अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.)

सर्वप्रथम न्यूज़ आदित्य राज पटना:-

भूमिका

अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता स्कीम एक केन्द्रीय स्कीम है जिसके तहत राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को उनकी अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस.सी.एस.पी.) के अतिरिक्त 100 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है।

स्कीम का उद्देश्य

इस स्कीम का प्रमुख उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाली अनुसूचित जातियों को महत्वपूर्ण अंतर को पाटने के लिए संसाधन प्रदान करके और महत्वपूर्ण निवेश प्रदान करके इनके आर्थिक विकास की परिवार केन्द्रित स्कीमों पर विशेष ध्यान देना है ताकि इस स्कीम को अधिक सार्थक बनाया जा सके। चूंकि अनुसूचित जातियों के लिए इस प्रकार की स्कीमें/कार्यक्रम स्थानीय व्यवसाय पैटर्न और उपलब्ध आर्थिक कार्यकलापों पर निर्भर हो सकते हैं इसलिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को केवल इस शर्त के आधार पर विशेष केन्द्रीय सहायता का उपयोग करने में लचीलापन अपनाने की स्वतंत्रता दी गई है कि इसका उपयोग एस.सी.पी. तथा विभिन्न निगमों, वित्तीय संस्थाओं इत्यादि जैसे अन्य स्रोतों से उपलब्ध अन्य संसाधनों के साथ किया जाना चाहिए।

राज्य सरकारों को इस स्कीम के समग्र कार्य-ढांचे के भीतर विशेष केन्द्रीय सहायता से कार्यान्वित की जाने वाली स्कीमों का चयन करने में लचीलापन प्रदान किया गया है।

अनुसूचित जातियों हेतु को विशेष केन्द्रीय सहायता के उपयोग संबंधी दिशा निर्देश

पृष्ठभूमि

जैसा कि आपको ज्ञात है, विशेष केन्द्रीय सहायता राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को अनुसूचित जातियों हेतु उनके विशेष संघटक योजना के योगज के रूप में प्रदान की जाती है। इसका मुख्य उददेश्य अनुसूचित जातियों हेतु विकास कार्यक्रमों पर जोर देना है जो कि इनके व्यावसायिक पैटर्न और इनके सीमित संसाधनों से उत्पादकता और आय को बढ़ाने की आवश्यकता के संबंध में है। यह श्रम अतिरेक अर्थव्यवस्था में व्यावसायिक विविधता लाने में सहायक होगा। विशेष केन्द्रीय सहायता दवारा गरीबी रेखा से नीचे की अनुसूचित जातियों के आर्थिक विकास हेतु परिवार मुखी योजनाओं पर जोर देना अपेक्षित है जोकि निर्णायक अंतरों को पाटने के लिए संसाधनों को प्रदान करके और अप्राप्त महत्वपूर्ण इनपुट्स को मुहैया कराके है ताकि योजनाएं अधिक अर्थपूर्ण हो सके। चूंकि अनुसूचित जातियों के लिए योजनाएं/कार्यक्रम स्थानीय व्यावसायिक पैटर्न और उपलब्ध आर्थिक कार्यकलापों पर निर्भर होती हैं, अत: राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को एस0सी0ए0 को उपयोग करने में पूरी स्वतंत्रता दी गई है बशर्ते यह एस0सी0पी0 और अन्य संसाधनों जैसे विभिन्न निगमों, वितीय संस्थाओं इत्यादि से उपलब्ध अन्य स्त्रोतों के संयोजन से उपयोग की जाए ।

2. विकास के विभिन्न सेक्टरों के तहत, जहां एस.सी.ए. प्रयुक्त की जा सकती है के तहत दृष्टांत स्वरूप सूची को पहले ही इस मंत्रालय के अ.शा. पत्र सं0 19020/35/93-एस.सी.डी.-VI, दिनांक 29 जुलाई, 1993 (अनुबंध-I के रूप में प्रति संलग्न) के अंतर्गत परिचालित की गई है । अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रमों हेतु एस.सी.ए. के प्रयोग के लिए 50औ  या अधिक की अनुसूचित जाति की जनसंख्या के ब्लॉकों की शर्त में छूट दी गई है और अब ऐसे गांव जहां 50 औ या अधिक अनुसूचित जाति की जनसंख्या है, को एस.सी.ए. निधियों की सहायता से अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रमों हेतु विचार किया जा सकता है। राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासन को वर्ष में जारी कुल एस.सी.ए. के केवल 10% को अवसंरचना विकास कार्यक्रमों हेतु उपयोग किया जाना चाहिए । इस संबंध में दिनांक 7 सितम्बर, 1998 को जारी अ.शा. पत्र सं0 19020/35/93-VI एस.सी.डी.-VI की प्रति अनुबंध-II पर संलग्न है ।

