद्धिक दिव्यांगता, सीखने में विशिष्ट दिव्यांगता और मानसिक रोग
|
स्तंभ (1) से (4) के अधीन दिव्यांगताओं से युक्त व्यक्तियों में से बहु दिव्यांगता, जिसके अंतर्गत बधिर-अंधता है
|
(1)
|
(2)
|
(3)
|
(4)
|
(5)
|
दिव्यांगताग्रस्त पुरूष
दिव्यांगताग्रस्त महिला
योग —————————
(क) यदि छमाही के दौरान वृद्धि या कमी पाँच प्रतिशत से अधिक है तो रोजगार में कमी या वृद्धि के मुख्य कारणों को उपदर्शित करें ।
2 रिक्तियां:- रिक्तियां, जिनकी कुल परिलब्धियां प्रतिमास विद्यमान न्यूनतम मजदूरी के अनुसार हैं और जो छह मास की अवधि से अधिक से है ।
(क) छमाही के दौरान उदभूत और अधिसूचित रिक्तियों की संख्या तथा छमाही के दौरान भरी गई रिक्तियों की संख्या (दिव्यांग पुरूष और दिव्यांग महिलाओं के लिए पृथक् आंकड़े दिए जाएं)
रिक्तियों की संख्या, जो अधिनियम की परिधि में आती हैं
उदभूत अधिसूचित भरी गई स्रोत
(उस स्रोत का वर्णन करें, जिससे भरी गई हैं)
स्थानीय/विशेष रोजगार एक्सचेंज साधारण रोजगार एक्सचेंज
(ख) 2(क) द्वारा रिपोर्ट के अधीन छमाही के दौरान उदभूत सभी रिक्तियों को अधिसूचित न करने के कारण …………………………………………
3 जनशक्ति की कमी
उपयुक्त आवेदकों की कमी के कारण रिक्तियां/ भरे नहीं गए पद
व्यवसाय या पद का नाम
भरी न गई रिक्तियां/पद (दिव्यांगता अनुसार)
1
|
अनिवार्य अर्हता
2
|
अनिवार्य अनुभव
3
|
अनुभव आवश्यक नहीं
4
|
कृपया किसी अन्य व्यवसाय को सूचीबद्ध करें, जिसके लिए सरकारी स्थापन ने उपयुक्त आवेदकों को अभिप्राप्त करने में कठिनाई अनुभव की है ।
नियोक्ता के हस्ताक्षर
तारीख
सेवा में,
रोजगार एक्सचेंज
—————————————————
—————————————————
टिप्पण, यह विवरणी 31 मार्च और 30 सितंबर को समाप्त हुई छमाहियों के लिए है और इसे संबंधित छमाही के अंत के पश्चात् तीस दिन के भीतर विशेष रोजगार एक्सचेंज को भेज दिया जाएगा ।
प्रारूप 2 – दिव्यांगजन नियोक्ता की विवरणी
[देखिए नियम 13(1)]स्थानीय विशेष रोजगार एक्सचेंज को दो वर्षों में एक बार प्रस्तुत की जाने वाली व्यवसाय विवरणी
नियोक्ता का नाम और पता ……………………………………………………………
कारबार की प्रकृति ______________________________
(कृपया वर्णन करें कि सरकारी स्थापन क्या बनाता है या उसका प्रधान कार्यकलाप क्या है)
सरकारी स्थापन के पे-रोल पर विनिर्दिष्ट तारीख को व्यक्तियों की कुल संख्या, (इन आंकड़ों में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति शामिल होना चाहिए, जिसकी मजदूरी या वेतन का संदाय सरकारी स्थापन द्वारा किया जाता है) (दिव्यांग पुरुषों और दिव्यांग महिलाओं के लिए पृथक् आंकड़े दिए जाएं ।
ऊपर मद 1 में दिए गए सभी कर्मचारियों के व्यवसाय का वर्गीकरण (कृपया प्रत्येक व्यवसाय में कर्मचारियों की संख्या नीचे पृथक्त दें ।
व्यवसाय कर्मचारियों की संख्या
सटीक अभिव्यक्ति का उपयोग करें दिव्यांग पुरुष दिव्यांग महिला योग
जैसे इंजीनियर (यांत्रिक),
शिक्षक (घरेलु/विज्ञान) कार्य पर अधिकारी (बीमाकंक),
सहायक निदेशक (धातु विज्ञान),
वैज्ञानिक सहायक (रसायनज्ञ), अनुसंधान अधिकारी (अर्थशास्त्री), अनुदेशक (बढ़ई),
