भ्रष्टाचार के आरोपियों की `दुश्मन` बनी मोदी सरकार, 15 अफसरों को जबरदस्ती किया रिटायर

सर्वप्रथम न्यूज़ दिल्ली: मोदी सरकार ने मंगलवार को 15 वरिष्ठ अफसरों को जबरदस्ती रिटायरमेंट (Compulsory Retirement) दे दिया है. ये सभी अफसर टैक्स विभाग के हैं. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि इन अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार, घूसखोरी के आरोप हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय ने इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है.

 

सरकार ने इस कदम से साफ किया है कि रिश्वतखोर और दागी छवि वाले अफसर सरकार को बर्दाश्त नहीं हैं. सरकार लंबे समय से ऐसे अधिकारियों के बारे में जानकारी जुटा रही थी.

 

आने वाले दिनों में भी भ्रष्टाचार पर मोदी सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रह सकती हैं. साथ ही जनता के हित के लिए अच्छा काम करने के लिए अधिकारियों को प्रेरित करने की भी नीति स्पष्ट करती हैं.

 

वित्त मंत्रालय से भी हो चुकी है ‘छंटनी’
इससे पहले ही हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सख्त फैसला लेते हुए 12 दागी अफसरों को जबरन रिटारयमेंट पर भेजने का फैसला किया था. इन 12 अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल थे.

 

कैबिनेट सचिवालय और केंद्रीय सतर्कता आयोग ऐसे अधिकारियों के आंकड़े जुटा रहे थे, जिनकी छवि दागदार थी. सरकार पहले भी IAS, IPS अधिकारियों के खिलाफ इस तरह के कदम उठाती रही है. लेकिन पहली बार इतनी बड़ी संख्या में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों को फोर्स्ड रिटायरमेंट पर भेजा जा रहा है. सरकार के पास अधिकार है कि जो अफसर 50 या 55 साल की उम्र या 30 साल की आयु पार कर चुके हैं. और उनका कामकाज ठीक नहीं है तो सरकार ऐसे अधिकारियों को वक्त से पहले रिटायर होने को कह सकती है.

 

केंद्र सरकार की कंपनियों में डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल के निर्देश के मुताबिक इसकी प्रक्रिया पहले से ही शुरू है. वैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में इसकी प्रक्रिया विश्वनाथ सिंह के वित्त मंत्री रहने के दौरान 1985 में पहली बार शुरु की गई थी. लेकिन, इतनी बड़ी कार्रवाई पहली बार हुई है. जाहिर है भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत अब मोदी सरकार काम कर रही है. मोदी सरकार 2 की शुरूआत शानदार है, लेकिन भ्रष्टाचार एक ऐसी समस्या है जिसकी चुनौतियां खत्म होने में अभी लंबा वक्त लगेगा.

आयकर विभाग के 12 वरिष्ठ अधिकारियों में आयुक्त और संयुक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी भी शामिल हैं. इस सूची में शामिल एक बर्खास्त संयुक्त आयुक्त के खिलाफ स्वयंभू धर्मगुरु चंद्रास्वामी की मदद करने के आरोपी एक व्यवसायी से जबरन वसूली तथा भ्रष्टाचार की गंभीर शिकायतें हैं. नोएडा में तैनात आयुक्त (अपील) पद के एक आईआरएस अधिकारी भी है. उस पर आयुक्त स्तर की दो महिला आईआरएस अधिकारियों के यौन उत्पीड़न का आरोप है.

 

एक अन्य आईआरएस अधिकारी ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर 3.17 करोड़ रुपये की चल और अचल संपत्ति अर्जित की थी. यह संपत्ति कथित तौर पर पद का दुरुपयोग करके और भ्रष्ट एवं गैर-कानूनी तरीकों से अर्जित की गई थी. इस अधिकारी को समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने का निर्देश दिया गया है. आयकर विभाग के एक आयुक्त के खिलाफ सीबीआई की भ्रष्टाचार रोधी शाखा ने आय से अधिक का मामला दर्ज किया था और उन्हें अक्टूबर 2009 में सेवा से निलंबित कर दिया था. उन्हें भी सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृत्त लेने के लिए कहा है.

 

एक अन्य अफसर जो भ्रष्टाचार और जबरन वसूली में लिप्त था और कई गलत आदेश पारित किए थे. इन आदेशों को बाद में अपीलीय प्राधिकरण ने पलट दिया था. उसे भी सेवा से बर्खास्त किया गया है. आयुक्त स्तर के एक अन्य अधिकारी पर मुखौटा कंपनी के मामले में एक व्यवसायी को राहत देने के एवज में 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था. इसके अलावा उसने पद का दुरुपयोग करके चल/अचल संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप लगा था. उसे भी जबरिया सेवानिवृत्ति कर दिया गया है.

 

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