3. आर्थिक कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति दवारा निम्नलिखित आशोधनों और शर्तों के साथ IX वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान विशेष संघटक योजना को विशेष केंद्रीय सहायता की योजना के जारी रहने को अनुमोदित किया गया है

(i) विशेष केन्द्रीय सहायता निम्नलिखित मानदण्डों के आधार पर राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को जारी की जाएगी

क) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की अनुसूचित जाति की आबादी 40%
(ख) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के सापेक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर (राज्य प्रति व्यक्ति घरेलू उत्पाद का व्युत्क्रम)

 

10%
(ग) इस समुदाय के व्यक्तियों को गरीबी रेखा से बाहर निकलने में समर्थ बनाने के लिए योजनाओं में संयुक्त आर्थिक विकास योजनाओं/कार्यक्रमों समाविष्ट राज्य संघ राज्य क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के परिवारों का प्रतिशत 25%
(घ) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की अनुसूचित जाति की आबादी की अपेक्षा में वार्षिक योजना में विशेष संघटक योजना का प्रतिशत

 

25%

 

(i) योजना हेतु कुल बजट आबंटन के 2% को पूर्वोतर राज्यों जो अनुसूचित जातियों के लिए विशेष संघटक योजना कार्यान्वित करते हैं, के लिए निर्दिष्ट होगा ।

(ii) उपर्युक्त मापदण्ड क   (i)  के आधार पर राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी कुल विशेष केन्द्रीय सहायता के 15% को राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों दवारा अनन्य रूप से अनुसूचित जाति की महिलाओं की व्यवहार्य आय सूजन आर्थिक विकास योजनाओं/कार्यक्रमों पर ही उपयोग किया जाएगा |

(iv) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी कुल विशेष केन्द्रीय सहायता के 5औ का उपयोग अनन्य रूप से अनुसूचित जातियों में विकलांग व्यक्तियों के आर्थिक विकास के लिए किया जाएगा ।

(V) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को जारी कुल विशेष केन्द्रीय सहायता के 3औ का उपयोग, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों दवारा, विशेष केन्द्रीय सहायता निधियों की सहायता से कार्यान्वित आर्थिक विकास योजनाओं के पर्यवेक्षण, मॉनीटरिंग और मूल्यांकन के लिए किया जाएगा ।

(vi) राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को विशेष केन्द्रीय सहायता की दूसरी किस्त को पूर्व वर्ष के संचयी आरम्भिक अतिशेष के व्यय और चालू वर्ष हेतु प्रथम किस्त के 75% को सुनिश्चित करने के बाद ही जारी किया जाना चाहिए।

