क्या होता है रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, कोरोना वायरस के खिलाफ किस तरह करता है काम?

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :कोरोना वायरस को हराने के लिए भारत सरकार युद्धस्तर पर जुटी हुई है। लगातार टेस्ट सैंपल लिए जा रहे हैं, इनकी जांच जारी है। कोविड-19 को हराने के लिए सख्त दिशा-निर्देशों का पालन हो रहा है। संयुक्त पत्रकार वार्ता में रोजाना कोविड-19 से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी, आवश्यक दिशा-निर्देश और सूचनाएं लोगों तक पहुंचाई जा रही हैं। 22 अप्रैल यानी गुरुवार को हुई प्रेस वार्ता में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिचर्स (ICMR) के डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने एंटीबॉडी टेस्ट का जिक्र किया। उन्होंने तफसील से इसके बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस टेस्ट का हर क्षेत्र में इस्तेमाल का फायदा नहीं है। इसे केवल हॉटस्पॉट वाले इलाके में इस्तेमाल किया जाएगा। आइए आपको बताते हैं कि आखिर रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट है क्या और कैसे काम करता है?

Sample) लेकर एंटीबॉडी टेस्ट या सीरोलॉजिकल टेस्ट किए जाते हैं. इसके लिए व्यक्ति की उंगली से एक-दो बूंद खून लिया जाता है. इससे पता चल जाता है कि इम्यून सिस्टम (Immune System) ने वायरस को बेअसर करने के लिए एंटीबॉडीज बनाने शुरू किए हैं या नहीं. इस टेस्‍ट की मदद से बिना लक्षणों वाले लोगों में भी संक्रमण का पता लगाना आसान होता है.

रैपिड एंटीबॉडी टेस्‍ट की प्रक्रिया और ऐसे देखे जाते हैं नतीजे

रैपिड टेस्‍ट के लिए सबसे पहले कारोना वायरस संदिग्ध का ब्‍लड सैंपल लिया जाता है. इसके बाद टेस्ट किट में बताई गई जगह पर ब्‍लड की कुछ बूंदें डाली जाती हैं. इसके बाद किट में दिए गए केमिकल की तीन बूंदें ब्‍लड सैंपल पर डाली जाती हैं. इसके 15 से 20 मिनट के भीतर टेस्ट किट में नतीजा आ जाता है. अगर रैपिड टेस्ट किट पर सिर्फ एक गुलाबी लाइन उभरती है तो इसका मतलब है कि व्यक्ति निगेटिव है यानी वह संक्रमित नहीं है. अगर किट पर सी और एम गुलाबी लाइंस उभरतीं हैं तो मरीज आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है. अगर किट पर सी और जी गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो मरीज आईजीटी एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है. वहीं, अगर किट पर जी और एम दोनों गुलाबी लकीरें उभरती हैं तो व्यक्ति आईजीजी व आईजीएम एंटीबॉडी के साथ पॉजिटिव है.

रैपिड टेस्‍ट के नतीजों की पुष्टि के लिए आरटी-पीसीआर टेस्‍ट

अगर रैपिड टेस्ट पॉजिटिव आता है तो हो सकता है कि संदिग्‍ध कोरोना वायरस से संक्रमित हो. ऐसे में उसे घर में ही आइसोलेशन में रहने या अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी जाती है. अगर रैपिड टेस्ट निगेटिव आता है तो उसका रियल टाइम पीसीआर टेस्ट किया जाता है. रियल टाइम पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आने पर अस्पताल या घर में आइसोलेशन में रखा जाता है. वहीं, रियल टाइम पीसीआर टेस्ट निगेटिव आने पर मान लिया जाता है कि उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं हैं. कोरोना वायरस का सटीक पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर टेस्ट (RT-PCR Test) किया जाता है. इसमें संदिग्‍ध का स्वैब सैंपल लिया जाता है, जो आरएनए पर आधारित होता है. इस टेस्ट में मरीज के शरीर में वायरस के आरएनए जीनोम के सबूत ढूंढे जाते हैं.

रैपिड एंटीबॉडी और आरटी-पीसीआर टेस्‍ट की खामियां

अगर किसी व्‍यक्ति में कोरोना वायरस के मामूली लक्षण हों और उसका रैपिड एंटीबॉडी टेस्‍ट निगेटिव आने के बाद उसका पीसीआर टेस्ट नहीं हो पाता है तो उसे होम क्वारंटीन में रखा जाता है. इसके 10 दिन बाद दोबारा रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट किया जाता है. इसका सीधा मतलब है कि रैपिड एंटीबॉडी टेस्‍ट में 100 प्रतिशत कनफर्म नहीं होता कि संदिग्‍ध कोरोना पॉजिटिव है या निगेटिव. भरोसे के लायक नतीजे हासिल करने के लिए एंटीबॉडी टेस्‍ट के बाद रियल टाइम पीसीआर टेस्ट करना ही होता है.

हालांकि, एंटीबॉडी टेस्‍ट से ये साफ जरूर हो जाता है कि संदिग्‍ध का शरीर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडी बना रहा है या नहीं. आरटी-पीसीआर टेस्‍ट की भी एक खामी है. इस टेस्‍ट के जरिये ये तो पता चल जाता है कि इस समय संदिग्‍ध संक्रमित है या नहीं, लेकिन ये जानकारी नहीं मिल पाती कि वह पहले कोरोना वायरस की जद में आया था या नहीं. वहीं, रैपिड टेस्‍ट में मरीज के सही होने के कुछ दिन बाद भी पता लग सकता है कि वह संक्रमित था या नहीं.

 

 

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