पर्यवेक्षक (दर्जी)
फिटर (आंतरिक दहन इंजन),
निरीक्षक, (स्वच्छता), कार्यालय अधीक्षक
प्रशिक्षु(वैद्युत मिस्त्री)
नोट: कृपया जहां तक संभव हो, प्रत्येक व्यवसाय में अनुमानित रिक्तियों की संख्या दें, जिन्हें आपके द्वारा अगले कलैंडर वर्ष में सेवानिवृत्ति के कारण भरा जाएगा ।
योग
तारीख नियोक्ता के हस्ताक्षर
सेवा में
रोजगार एक्सचेंज
(कृपया यहां अपने स्थानीय रोजगार एक्सचेंज का पता भरें)
टिप्पण, मद-2 के अधीन स्तंभ 5 का योग मद-1 के सामने दिए गए आंकड़ों के अनुरूप होना चाहिए ।
प्रारूप 3 – दिव्यांगजन नियोक्ता की विवरणी
[देखिए नियम 14]नियोक्ता का नाम और पता ……………………………………………………………
क्या – मुख्यालय……………………………………………
शाखा कार्यालय ……………………………………
कारबार/मुख्य कार्यकलाप की प्रकृति,…………………………………………………
सरकारी स्थापन के पे-रोल पर व्यक्तियों की कुल संख्या (इन आंकड़ों में ऐसा प्रत्येक व्यक्ति मिल होना चाहिए, जिसकी मजदूरी या वेतन का संदाय सरकारी स्थापन द्वारा किया जाता है)।
स्थापन के पे-रोल पर दिव्यांगजनों(दिव्यांगता-वार) की कुल संख्या (इन आंकड़ों में दिव्यांगताग्रस्त प्रत्येक व्यक्ति शामिल होना चाहिए, जिसकी मजदूरी या वेतन का संदाय स्थापन द्वारा किया जाता है)।
(क) सभी कर्मचारियों की व्यवसायिक अर्हता (नीचे प्रत्येक व्यवसाय में कर्मचारियों की संख्या पृथक्त: दें)
व्यवसाय कर्मचारियों की संख्या
सटीक पद का उपयोग करें दिव्यांग पुरुष दिव्यांग महिला योग
जैसे इंजीनियर (यांत्रिक),
शिक्षक (घरेलु/विज्ञान) कार्य पर अधिकारी (बीमाकंक),
सहायक निदेशक (धातु विज्ञान),
वैज्ञानिक सहायक (रसायनज्ञ),
अनुसंधान अधिकारी (अर्थशास्त्री),
अनुदेशक (बढ़ई),
नोट: कृपया जहां तक संभव हो, प्रत्येक व्यवसाय में अनुमानित रिक्तियों की संख्या दें, जिन्हें आपके द्वारा अगले कलैंडर वर्ष में सेवानिवृत्ति के कारण भरा जाएगा ।
योग
(ख) यदि छमाही के दौरान वृद्धि या कमी पाँच प्रतिशत से अधिक है तो रोजगार में कमी या वृद्धि के मुख्य कारणों को उपदर्शित करें ।
2 रिक्तियां:- रिक्तियां, जिनकी कुल परिलब्धियां प्रतिमास विद्यमान न्यूनतम मजदूरी के अनुसार हैं और जो छह मास की अवधि से अधिक से है ।
(क) छमाही के दौरान उदभूत और अधिसूचित रिक्तियों की संख्या तथा छमाही के दौरान भरी गई रिक्तियों की संख्या (दिव्यांग पुरूष और दिव्यांग महिलाओं के लिए पृथक् आंकड़े दिए जाएं)
रिक्तियों की संख्या, जो अधिनियम की परिधि में आती हैं
उदभूत अधिसूचित भरी गई स्रोत
स्थानीय विशेष साधारण उस स्रोत का वर्णन करे,
रोजगार एक्सचेंज नियोजन जिससे भरी गई है।
(ग) (क) 2 द्वारा रिपोर्ट के अधीन छमाही के दौरान उदभूत सभी रिक्तियों को
(घ) अधिसूचित न करने के कारण …………………………………………
3 जनशक्ति की कमी
उपयुक्त आवेदकों की कमी के कारण रिक्तियां/न भरे गए पद
व्यवसाय या पद का नाम भरी न गई रिक्तियां/पद
अनिवार्य अर्हता अनिवार्य अनुभव अनुभव अपेक्षित नहीं है
कृपया किसी अन्य व्यवसाय को सूचीबद्ध करें, जिसके लिए सरकारी स्थापन ने उपयुक्त आवेदकों को अभिप्राप्त करने में कठिनाई अनुभव की है ।