4. विभिन्न स्तरों पर योजनाओं के पर्यवेक्षण, कार्यान्वयन, मॉनीटरिंग और मूल्यांकन हेतु अभिप्रेत स्टाफ के लिए अनुमत एस.सी.ए. की सीमा को 1% से 3% बढ़ाया गया है और इसमें कार्यान्वयन के सभी स्तरों के उददेश्य हेतु स्टाफ और अवसंरचना की अपेक्षा को शामिल किया गया है । गरीबी रेखा से नीचे के अनुसूचित जाति के परिवारों के आर्थिक विकास हेतु व्यवहार्य योजनाओं पर एस.सी.ए. निधियों की समुचित और समय पर उपयोग हेतु इस पर अधिक ध्यान की अपेक्षा है । राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को राज्य व जिला जिला स्तरों पर अपना मॉनीटरिंग मेकेनिज्म सुदृढ़ करना चाहिए । कार्यान्वयन एजेंसियों से जिला स्तर मॉनीटरिग समिति और जिला स्तर समिति से राजय स्तर मॉनीटरिंग समिति को तिमाही आधार पर निधियों के कार्यान्वयन और उपयोग पर मासिक प्रगति रिपोर्ट के माध्यम से नियमित फीड बैक होनी चाहिए । अनुसूचित जाति कल्याण और विकास से संबंधित विभाग के सचिव को प्रत्येक तिमाही की समाप्ति के बाद 15 दिनों के भीतर एस.सी.ए. के उपयोग पर तिमाही प्रगति रिपोर्ट और प्रत्येक वित्त वर्ष की समाप्ति के 3 माह के भीतर निधियों के उपयोग पर वार्षिक प्रगति रिपोर्ट, आरत सरकार, सामाजिक न्याय ओर अधिकारिता मंत्रालय को भेजानी चाहिए । मंत्रालय, राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों से प्राप्त प्रगति रिपोर्ट के आधार पर, इस विषय पर, विशेष रूप से एस.सी.ए. से एस.सी.पी. के तहत निधियों के उपयोग पर, यदि निधियों का कहीं कोई विषयान्तर हो, की इंगित करते हुए योजना आयोग को समेकित राज्यवार रिपोर्ट भेजेगी |

5. कार्यान्वयन विभागों/एजेंसियों को निधियों की देर से निर्मुक्ति, कार्यान्वयन विभागों/एजेंसियों को मंजूर/जारी निधियों जिसके लिए इन्हें स्वीकृत किया गया है, का अनुपयोग, कार्यान्वयन विभागों/एजेंसियों के साथ पर्याप्त दीर्घ अवधि हेतु निधियों के अव्ययित शेष का संचय, सिविल जमाओं, सावधि जमाओं, बचत बैंक एकाउन्ट, पी.एल.ए. इत्यादि में निधियों को रखना, योजनाओं के कार्यान्वयन हेतु समुचित कार्रवाई योजना की कमी, योजनाओं की सम्भाव्यता और व्यवहार्यता को सुनिश्चित किए बिना योजनाओं हेतु निधियों की स्वीकृति, अनुसूचित जातियों हेतु अभिप्रेत योजनाओं के लाभ को गैर-अनुसूचित जातियों इत्यादि को लीकेज जैसे कारक लक्षित समूह के आर्थिक विकास की प्रक्रिया को मंद करते हैं । ऐसी कमियों/त्रुटियों को दूर करने के लिए प्रभावी उपायों को बनाने की आवश्यकता है ताकि एस.सी.ए. जारी करने का उददेश्य सार्थक रूप से पूरा हो सके। अनुसूचित जातियों हेतु विकास योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन हेतु विभिन्न उपायों में से, निम्न तथ्यों पर अधिक जोर दिया जा सकता है

i) भारत सरकार से एस.सी.ए. प्राप्त करने के बाद बिना किसी टेरी के कार्यान्वयन एजेंसियों को निधियां जारी करना |

ii) कार्यान्वयन एजेंसियों को जारी एस.सी.ए. का अलग एकाउन्ट का रखरखाव किया जा सकता है और कार्यान्वयन एजेंसियों दवारा एस.सी.ए. निधियों के उपयोग पर, कार्यान्वयन एजेंसियों से आवधिक प्रगति रिपोर्टों के माध्यम से, नियमित रूप से निगरानी रखी जा सकती है ।

iii) यह सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित कार्यान्वयन एजेंसियों से उपयोगिता प्रमाण-पत्र समय पर प्राप्त हो |

iv) राज्य और जिला/ब्लॉक स्तरीय कार्यान्वयन एजेंसियों के एस.सी.ए. एकाउन्ट की वार्षिक लेखा-परीक्षा सुनिश्चित की जाए ।

V) कार्यान्वयन एजेंसियों या नोडल विभाग दवारा सिविल जमाओं, सावधि जमाओं, बचत बैंक एकाउन्ट, पी.एल.ए. इत्यादि में अधिक अवधि हेतु एस.सी.ए. निधियों को रखने को हतोत्साहित किया जाए। योजनाओं और लाभार्थियों को ज्ञात करने और योजनाओं की स्वीकृति और लाभार्थियों को सहायता जारी करने में विलम्ब का परिणाम प्रायः निधियों का विभिन्न एकाउन्ट में जमा कराना होता है। इनको पूर्व में जारी निधियों के उपयोग का पता किए बिना कार्यान्वयन एजेंसियों को निधियों की निर्मुक्ति से अव्ययित शेष का संचय और विभिन्न एकाउन्ट में जमा में बढ़ोतरी होती है।

