दिव्यांगों को जाना चाहिए हेलेन केलर जीवनी

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांगों के लिए प्रेरणादायक हेलेन एडम्स केलर २७ जून १८८० को अमेरिका के टस्कंबिया, अलबामा में पैदा हुईं। उनके माता पिता वहाँ आइवी ग्रीन स्टेट पर अपने पिता द्वारा दशकों पहले बनाए गए घर में रहते थे। हेलन के पिता आर्थर एच. केलर ने टस्कंबिया, उत्तर अलबामियन का कई वर्षों तक संपादन किया था। वे अमेरिकी संघ सेना के कप्तान भी रहे थे। हेलेन की माँ, केट एडम्स, चार्ल्स एडम्स की बेटी थी। हेलेन केलर जन्म से ही दृष्टिबाधित और बधिर पैदा नहीं हुई थी। १९ माह की अवस्था में पेट और मस्तिष्क की एक बीमारी ने कम समय के लिए आकर भी उसकी दृष्टि तथा श्रवण शक्ति छीन ली।

पेट और मस्तिष्क की यह बीमारी स्कार्लेट ज्वर या मैनिंजाइटिस रही होगी। उस समय वह इशारों के सहारे कुछ बातें कहने में सक्षम थी। परिवार के रसोइए की ६ वर्षीया बेटी उसके इशारे समझती थी। ७ साल की उम्र तक घर की चीजों और आम व्यवहार से संबंधित उसके पास ६० संकेत थे। १९८६ में उसकी माँ ने चार्ल्स डिकेंस के नोट्स में एक और बधिर-दृष्टिबाधित स्त्री लौरा ब्रिजमैन की सफल शिक्षा के संबंध में पढ़ा। इस संबंध में हेलेन के माता पिता ने और सूचनाएं जुटानी शुरु की। वे बधिर बालकों से संबंधित स्कूलों में जाने और चिकित्सकों से मिलने लगे।

हेलन केलर एक लेखक, सक्रीय राजनीतिक और आचार्य भी थीं । समाजवादी नाम के दल मे एक सदस्य के रूप में उन्होंने दुनिया भर के श्रमिकों और महिलाओं के मताधिकार, श्रम अधिकार, समाजवाद और कट्टरपंथी शक्तियों के खिलाफ अभियान चलाया। हेलन केलर जन्म के कुछ महीनों बाद ही वो बिमार हो गये और उस बिमारी में उनकी नजर, जबान और सुनने की शक्ती गयी. पर उनके माता पिता ने उन्हें पढ़नें का निश्चय किया और शिक्षक ढूढने लगे और नशिब से अॅनी सुलिव्हान इस टिचर ने हेलन केलर इन्हें शिक्षा दी. पहले ‘मॅन्युअल अल्फाबेट’ के तरीके से हेलन केलर अक्षर पढ़ने लगी. आगे हेलन ब्रेल पढ़ने लगी.

लेकीन उनकी चाहत इतनीही नहीं थी. उन्हें बाकी के सामान्य बच्चों के साथ पढ़ने की इच्छा थी. उस वजह से उच्च पढाई के लिये उन्होंने विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. बोर्ड के उपर की Diagram नहीं दिखना, ब्रेल लिपी में सभी किताबे नहीं होना इन जैसे कठिनाई को पार करके उन्होंने अपनी पढाई जारी रखी और वो स्नातक हुयी.

आगे समाज सेवा का व्रत आत्मसात करके खुद पर आये वैसी कठिनाईयी बाकी के स्नातक व्यक्ती के सामने न आ सके इसलिये हेलन केलर हमेशा प्रयोगशील और कोशिश में रहे. लिखाण और भाषण के माध्यम से दृष्टिहीन लोगो के सवालो के लिये लोकमत जागृत करने का उन्होंने हमेशा प्रयास किया. हेलन केलर  इनको लगता था की, विकलांग बच्चों को दुसरो पर Dependant न रखके उन्हें शिक्षा देनी चाहिये. हात के उंगली में भी कितना कौशल होता है, इसकी पहचान उन्हें होनी चाहिये.