नियोक्ता के हस्ताक्षर
तारीख
प्रारूप 4 -दिव्यांगजनों द्वारा दिव्यांगता प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए आवेदन
(नियम 17(1) देखिए)
1- नाम
(उपनाम) (प्रथम नाम) (मध्य नाम)
2- पिता का नाम माता का नाम
3- जन्म की तारीख – (तारीख) (मास) (वर्ष)
4- आवेदन की तारीख को आयु———————————वर्ष
5- लिंग – पुरूष/महिला/उभयचर
6- पता –
(क) स्थायी पता ——————–
(ख) वर्तमान पता (पत्राचार आदि के लिए)———————————————
(ग) वर्तमान पते पर कब से रह रहे/रही हैं।
पता ——————————–
7- शैक्षिक स्थिति (कृपया जो लागू हो निशान लगाएं)
(i) स्नातकोत्तर
(ii) स्नातक
(iii) डिप्लोमा
(iv) हायर सैकण्डरी
(v) हाई स्कूल
(vi) मिडिल
(vii) प्राइमरी
(viii) अनपढ़
8- व्यवसाय ———————————————–
9- पहचान के चिन्ह (1) ——————- (2)
10-दिव्यांगता की प्रकृति –
11-अवधि जब से दिव्यांगता आई- जन्म/वर्ष से
12- (i) क्या आपने पूर्व में दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए कभी आवेदन किया है – हां/नहीं
(ii) यदि हां, तो ब्यौरे-
(क) किस प्राधिकारी को और किस जिले में आवेदन दिया गया
(ख) आवेदन का परिणाम
13-क्या पूर्व में आपको कोई दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया गया है? यदि हां, तो कृपया सही प्रति संलग्न करें।
घोषणाः घोषणा करता/करती हूं कि उपरोक्त कथित सभी विशिष्टयाँ मेरी सर्वोत्तम जानकारी और विश्वास के अनुसार सत्य हैं और कोई भी तात्विक जानकारी छुपाई या मिथ्या कथन नहीं बताई गई हैं। मैं आगे यह भी कथन करता हूं कि यदि आवेदन में कोई गलती पाई जाती है, तो मैं लिए गए किसी भी प्रकार के लाभ समपहरण और विधि के अनुसार अन्य कार्रवाई के लिए उत्तरदायी होऊँगा/होऊँगी।
———————————————————-
दिव्यांग व्यक्ति या मानसिक मंदता, ऑटिज्म
प्रमस्तिष्क अंगघात और बहु निःशक्तता में
उसके/उसकी विधिक संरक्षक के हस्ताक्षर या
बाएं अंगूठे का निशान
तारीख-
स्थान-
संलग्न-
1- निवास का प्रमाण (कृपया जो लागू हो निशान लगाएं)
(क) राशन कार्ड
(ख) मतदाता पहचानपत्र
(ग) ड्राइविंग लाइसेंस
(घ) बैंक पासबुक
(ङ) पैन कार्ड
(च) पासपोर्ट
(छ) आवेदक के पते को उपदर्शित करता टेलीफोन, बिजली, पानी और कोई अन्य उपयोगिता संबंधी बिल
(ज) पंचायत, नगरपालिका, छावनी बोर्ड, किसी राजपत्रित अधिकारी या संबंधित पटवारी या शासकीय विद्यालय के प्रधान अध्यापक द्वारा जारी निवास प्रमाणपत्र
(झ) दिव्यांग व्यक्ति, निराश्रित, मानसिक रूग्ण इत्यादि के लिए आवासीय संस्था के वासी की दशा में, ऐसे संस्थान के प्रमुख से निवास का प्रमाणपत्र
2- दो नवीनतम पासपोर्ट आकार के फोटो
(केवल कार्यालय उपयोग के लिए)
तारीख—————————
स्थान—————————-
जारी करने वाले प्राधिकारी के हस्ताक्षर
मुहर
प्रारूप 5 -दिव्यांगता प्रमाण पत्र
(अंगोच्छेदन या अंगों की पूर्ण स्थाई अंगघात, बौनापन और अंधापन की दशा में)
(नियम 18 (1) देखिए)
(प्रमाणपत्र जारी करने संबंधी चिकित्सा प्राधिकारी का नाम और पता)
दिव्यांग व्यक्ति का नवीनतम पासपोर्ट आकार
का सत्यापित फोटोग्राफ