अनुसूचित जातियों की विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुसार व्यवहार्य योजनाओं को ज्ञात करने और वित वर्ष में सहायता हेतु विचारार्थ पात्र लाभार्थियों को अभिज्ञात करने संबंधी प्रक्रिया को वित वर्ष के शुरूआत से ठीक पहले पूरा किया जाना चाहिए। योजनाओं की मंजूरी और सहायता की निर्मुक्ति को इस प्रकार एस.सी.ए. निधियों की प्राप्ति के बाद ही समय पर सुनिश्चित किया जा सकता है। इससे वितीय वर्ष के अन्त में योजनाओं को बिल्कुल आखिर में स्वीकृति करने से बचने और निधियों के पूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायता होगी ।

6. भारत सरकार, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वित वर्ष के शुरू में राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को विशेष केन्द्रीय सहायता का अनंतिम आबंटन सूचित करेगा और वित वर्ष की पहली तिमाही के दौरान राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की अनुसूचित जाति की जनसंख्या और सापेक्षिक पिछड़ेपन के आधार पर विशेष केन्द्रीय सहायता की पहली किस्त जारी करेगा। राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को प्रयास आधारित मानदंड पर सूचना प्रस्तुत करनी चाहिए । यह मानदंड पैरा 3 () में उल्लिखित (ग) और (घ) और पूर्व वर्ष के दौरान इनको जारी विशेष केन्द्रीय सहायता का उपयोग और चालू वर्ष के दौरान अगस्त माह में प्रत्येक वर्ष जारी की गई पहली किस्त के अनुसार है। इससे वित्त-वर्ष की छमाही के आरम्भ में दूसरी किस्त की निर्मुक्ति सुनिश्चित होगी ।

7. राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को जारी कुल विशेष केन्द्रीय सहायता के 15% और 5% के उपयोग को अनुसूचित जातियों में से अनुसूचित जाति की महिलाओं और विकलांगों हेतु क्रमशः अनन्य रूप से आर्थिक विकास योजनाओं/कार्यक्रमों हेतु इस वर्ष (1998-99) से सुनिश्चित किया जाए। अनुसूचित जातियों में से अनुसूचित जाति की महिलाओं और विकलांगजनों हेतु विशेष केन्द्रीय सहायता के उपयोग संबंधी प्रगति जिसमें कार्यान्वित योजनाओं, उपयोग की गई निधियां और शामिल किए गए लाभार्थियों की संख्या को इंगित करते हुए, सूचना हो, इस वित वर्ष की समाप्ति के एक माह के भीतर इस मंत्रालय को भेजी जाए। इस संबंध में प्रगति रिपोर्ट अगले वर्ष से प्रत्येक छ: माह की अवधि की समाप्ति पर एक माह के भीतर इस मंत्रालय को भेजी जाए ।

8. विशेष केन्द्रीय सहायता निधियों के समर्थन से कार्यान्वित होने संबंधी कौशल्न विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों को इस तरीके से सूत्रीत किया जाना चाहिए कि प्रशिक्षण के पूरा होने के बाद, प्रशिक्षित अभ्यर्थियों का प्लेसमेंट मजदूरी नियोजन या स्व-रोजगार में सुनिश्चित हो ।

9. स्वीकृत योजनाओं के बाद लाभार्थियों का अनुवर्तन यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि क्या इन्होंने आवश्यक परिसम्पतियां अर्जित कर ली हैं और आय सृजन कार्यकलापों हेतु परिसम्पतियों का उपयोग कर रहे हैं । रिकॉर्ड का समुचित रखरखाव जैसे प्राप्त निधियों के लेखे, सब्सिडी और बैंक ऋण सहित लाभार्थियों को प्रदान राशि, लाभार्थियों का पूरा पता, कार्यान्वयन विभागों/एजेंसियों इत्यादि दवारा लाभार्थियों को स्वीकृत विभिन्न योजनाओं के तहत अर्जित परिसम्पतियों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ।

