बिहार में जूनियर डॉक्टरों की जरूरत को पूरा करें सरकार

 सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : महामारी कोरोना से लड़ने के लिए NMCH, पटना को तैयार किया जा रहा था. विशेष अस्पताल बनाने को कहा गया है. लेकिन डाॅक्टर के पास जरूरी संसाधन नहीं है. जूनियर डाॅक्टर कुछ बोल नहीं रहे हैं. डरे हुए हैं. काॅलेज से निकाले जाने का डर है. डर वाजिब है. उधर ख़बर है कि जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल, भागलपुर में इमरजेन्सी में तैनात डाॅक्टरों को साधारण मास्क दिया गया है. वो भी डरे हुए हैं. कोरोना के मरीज इमरजेन्सी में पहले घुसते हैं कोरोना के लिए बनाये गए वार्ड में बाद में.

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निर्देश दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि ICMR के गाइडलाइन्स के अनुसार OPD और इमरजेन्सी में तैनात डाॅक्टरों को N-95 मास्क पहनने की आवश्यकता नहीं है. जबकि भारत सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय COVID-19 हेतु जारी किए गए गाइडलाइन्स में साफ़ कहता है कि ओपीडी और इमरजेन्सी में काम करने वाले चिकित्सकों को N-95 और गलप्स लगाना है.
सब तरफ़ अफरा-तफरी मची है. जिसको जो आ रहा है बोल दे रहा है. समझ ही नहीं आ रहा है कि क्या करें. कैसे काम लिया जाए. अब तो दुआरे बारात लग गई है. क्या ही कर सकते हैं.
हम सभी साथ हैं. इस विपरीत परिस्थिति में साथ होना भी चाहिए. पर उस सरकार को समय-समय पर लानतें भेजते रहिए. पूछिए कि 19 मार्च तक मास्क- वेंटीलेटर जैसे बेहद जरूरी चीज़ों के निर्यात की अनुमति क्यों दी गई

 

 

 

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