(केवल चेहरा दिखता हुआ)
प्रमाणपत्र संख्या तारीख
यह प्रमाणित किया जाता है कि मैंने श्री/श्रीमती/कुमारी—————————–पुत्र/पत्नी/पुत्री श्री———————————–जन्म की तारीख———————————आयु—————–(तारीख/मास/वर्ष) वर्ष, पुरूष/ महिला——————रजिस्ट्रेशन नं0——————मकान नं0 वार्ड/गाँव/गली डाकघर जिला राज्यका स्थाई निवासी जिनकी फोटो ऊपर लगी हुई है की सावधानीपूर्वक जांच कर ली है और मैं संतुष्ट हूँ कि
(क) यह मामला
- चलन संबंधी दिव्यांगता
- बौनापन
- नेत्रहीन का है
(कृपया जो लागू हो, उस पर ठीक का निशान लगाएं)
(ख) उनके मामले में निदान—————————— है।
(ग) उन्हें मार्गदर्शक सिद्धांतों (मार्गदर्शक की संख्या और जारी करने की तिथि निर्दिष्ट किया जाना है) के अनुसार उनके (शरीर के अंग) के संबंध में स्थापना———————–% (अंक में)——————————- प्रतिशत (शब्दों में) स्थाई चलन दिव्यांगता/बौनापन/नेत्रहीनता है ।
2- आवेदक ने निवास के सबूत के रूप में निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए हैः-
दस्तावेज की प्रकृति
|
जारी होने की तारीख
|
प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्राधिकारी का ब्यौरा |
|
(अधिसूचित चिकित्सा प्राधिकारी के
प्राधिकृत हस्ताक्षर और मोहर)
उस व्यक्ति के हस्ताक्षर/अंगूठे की छाप जिसके पक्ष में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी होना है
प्रारूप 6 – प्रमाणपत्र
दिव्यांगता प्रमाण पत्र
(बहु दिव्यांगता की दशा में)
(नियम 18(1) देखिए)
(प्रमाणपत्र जारी करने वाले चिकित्सा प्राधिकारी का नाम और पता)
दिव्यांग व्यक्ति का हाल ही का पासपोर्ट आकार
का सत्यापित फोटोग्राफ (केवल चेहरा दिखता हुआ)
प्रमाणपत्र संख्या- तारीख-
यह प्रमाणित किया जाता है कि हमने श्री/श्रीमती/कुमारी—————————-पुत्र/पत्नी/पुत्री श्री————————————–जन्म की तारीख————————–आयु——————(तारीख/मास/वर्ष)वर्ष, पुरूष/महिला————————रजिस्ट्रेशन नं0———————- मकान नं0———————————— वार्ड/गाँव/गली———————————– डाकघर——————————– जिला —————————— राज्य———————-का स्थाई निवासी जिनकी फोटो ऊपर लगी हुई है की सावधानीपूर्वक जांच कर ली है और हम संतुष्ट हैं कि
(क) यह मामला बहु दिव्यांगता के लिए है। उनकी स्थाई शारीरिक क्षति/दिव्यांगता को निम्नलिखित दिव्यांगताओं हेतु मार्गदर्शक सिद्धांतों (विनिर्दिष्ट किया जाना है) के अनुसार मूल्यांकन किया गया है और निम्नलिखित सारणी में दिव्यांगता के सामने दर्शाया गया है।
क्रम सं
|
दिव्यांगता
|
शरीर का प्रभावित अंग
|
निदान
|
स्थाई शारीरिक दिव्यांगता/मानसिक दिव्यांगता (%में)
|
1
|
चलन संबंधी दिव्यांगता
|
@ | ||
2
|
मांसपेशीय दुर्विकास
|
|||
3
|
ठीक किया हुआ कुष्ठ
|
|||
4
|
बौनापन
|
|||
5
|
प्रमस्तिष्क घात
|
|||
6
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अम्ल हमले की पीड़ित
|
|||
7
|
कम दृष्टि
|
# | ||
8
|
दृष्टिहीनता
|
# | ||
9
|
श्रवण क्षति
|
£ | ||
10
|
सुनने में कठिनाई
|
£ | ||
11
|
वाक और भाषा दिव्यांगता
|
|||
12
|
बौद्धिक दिव्यांगता
|
|||
13
|
विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता
|
|||
14
|
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर
|
|||
15
|
मानसिक रूग्णता
|
|||
16
|
क्रोनिक स्नायविक स्थिति
|
|||
17
|
बहुल काठिन्य
|
|||
18
|
पार्किन्सन रोग
|
|||
19
|
हीमोफीलिया
|
|||
20
|
थैलेसीमिया
|
|||
21
|
सिकल सेल रोग
|
(ख) उपरोक्त के मद्देनजर उनकी समग्र स्थाई शारीरिक क्षति मार्गदर्शक सिद्धांतों (मार्गदर्शक की संख्या और जारी करने की तिथि निर्दिष्ट किया जाना है) के अनुसार इस प्रकार हैं,-
अंकों में———————————-प्रतिशत
शब्दों में———————————प्रतिशत
2- यह स्थिति वर्धनशील/अवर्धनशील/इसमें सुधार होने की संभावना/सुधार न होने की संभावना है।
3-दिव्यांगता का पुर्नमूल्यांकन
(i) आवश्यक नहीं है,
या
(ii) वर्ष————–मास——————- के पश्चात सिफारिश की जाती है और इसलिए यह प्रमाणपत्र———————-तक————————————–विधिमान्य रहेगा।
(तारीख) (मास) (वर्ष)
@ अर्थात् बायां/दाहिना/दोनों भुजाएं/पैर
# अर्थात् एक आँख/दोनों आँखें
£ अर्थात् बायां/दाहिना/दोनों कान
4 आवेदक ने निवास के सबूत प्रमाण के रूप में निम्न दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं,-
दस्तावेज की प्रकृति
|
जारी होने की तारीख
|
प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्राधिकारी का ब्यौरा |
5 चिकित्सा प्राधिकारी के हस्ताक्षर और मोहर
सदस्य का नाम और मुहर
|
सदस्य का नाम और मुहर
|
अध्यक्ष का नाम और मुहर
|
उस व्यक्ति के हस्ताक्षर/अंगूठे की निशान जिसके पक्ष में
दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया गया।
प्रारूप 7 – दिव्यांगता प्रमाण पत्र
(प्रारूप 5 और प्रारूप 6 में उल्लिखित मामलों के अतिरिक्त)
(प्रमाणपत्र जारी करने वाले चिकित्सा प्राधिकारी का नाम और पता)
(नियम 18(1) देखिए)
दिव्यांग व्यक्ति का हाल ही का पासपोर्ट आकार
का सत्यापित फोटोग्राफ
(केवल चेहरा दिखता हुआ)
प्रमाणपत्र संख्या
प्रमाणित किया जाता है कि मैंने श्री/श्रीमती/कुमारी——————————–पुत्र/पत्नी/पुत्री श्री————————————-जन्म की तारीख————————————-(तारीख/मास/वर्ष)आयु————————वर्ष, पुरूष/महिला———————रजिस्ट्रेशन नं0 ———————————–मकान नं0——————————— वार्ड/गाँव/गली—————– डाकघर———————————- जिला ——————————— राज्य—————————–का स्थाई निवासी जिनकी फोटो ऊपर लगी हुई है की सावधानीपूर्वक जांच कर ली है तथा मैं इस बात से संतुष्ट हूँ कि यह—————————————– दिव्यांगता का मामला है। इसकी शारीरिक क्षति/दिव्यांगता का मूल्यांकन मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार (…………मार्गदर्शक की संख्या और जारी करने की तिथि विनिर्दिष्ट किया जाना है) किया गया है तथा यह निम्नलिखित सारणी में दिव्यांगता के सामने दर्शाया गया हैं,-
क्रम सं
|
दिव्यांगता
|
शरीर का प्रभावित अंग
|
निदान
|
स्थाई शारीरिक क्षति/ दिव्यांगता (%में)
|
1
|
चलन संबंधी दिव्यांगता
|
@
|
||
2
|
मांसपेशीय दुर्विकास
|
|||
3
|
ठीक किया हुआ कुष्ठ
|
|||
4
|
प्रमस्तिष्क घात
|
|||
5
|
अम्ल हमले की पीड़ित
|
|||
6
|