10. मैं आभारी होऊंगा यदि विशेष केन्द्रीय सहायता निधियों के पूर्ण उपयोग और लक्षित समूह के लाभार्थ योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के विभिन्न उपायों पर पर्याप्त ध्यान दिया जाए और इन्हें व्यवहार में लाया जाए ।

अनुबंध-I

विशेष संघटक योजना (एससीपी) को विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीए) की योजना का संबंध अनुसूचित जातियों के विकास संबंधी भारत सरकार की कार्यनीति से है । इस योजना का मुख्य उददेश्य अनुसूचित जातियों के व्यावसायिक पैटर्न के संबंध में उनके लिए आर्थिक विकास कार्यक्रमों को बल देना और दूसरा, उनके सीमित संसाधनों से उत्पादकता एवं आय में वृदधि करना है । उन उददेश्यों के बारे में श्रेणीबद्ध निर्देश जारी किए गए हैं जिसके लिए विशेष केन्द्रीय सहायता का उपयोग अनुसूचित जातियों के विकास हेतु किया जा सके।

2. राज्य सरकारों/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों से प्राप्त सूचना की जांच करने पर, यह पाया गया कि विशेष केन्द्रीय सहायता के एक बड़े भाग को योजना की व्यवहार्यता के साथ बिना किसी प्रभावी संयोजन के व्यय किया गया है । कुछ राज्यों ने लम्बी अवधि तक निधियों को अव्ययित रखा | 3. अनुसूचित जातियों का विकास सुनिश्चित करने के लिए शैक्षिक एवं अन्य विकासात्मक कार्यक्रमों का लाभ पहुंचाने क्रा विशेष प्रयास किए जाने के बावजूद, यह पाया गया कि इससे अधिक की अपेक्षा है । अनुसूचित जाति विकास के क्षेत्र में आने वाली मुख्य कठिनाई आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक रही हैं । भूमिहीन कृषि मजदूरों, उपान्तिक किसानों, शिल्पकारों, नागरिक स्वच्छता कार्यकर्ताओं, चमड़ा उतारने वाले लोगों, चर्मकारों और चमड़े का कार्य करने वाले व्यक्तियों तथा असंगठित मजदूर जैसे समूहों के लिए विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता सतत बनी हुई है ।

4. इन सभी बातों पर विचार करते हुए, पूर्व दिशानिर्देशों के प्रवर्धन में, यह निर्णय लिया गया है कि विद्यमान विशेष केन्द्रीय सहायता के कार्य क्षेत्र में उन ब्लाकों के अवसंरचनात्मक विकास कार्यक्रमों को इस शर्त पर शामिल किया जाना चाहिए कि राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों दवारा विशेष केन्द्रीय सहायता आवंटन का उपयोग अनुसूचित जातियों के विकास के लिए करने हेतु अधिक प्रयास को बढ़ावा दिया जाए जहां अनुसूचित जातियों की आबादी 50% या इससे अधिक है । 5. तदनुसार, विभिन्न विकासात्मक क्षेत्रों के अंतर्गत मदों की एक निदर्शी सूची इसके साथ संलग्न है जिसके लिए विशेष संघटक योजना के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता का उपयोग व्यक्तिगत रूप से और/अथवा समूह के रूप में अनुसूचित जाति आबादी  को शामिल करते हुए विशिष्ट व्यवहार्य योजनाओं पर किया जा सकता था। इन संशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार विशेष संघटक योजना के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता के उपयोग के लिए तुरन्त कार्रवाई की जाए ।

6. मैं कृतज्ञ होऊंगा यदि आप समाज कल्याण मंत्रालय और योजना आयोग को सूचित करते हुए इस संबंध में सभी संबंधित लोगों को आवश्यक निर्देश जारी करते हैं ।

अनुसूचित जाति परिवारों के विकास के लिए परिवारोन्मुखी सह आय सृजक योजनाएं

1. कृषि

(क) अनुसूचित जाति के किसानों के लिए प्रशिक्षण -सह-निरूपण ।

(ख) कृषि विभाग के सामान्य कार्यक्रमों के अतिरिक्त अनुसूचित जाति के किसानों को बीज/उर्वरक, मिनी किट्स और कोटनाशक संवितरित करना |