माँ ने हेलन केलर Helen Keller  को कई डॉक्टरों को दिखाया , लेकिन कोई लाभ नही हुआ | अचानक एक दिन हेलन की माँ की मुलाक़ात डा. माइकल अनेग्नस से हुयी | उस डॉक्टर ने एक कुशल अध्यापिका एनी सलिवन को हेलन की सहायता के लिए भेज दिया | एनी सेलविन जब हेलन के घर पहुची तो हेलन की माँ ने सोचा कि यह कम उम्र की लडकी उसके जिद्दी ,अपंग और क्रोधी बेटी को कैसे पढ़ा पायेगी ? पर सलिवन ने हेलन के साथ समय बिताकर अपनी कुशलता दिखाई |

उसने Helen Keller हेलेन के माता पिता से विनती की कि वह उसे लाचार और असहाय समझकर बेकार में दया ना दिखाए | वह हेलन को माता पिता से दूर ले जाना चाहती थी | माता पिता ने एनी की बात को समझा और उसकी बात मान ली | एनी हेलन को परिवार से दूर बगीचे के बीच बने घर में लेकर रहने लगी | उसने जल्द जी बच्ची का विश्वास और स्नेह जीत लिया और उसे बताया कि “मनुष्य जो चाहता है उसके लिए सही ढंग से परिश्रम करना पड़ता है ” | कुछ दिनों में क्रोधी और जिद्दी और हर बात में झुंझलाने वाली हेलन हंसमुख ,नम्र और सरल बन गयी | उनमे सीखने तथा काम करने की ललक पैदा होती चली गयी |

महत्वापूर्ण घटनाएं :

  1. 27 जून, 1880  को टुस्कुम्बिया, अलाबामा में जन्म।
  2. 1882 में उन्नीस महीने की उम्र में गंभीर बीमारी के कारण हेलेन की सुनने और देखने की शक्ति जाती रहा है
    1887 में 3 मार्च को ऐन मैन्सीफील्डक सुलिवन हेलेन की टीचर बनीं।

    4. 5 अप्रैल 1887  को हेलेन ने पहला शब्द वाटर सीखा।

    5. 1890 में हेलेन ने बोलना सीखा।

    6. 1891 में हेलेन ने अपनी कहानी फ्रास्ट किंग लिखी जिस पर चोरी का इल्जाम लगा।

    7. 1889 में हेलेन के पिता की मृत्यु हुई।

    8. 1890 में हेलेन ने रैडक्लिफ कॉलेज में दाखिला लिया।

    9. 1903 में हेलेन की आत्मॉकथा – अ स्टोरी ऑफ माइ लाइफ का प्रकाशन

    10. 1904 में हेलेन ने रैडक्लिफ कॉलेज से स्नालतक की डिग्री ली। वे विश्व  की पहली बहरी-दृष्टिहीन स्नातक बनीं।

    11. 1913 में प्राध्यापिका के रूप में कैरियर की शुरुआत।

    12. 1916 में पीटर फागान से सगाई लेकिन मां के दबाव में सगाई तोड़नी पड़ी।

    13. 1921 में हेलेन की मां की मृत्यु।

    14. 1924 में अमेरिकन फाउंडेशन फॅार द ब्लायइंड के लिए काम करना शुरू किया।

    15. 1927 में माय रिलीजन का प्रकाशन।

    16. 1936 में ऐन मैन्साफील्डद सुलिवन की मृत्यु।

    17. 1943 में घायलों से मिलने मिलीटरी अस्पताल गयीं।

    18. 1946 में दृष्टिहीनों के कल्याण के लिए दुनिया भर के दौरे शुरू किये।

    19. 1955 में टीचर, ऐन सुलिवन की जीवनी प्रकाशित।

    20. 1957 में ऐन मैन्सलफील्ड  सुलिवन के त्यागमय अध्यापकीय जीवन पर आधारित मिरैकल वर्कर का टेलिविजन पर नाट्य रूप में सीधा प्रसारण, बाद में 1962 में इसी नाम से फिल्म का निर्माण।

    21. 1 जून 1968  को आर्कान रिज, कनेक्टिकट में अपने घर में सत्तासी बरस की उम्र में देहांत।

     

     

    ‘ब्लैक’ में रानी मुखर्जी का किरदार देख, बोल, सुन नहीं सकने वाली हेलेन से इंस्पायर्ड था

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