सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग व्यक्ति ग्रुप D के रेलवे कर्मचारी को ग्रुप C में ही प्रोमोट होने में 8–10 वर्ष लग जाते हैं। इसके बाद ग्रुप C के लेवल 2 पे स्केल से यदि वह ग्रुप C के टाप लेवल 7 तक भी पहुँच जाता है तो बहुत बड़ी बात होगी। लेवल 2, 4, 5 टैक्नीशियन के पे लेवल होते हैं (लेवल 3 हर कैडर में नहीं होता)। लेवल 6 जूनियर इंजीनियर (JE) का पे स्केल है और लेवल 7 SSE का पे स्केल होता है।
लेवल 5 के बाद लेवल 6 में JE का सैलेक्शन टैस्ट होता है, जो कि थोड़ा मुश्किल होता है। सैलेक्शन टैस्ट में 10 वैकेंसी हैं तो तीन गुना यानि 30 टैक्नीशियन टैस्ट के लिए बुलाए जाएंगे। पास 10 या उससे कम ही होंगे। कम मैंने इसलिए लिखा कि लिखित परीक्षा में 60% अंक लाना जरूरी है। यदि 8 उम्मीदवार ही 60% अंक ला पाए तो 8 ही पास होंगे। फिर विभागीय परीक्षा में 3 वर्ष की गोपनीय रिपोर्ट (CR – Confidential Report) भी देखी जाती है, जो कि Good या Very Good होनी चाहिए। इसलिए ग्रुप D लेवल 1 पे स्केल कर्मचारी का ग्रुप B और ग्रुप A में प्रोमोट होने के अवसर न के बराबर होते हैं।
80–90% से ज्यादा रेल कर्मचारी ग्रुप C में आकर ग्रुप C में ही रिटायर हो जाते हैं।