(ग) अनुसूचित जाति के किसानों की भूमि में वाणिज्यिक फसल कार्यक्रम ।

(घ) कृषि विभाग के सामान्य कार्यक्रमों के अतिरिक्त अनुसूचित जाति के किसानों की भूमि में अधिक उत्पादन संबंधी विविधि कार्यक्रम ।

(ड.) अपनी भूमि के सुधार,विकास के लिए अनुसूचित जातियों के लोगों/भूमिहीन कृषि मजदूरों को सहायता|

2. बागवानी

(क) अनुसूचित जाति लाभार्थियों की भूमि में फल एवं सब्जी की खेती आरंभ करना ।

(ख) फल एवं सब्जी उगाने एवं उत्पाद के विपणन में अनुसूचित जाति के लोगों को प्रशिक्षित करना |

(ग) उपरोक्त से संदर्भित लघु नर्सरी बीज फार्म ।

3. भूमि सुधार

(क) उन अनुसूचित जाति परिवारों, जिनको भूमि का विकास करने और कृषि कार्य हेतु अतिरिक्त भूमि आवंटित की गई है, को सहायता ।

(ख) 50% या इससे अधिक अनुसूचित जाति आबादी वाले ब्लाकों के भूमि रिकॉर्ड तैयार करना

4. लघु सिञ्चाई

(क) बांधों, दिशा-परिवर्तन चैनलों, जल-एकत्रीकरण संरचना की जांच करना, और 50% या इससे अधिक अनुसूचित जाति आबादी वाले क्षेत्रों में अनुसूचित जाति समूहों/समुदाय के लिए कुंआ, टयूबवेल खोदना और सहकारी लिफ्ट प्वाइंट बनाना ।

(ख) कुंआ खोदने, टयूबवेल, सिचाई पम्प सेट, फार्म तालाबों के लिए व्यक्तिगत लाभार्थियों के लिए सब्सिडी/सहायता ।

5. भू-सरक्षण

(क) भू-संरक्षण उपायों के रूप में अनाज एवं मसालों का रोपण करना ।

6. पशु-पालन

(क) अनुसूचित जाति परिवारों के लिए दूध देने वाले पशुओं, मुरगा-मुरगी, बकरी, भेड़, सूअर एवं बतख यूनिटों की आपूर्ति करना ।

(ख) अनुसूचित जातियों की पर्याप्त आबादी वाले क्षेत्रों में दुग्ध एवं मुरगा-मुरगी सहकारी समितियों को सहायता।

7. वन खंड

(क) अनुसूचित जाति परिवारों को लाभ प्रदान करते हुए सामाजिक एवं कृषि – वनखंड का विकास |

8. मत्स्य पालन

(क) मत्स्य पालन के लिए अनुसूचित जाति परिवारों को सहायता ।

(ख) मत्स्य उत्पादन, एकत्रीकरण आदि में अनुसूचित जातियों को प्रशिक्षण ।

(ग) अनुसूचित जाति मछुवारा समितियों का विकास ।

(घ) मछली पकड़ने वाली नावों, जाल आदि की खरीद के लिए अनुसूचित जाति के मछुवारों को सब्सिडी/सहायता।

9. ग्रामीण एवं लघु उद्योग

(क) उत्पादन की आधुनिक विधि में पारम्परिक अनुसूचित जाति शिल्पकारों को कौशल विकास प्रशिक्षण |

(ख) व्यवसाय और लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित करने के लिए अनुसूचित जाति के शिल्पकारों/कारीगरों को सहायता ।

(ग) अनुसूचित जातियों के लिए उदयमिता विकास प्रशिक्षण ।

(घ) मधुमक्खी पालन

(ड) रेशम – उत्पादन

(च) अनुसूचित जाति परिवारों के मध्य नए शिल्प कार्यक्रमों की शुरूआत ।

10. सहकारी समितियां

(क) नई सहकारी समितयों का गठन और चमड़ा उद्योग, बुनाई और ईट बनाना आदि जैसे पारम्परिक व्यवसायों में उदयमों को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित जाति के पर्याप्त सदस्यों वाली विद्यमान सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाना ।

