शारीरिक दिव्यांग क्रिकेट मैं भी हो इस नियम का पालन क्रिकेट खेल मे इस्तमाल होनेवाले स्टंप के बारे मे जानकारी।

सर्वप्रथम न्यूज़ : तोशियास स्पोर्ट्स एकेडमी सचिव सौरभ कुमार जी ने प्रमुखता से भारत सरकार के खेलकूद विभाग को दिव्यांग जनों के लिए यह नियम दिव्यांग शारीरिक क्रिकेट में भी बहाल करने की मांग की भारत मे क्रिकेट खेल सबसे लोकप्रिय खेलो मैसे एक खेल हैं। भारत मे ज्यादा तर लोग क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं। क्रिकेट खेलने के लिए कुछ चीजे जरुरी होती हैं। क्रिकेट खेलने के लिए मुख्य तौर पर बैट और बॉल जरुरी होता हैं। पर बैट और बॉल के साथ साथ क्रिकेट खेलने के लिए मैदान होना चाहिए। और सबसे जरुरी मैदान पर जिस पिच पर बल्लेबाजी करनी हैं, उस पिच पर स्टंप बहुत आवश्यक हैं। अगर स्टंप नहीं होंगे तो हम क्रिकेट नहीं खेल सकते। इस लिए क्रिकेट मे स्टंप बहुत जरुरी होते हैं।

स्टंप के बारे मे जानकारी 
क्रिकेट खेल मे क्रिकेट स्पिच पर तीन स्टंप होते हैं। इन स्टम्पों पर बेल्स होते हैं। तीन स्टंप क्रिकेट स्पिच के दोनों बाजु पर होते हैं। अगर गेंदबाज बल्लेबाज को बॉलिंग पर स्टंप कर दे तो बल्लेबाज को आउट घोषित किया जाता हैं। विकेट कीपर भी स्टंपिंग कर बल्लेबाज को आउट कर सकता हैं। जब अंपायर स्टंप के ऊपर से बैल्स को हटा देते है तो उसका मतलब उस दिन के लिए खेल ख़त्म माना जाता हैं। स्पिच के दोनों और तीन स्टंप होते हैं। तीन स्टंप दो बेल्स को सहारा देते हैं। स्टंप आम तौर पर लकड़ी के बने होते हैं। प्रत्येक विकेट की कुल चौड़ाई 9 इंच (22.9 सेंटीमीटर) है। प्रत्येक स्टंप 28 इंच (71.1 सेंटीमीटर) लंबा और 1 1/2 इंच (3.81 सेमी) और 1 3/8 इंच (3.4 9 सेंटीमीटर) के अधिकतम और न्यूनतम व्यास के साथ है। जमीन में डालने के लिए उनके पास एक छोर पर एक कील होती है, और दूसरे छोर पर यू-आकार का ‘नाली के माध्यम से’ होता है ताकि बेल्स के लिए एक आराम स्थान उपलब्ध हो सके।जुनिअर क्रिकेट मे स्टम्पों लंबाई और चौड़ाई के मामले मे छोटे होते हैं। प्रत्येक स्टंप को किसी विशिष्ट नाम से संदर्भित किया जाता है:ऑफ स्टंप (Off stump) विकेट की तरफ से स्टंप है। मध्य स्टंप (Middle stump)केंद्र के स्टंप पर है, तीन स्टंप के बीच।लेग स्टंप (Leg stump) विकेट के किनारे पर स्टंप है। आधुनिक क्रिकेट मैचों मे स्टंप पर आयोजकों के स्पोंसर का लोगो छपा हुआ होता हैं। रन आउट और विकेट कीपिंग के सही निर्णय लिए जाए इसलिए स्टंप के बिच मे कैमरा लगा हुआ होता हैं। इसका फायदा अंपायर को अपने निर्णय लेने मे होता हैं। एक नया नवाचार स्टंप और बेल्स लाल एल ई डी के साथ एम्बेडेड होता है, जो पूरी तरह से उखाड़ फेंका जाता है। ऑस्ट्रेलियाई इंजीनियर द्वारा खोजी गई और “ज़िंग बैल्स” के रूप में ट्रेडमार्क किया गया, वे दोनों अंपायरों को रन-आउट या स्टंपिंग फैसलों के साथ-साथ दिन रात मैचों के दौरान टेलीविजन कवरेज के लिए विशिष्ट चित्र प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया। आईसीसी विश्व ट्वेंटी -20 में पहली बार एलईडी स्टंप का इस्तेमाल किया गया था, और तब से एकदिवसीय या फ्रैंचाइजी टी -20 लीग इस स्टंप का उपयोग सामान्य हो गए हैंस्टंप को एक शब्द के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है जिसका मतलब है कि एक दिन का खेल समाप्त होता है, उदा। “अंपायरों को स्टंप कहा जाता है” का अर्थ है कि अंपायरों ने दिन के लिए खेलने का घोषित किया है। एक सत्र के अंत में, अर्थात् दोपहर का भोजन या चाय से पहले, अंपायर बेल्स निकाल देंगे; दिन के खेल के अंत में अंपायर स्टंप को भी हटा देंगे।
यह नियम भारत में शारीरिक दिव्यांग क्रिकेटर के लिए लागू नहीं है इसलिए सौरभ कुमार ने कहा की भारत में जल्द से जल्द यह कानून दिव्यांग क्रिकेट मे भी लागू कि जाए इसको लेकर भारत सरकार के खेलकूद विभाग को पत्र लिखा और जवाब मांगा।

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