सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :इस सृष्टि में सभी चीजे गतिमान हैं। निष्क्रिय वस्तु का जिन्दगी से ताल्लुक नहीं होता है। ठीक इसी तरह धन या मूल्यवान धातु तभी तक मूल्यवान रहती है। जब तक वह बाज़ार में चलन में रहती है। इन्हीं मूल्यवान धन के बदौलत किसी भी देश की इकनोमिक पॉवर का अंदाजा लगाया जाता है। मूल्यवान वस्तुओं को तिजोरी में रखने से वह धन निष्क्रिय हो जाती है। ऐसा हीं मूल्यवान धातु है सोना जिसका उपयोग गहनों के लिए किया जाता है। किन्तु जरुरत से ज्यादा गहने बनवा कर इस मूल्यवान धातु को तिजोरी में रखने से देश के इकनोमिक ग्रोथ पर बुरा असर पड़ता है।
एक अनुमान के अनुसार देश भर में 20 हज़ार टन सोना चलन से बाहर लोगों की तिजोरी में जब्त है। इस सोने के बड़े भाग को देश के विकास में लगाने के लिए हीं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गोल्ड मोनेटाईजेशन योजना की घोषणा वर्ष 2015 में किया गया था। रिजर्व बैंक आफ इंडिया द्वारा स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के लिए मानदंड जारी कर दिया गया है। आइये जाने इस योजना की जानकारी।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना क्या है (GOLD MONETIZATION SCHEME KYA HAI) :
इस योजना के तहत कोई भी भारत का नागरिक अपना सोना बैंक में जमा कर सकता है। उसके बदले में बैंक आपको निर्धारित दर के अनुसार ब्याज देगी। इस योजना के अनुसार नागरिक शोर्ट टर्म डिपाजिट, मीडियम टर्म डिपाजिट एवं लॉन्ग टर्म डिपाजिट कर सकेंगे। निर्धारित अवधि से पहले पैसा निकालने पर जुर्माना भरना होगा। डिपाजिट की मच्योरिटी पूरी होने पर लोगों के पास पैसा या सोना लेने का विकल्प होगा। सोने के बदले पैसा प्राप्त करना हीं गोल्ड मोनेटाईजेशन है।
स्वर्ण मुद्रीकरण योजना के मानदंड (GOLD MONETIZATION SCHEME KE MAANDAND):
- रिजर्व बैंक आफ इंडिया के अनुसार योजना के तहत 995 शुद्धता वाला कम से कम 30 ग्राम बैंक में जमा किया जा सकता है। अधिकतम सीमा निर्धारित नहीं किया गया है। ये सोना गोल्ड बार , सिक्के या गहने के रूप में हो सकते हैं। गहनों में किसी और मेटल या नग मोती आदि नहीं होनी चाहिए।
- सरकार द्वारा निर्धारित किये गए गोल्ड प्यूरिटी सेण्टर पर गोल्ड की शुद्धता की जांच करने के बाद हीं बैंक द्वारा डिपाजिट की प्रक्रिया पूरी की जायेगी।
- रिजर्व बैंक द्वारा नामित किये गए सभी कमर्शियल बैंक में सोना डिपाजिट किया जा सकेगा। बैंकों को अपने हिसाब से ब्याज दर फिक्स करने की छुट होगी।
- इस योजना के तहत दो या दो से अधिक जॉइंट डिपाजिटर की अनुमति होगी।
- सोने को डिपाजिट तीन तरह से किया जा सकेगा। 1. शार्ट टर्म डिपाजिट की अवधि 1-3 वर्ष, 2. मीडियम टर्म की अवधि 5-7 वर्ष एवं लॉन्ग टर्म की अवधि 12-15 वर्ष होगी।
- गोल्ड मोनेटाईजेशन योजना के तहत डिपाजिट करने पर न्यूनतम लॉक इन अवधि बैंक द्वारा निर्धारित किया जाएगा। जिसके पहले सोना निकालने पर बैंक द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार जुर्माना देना होगा।
- डिपाजिट की मेच्युरिटी पूरी होने पर जमाकर्ता के पास सोना या पैसा लेने का विकल्प होगा। डिपाजिट करते वक्त हीं जमाकर्ता को ये बैंक को बता देना होगा कि मेच्युरिटी की अवधि पूरी होने पर वो कौन सा विकल्प चुनेगा। रूपये का पेमेंट मेच्युरिटी के वक्त सोने के दाम के अनुरूप होगा।
- इस योजना का लाभ केवल देश के निवासियों के लिए मान्य होगा।