(ख) उपभोक्ता सहकारी समितियों, मजदूर सहकारी समितियों और अनुसूचित जाति के पर्याप्त सदस्यों वाली अन्य सहकारी समितियों को सुदृढ़ बनाना ।

(ग) उपभोज्य मदों आदि के उत्पादन में संलग्न अनुसूचित जाति सहकारी को कार्य संचालन पूंजी सहायता ।

(घ) सहकारी समितियों के अनुसूचित जाति सदस्यों को सहकारी समितियों के प्रबंधन एवं प्रशासन में प्रशिक्षण।

(ड.) सहकारी समितियों की प्रक्रियाश्विपणन करना ।

11. शिक्षा

(क) लघु स्तरीय साक्षरता वाले क्षेत्रों में आवासीय स्कूल की स्थापना और संचालन ।

(ख)अनुसूचित जातियों के लिए स्थापित स्कूलों/छात्रावासों की मरम्मत और समुचित रखरखाव |

12. अनुसूचित जाति महिलाएं

अनुसूचित जाति महिलाओं के उपभोक्ता सामानों के उत्पादन और विपणन के लिए उनको तथा उनकी सहकारिता समितियों को सहायता । पारिवारिक उपार्जन में सुधार के लिए बनाई गई योजनाओं में अनुसूचित जाति महिलाओं को प्रशिक्षण|

13. पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण

परिवारोन्मुखी पारिस्थितिकी कार्यक्रमों से संबंध रखने वाले पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण के सुधार

कार्यक्रम।

14. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम

(क) 50% या इससे अधिक अनुसूचित जाति आबादी वाले क्षेत्रों में होमियोपैथिक, नेचुरोपैथिक एवं योग संबंधी उपचारों के लिए औषधालय/अस्पताल/केन्द्र स्थापित करना|

(ख) सचल चिकित्सा औषधालयों की स्थापना, जिससे कि सभी अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान के लिए लक्षितत किया जा सके |

(ग) अनुसूचित जाति आबादी वाले क्षेत्रों के लिए विद्युत आपूर्ति और लाइट का प्रावधान ।

(घ) अनुसूचित जाति आबादी वाले क्षेत्रों में पेयजल का प्रावधान, जहां पेयजल की सुविधा नहीं हैI

(ड.) 50% या इससे अधिक अनुसूचित जाति आबादी वाले क्षेत्रों/ब्लाकों में ग्राम लिंक रोड और लघु सी.डी. कार्यों का विकास ।

अनुबंध-II

दिनांक 29 जुलाई, 1993 के समसंख्यक अ.शा.पत्र का संदर्भ ग्रहण करें जो विशेष संघटक योजना (एससीपी) के लिए विशेष केन्द्रीय सहायता (एससीए) और विभिन्न विकासात्मक क्षेत्रों, जहां एससीए का उपयोग 50% या इससे अधिक अनुसूचित जाति आबादी वाले ब्लाकों में किया जा सके, के अंतर्गत मदों की सूची सहित इनसे संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देशों के बारे में था ।

2.  इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि विवेचित अन्तराल को भरने के लिए एससीपी से संबंधित इसकी निदर्शी सूची तथा अनुसूचित जाति परिवारों के आर्थिक विकास संबंधी व्यवहार्य योजनाओं के लुप्त इनपुट्स की व्यवस्था करने के लिए एससीपी के लिए योगज होने के नाते विस्तृत दिशानिर्देश एससीए के सिद्धान्तों में हेर-फेर नहीं करते हैं । एससीए का उपयोग अनुसूचित जातियों के लिए राज्य सरकारों के योजना और गैर-योजना आवंटनों के अंतर्गत उनके दायित्वों के एवजी के रूप नहीं किया जाना चाहिए । आवासीय स्कूल स्थापित करने और उनका संचालन करने के लिए एससीपी के साथ एससीए का उपयोग सख्ती से कम साक्षरता वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां अनुसूचित जाति महिलाओं में साक्षरता स्तर दो प्रतिशत से कम है, में किया जाना चाहिए। इसी प्रकार न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रमों के अंतर्गत उल्लिखित मठों के लिए एससीपी के साथ एससीए का उपयोग उन क्षेत्रों में होना चाहिए जहां अनुसूचित जातियों के लिए ऐसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

स्रोत: सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, भारत सरकार

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