पटना विवि में यूजीसी के नियमों का हो रहा उल्लंघन…22 हजार छात्र और सिर्फ इतने ही शिक्षक

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की  मांग बहुत लंबे समय से चली आ रही है. मांग भी जायज है मगर इसकी स्थिति अभी बहुत ही चिंताजनक है. इस समय पटना विश्वविद्यालय में 22 हजार छात्र हैं मगर शिक्षक हैं मात्र 305 शिक्षक जो यूजीसी के नियमों का खुलेआम उल्लंघन है.

शिक्षकों की इतनी कमी रहने से छात्रों को पढ़ाई करने और शिक्षकों को पढ़ाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. कभी इस विश्वविद्यालय को नार्थ ईस्ट का ऑक्सफोर्ड तक कहा गया है लेकिन इसकी इस बदहाली को देखकर तो इतना ही कहा जा सकता है कि अगर शिक्षा के प्रति यदि सही में सरकार संवेदनशील है तो इसकी अस्मिता से हो रहे खिलवाड़ को रोकना होगा.

इसके अलावे सबसे चिंताजनक विषय यह है कि इसकी स्थिति दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है. अगर यहां के शिक्षकों की जो उम्र सीमा तय है अगर वह नहीं बढ़ाई गई तो एक साल के अंदर मात्र 30 प्रतिशत शिक्षक ही यहां होंगे. ऐसी स्थिति में छात्रों का क्या हश्र होगा इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है.

ज्ञात हो कि 1967 में पटना विवि में 9 हजार छात्र हुआ करते थे और शिक्षकों की सीटें 925 थीं लेकिन यहां से इंटरमीडिएट की पढ़ाई समाप्त होने के बाद 155 शिक्षकों के पद भी समाप्त हो गए यानी यहां 810 शिक्षकों की संख्या शेष रह गई.

इस समय 810 में से मात्र 305 शिक्षक नियुक्त हैं. अब ऐसे में सोचने वाली बात ये है कि वर्तमान में 22 हजार छात्रों पर मात्र 305 शिक्षक कैसे पढ़ा पाएंगे. यूजीसी के नियमानुसार विश्वविद्यालय में 30 छात्रों पर एक शिक्षक का होना चाहिए.

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