सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : इंश्योरेंस रेगुलेटर भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने पॉलिसीधारकों को लाभ पहुंचाने के लिए पहले से मौजूद बीमारियों और इंमरजेंसी की स्थिति में ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में भर्ती होने के नियमों में बदलाव किया। इन बदलावों के तहत अब यदि कोई व्यक्ति पॉलिसी जारी होने के तीन महीने के भीतर किसी बीमारी से पीड़ित हो जाता है तो बीमा कंपनी इसके दावे को खारिज नहीं कर सकेगी। फिलहाल ऐसे क्लेम जिनमें बीमाधारक कोउच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर), मधुमेह (शुगर) और सांस की बीमारी जैसी समस्याएं, जो तेजी से बढ़ रही हैं, के क्लेम पॉलिसीजारी होने के तीन महीनेतकस्वीकार नहीं किए जाते थे।
ये खास बदलाव होंगे
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इमरजेंसी में ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में भी करा सकेंगे इलाज
एक और बदलाव के तहत अब बीमाधारक इमरजेंसी में ब्लैक लिस्टेड अस्पताल में भी इलाज करा सकेंगे। इस आपात (इमरजेंसी) की स्थितियों में दिल का दौरा, स्ट्रोक या एक्सीडेंट जैसी घटनाओं को शामिल किया गया है, जिनमें पीड़ित को जल्दी इलाज की आवश्यकता होती है। बीमा कंपनियां कुछ अस्पतालों को ब्लैक लिस्ट में डाल देती हैं, इनमें इलाज कराने पर क्लेम स्वीकार नहीं करती थीं।
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पॉलिसी रिवाइवल के लिए टाइम पीरियड में बढ़ोतरी
इरडा ने बीमा कंपनियों से जीवन बीमा पॉलिसियों को फिर से एक्टिव करवाने के लिए मिलने वाले समय (रिवाइवल टाइम पीरियड) को बढ़ाने के लिए कहा है। अब आपको यूलिप प्लान में पहले न चुकाए प्रीमियम की तारीख से 2 के बजाय 3 साल का समय मिलेगा। वहीं नॉन-लिंक्ड बीमा उत्पादों के लिए पॉलिसी फिर से चालू करवाने के लिए अब 5 साल का समय मिलेगा।
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सरेंडर वैल्यू नियमों में बदलाव
सरेंडर वैल्यू से जुड़े नियम भी पॉलिसी होल्डर के मुताबिक हो गए हैं। जब आप योजना से प्री मैच्योर के टाइम निकलने का फैसला करते हैं तो वह राशि है जो आप प्राप्त करते हैं उसे ही सरेंडर वैल्यू कहा जाता है। लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के मामले में यदि आप किसी वजह से अपनी पॉलिसी को खत्म करने की सोचें तो आपको गारंटीड सरेंडर वैल्यू हासिल करने के लिए आपको तीन साल का इंतजार नहीं करना होगा, बल्कि अब आप दो साल में ही पॉलिसी खत्म कर सकेंगे।