सर्वप्रथम न्यूज़ : भारत का प्रत्येक दिव्यांग या जान चुका है की तोशियास सचिव सौरभ कुमार कभी भी दिव्यांगों पर हो रही अत्याचार को बर्दाश्त नहीं किया है एवं लगातार निशुल्क दिव्यांगों की सेवा की और उनका जीवन का स्लोगन है दिव्यांगों की मुस्कान है हमारी पहचान उनकी वर्तमान में लड़ाई भारत सरकार से चल रही है जिसमें वह दिव्यांगों को संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए लड़ रहे हैं अनगिनत लड़ाई उसमें एक प्रमुख लड़ाई इस अर्थ युग में दिव्यांगों को आर्थिक सहयोग उनके संवैधानिक अधिकार के तहत कैसे मिले उसकी पूरी जानकारी इस प्रकार है सरकारी बचत बैंक अधिनियम, 1873 की धारा 12 के अनुसार, विकृत दिमाग वाले या अपने मामलों का प्रबंधन करने में असमर्थ व्यक्तियों को पागल के रूप में परिभाषित किया गया है आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम की धारा 13 के नियम पर प्रकाश डाला, जो यह प्रावधान करता है कि उपयुक्त सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि दिव्यांग व्यक्तियों को अपने वित्तीय मामलों को नियंत्रित करने और बैंक ऋण और वित्तीय ऋण के अन्य रूपों तक पहुंच प्राप्त करने और आनंद लेने के लिए दूसरों के समान अधिकार प्राप्त हों कानूनी हैसियत।अधिनियम की धारा और प्रस्तावना में यह भी प्रावधान है कि दिव्यांग व्यक्तियों की स्वायत्तता, गरिमा और गोपनीयता का सम्मान किया जाएगा; संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी विकलांगता समावेशी भाषा दिशानिर्देशों का भी हवाला दिया, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अपनी संयुक्त राष्ट्र विकलांगता समावेशन रणनीति के हिस्से के रूप में लॉन्च किया था। इसके अनुलग्नक I में उक्त दिशानिर्देश आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले विभिन्न शब्दों को सूचीबद्ध करते हैं, जिनसे बचा जाना चाहिए और ऐसे शब्दों को भी मैप किया है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अनुशंसित संगत शर्तों के साथ।संयुक्त राष्ट्र की नीति का लक्ष्य अगले दशक के लिए विकलांगता समावेशन पर संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के लिए उच्चतम स्तर की प्रतिबद्धता और दृष्टिकोण स्थापित करना है, और इसका उद्देश्य विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन के कार्यान्वयन के लिए एक संस्थागत ढांचा स्थापित करना है मानसिक दिव्यांग को कोई भी व्यक्ति बैंक ऋण देने से कोई मना नहीं कर सकता है अपने अधिकार को जानिए भारत का प्रत्येक दिव्यांग तभी जाकर सफल होगा निरंतर किया जाने वाला आप दिव्यांगों का काम।