सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : कोरोना संकट के बीच राज्य के प्राइवेट अस्पतालों के रवैए पर नीतीश सरकार ने नाराजगी जताई है। लॉकडाउन शुरू होने के साथ ही राज्य के ज्यादातर प्राइवेट क्लीनिक और अस्पतालों के साथ-साथ नर्सिंग होम में ताला लटक गया है। जिसे देखते हुए अब राज्य सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को चेतावनी दी है। सरकार ने कहा है कि अगर प्राइवेट अस्पताल जल्द नहीं खुले तो उनके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवा शुरू की गई है लेकिन प्राइवेट अस्पताल बंद हैं। प्राइवेट अस्पतालों के बंद रहने के कारण लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस हालात को देखते हुए सरकार ने अब सख्त रुख अपनाया है। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर प्राइवेट अस्पतालों को चेतावनी दी है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा है कि प्राइवेट अस्पतालों को अपनी जवाबदेही से पीछे नहीं हटना चाहिए। अगर प्राइवेट अस्पताल अपनी भूमिका से पीछे हट रहे हैं तो सरकार उनके खिलाफ जबरदस्त एक्शन लेगी। सरकार ने तत्काल प्राइवेट अस्पतालों को अपनी सेवाएं शुरू करने का निर्देश दिया है। इसका पालन नहीं करने वाले प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। सरकार में 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि सभी डॉक्टर जो निजी क्लीनिक चलाते हैं और उनके साथ नर्सिंग होम और प्राइवेट हॉस्पिटल सिविल सर्जन को इस बारे में जानकारी देंगे। आपको बता दें कि राजधानी पटना सहित राज्य के अन्य जिलों में कुकुरमुत्ते की तरह खुले प्राइवेट अस्पताल आम दिनों में मरीजों का इलाज करते हैं लेकिन आपदा की इस घड़ी में उन्होंने अपनी दुकान बंद कर रखी है। राज्य सरकार की तरफ से जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक सूबे के सरकारी अस्पतालों में 22 हजार बेड हैं जबकि प्राइवेट अस्पतालों में 48 हजार बेड की सुविधा है। आम दिनों में 90 फ़ीसदी लोग ओपीडी के लिए प्राइवेट क्लीनिक और हॉस्पिटल नर्सिंग होम में जाते हैं। ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस वाले लोगों का इलाज भी प्राइवेट अस्पतालों में किया जाता है लेकिन कोरोना आपदा के वक्त प्राइवेट अस्पतालों के ने सरकार की परेशानी बढ़ाई है लिहाजा अब सख्त रवैया अपनाया गया है।
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