कम दृष्टि
|
#
|
||
7
|
बधिर
|
£
|
||
8
|
श्रवण क्षति
|
£
|
||
9
|
वाक और भाषा दिव्यांगता
|
|||
10
|
बौद्धिक दिव्यांगता
|
|||
11
|
विशिष्ट शिक्षण दिव्यांगता
|
|||
12
|
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर
|
|||
13
|
मानसिक रूग्णता
|
|||
14
|
क्रोनिक स्नायविक स्थिति
|
|||
15
|
बहुल काठिन्य
|
|||
16
|
पार्किन्सन रोग
|
|||
17
|
हीमोफीलिया
|
|||
18
|
थैलेसीमिया
|
|||
19
|
सिकल सेल रोग
|
लागू न हो उसे काट दें।
2 उपरोक्त स्थिति वर्धनशील/अवर्धनशील है इसमें सुधार होने की संभावना/सुधार न होने की संभावना है।
3 दिव्यांगता का पुर्नमूल्यांकन की –
(i) आवश्यकता नहीं है,
या
(ii) वर्षमास के पश्चात सिफारिश की जाती है और इसलिए यह प्रमाणपत्र तारीख मास वर्ष तक विधिमान्य रहेगा।
@ अर्थात् बायां/दाहिना/दोनों भुजाएं/पैर
# अर्थात् एक आँख/दोनों आँखें
£ अर्थात् बायां/दाहिना/दोनों कान
4 आवेदक ने निवास के सबूत के रूप में निम्नलिखित दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं,-
दस्तावेज की प्रकृति
|
जारी होने की तारीख
|
प्रमाणपत्र जारी करने वाले प्राधिकारी का ब्यौरा |
उस व्यक्ति के हस्ताक्षर/अंगूठे की निशान जिसके पक्ष में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी किया गया।
(अधिसूचित चिकित्सा प्राधिकारी के प्राधिकृत हस्ताक्षर)
(नाम और मोहर)
प्रति हस्ताक्षर
(चिकित्सा प्राधिकारी, जो सरकारी सेवक
नहीं है, के द्वारा जारी प्रमाणपत्र की दशा में,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी/चिकित्सा
अधीक्षक/सरकारी अस्पताल के प्रधान का
प्रतिहस्ताक्षर और मोहर)
टिप्पणी- यदि यह प्रमाणपत्र चिकित्सा प्राधिकारी, जो सरकारी सेवा में नहीं है, के द्वारा जारी किया जाता है तो यह विधिमान्य तभी होगा जब इस पर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षर किया गया हो।
प्रारूप 8 – दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन को अस्वीकार करने की सूचना
[नियम 18(4) देखिए]संख्या ———————— तारीख———————————
सेवा में,
(दिव्यांगता प्रमाणपत्र के लिए
आवेदक का नाम और पता)
विषय- दिव्यांगता प्रमाणपत्र के आवेदन का अस्वीकार किया जाना
महोदय/महोदया,
कृपया तारीख के निम्नलिखित दिव्यांगता के लिए दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करने के आवेदन का संदर्भ लें,
_________________________________________________
2 पूर्वोक्त आवेदन के अनुसरण में आपकी निम्नलिखित हस्ताक्षरी/चिकित्सा प्राधिकारी द्वारा को जांच की गई और मुझे यह सूचित करते हुए अफसोस हो रहा है कि नीचे दिए गए कारणों से आपके पक्ष में दिव्यांगता प्रमाणपत्र जारी करना संभव नहीं है,
(i)
(ii)
(iii)
3 यदि आप अपने आवेदन को अस्वीकार किए जाने से व्यथित हैं तो आप इस विनिश्चय का पुनर्विलोकन करने का अनुरोध करने के लिए ………… को अभ्यावेदन दे सकते हैं ।
भवदीय,
(अधिसूचित चिकित्सा प्राधिकारी का प्राधिकृत हस्ताक्षरी)
(नाम और मुहर)
स्रोत: विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार