सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग छात्रों के लिए कॉलेज की पढ़ाई के दौरान कोर्स बदलना हो, किसी दूसरे शहर में किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर चाहिए या फिर पढ़ाई बीच में ही छोड़ने की मजबूरी। बहुत जल्द ऐसी तमाम समस्याओं का हल सामने आ सकता है। UGC ने नेशनल एकेडमिक क्रेडिट बैंक का खाका तैयार किया है। इस बैंक में कॉलेज और यूनिवर्सिटी के छात्र अपना खाता खोल पाएंगे और उसमें उनकी पढ़ाई के बदले क्रेडिट जमा होंगे। यानि कोई स्टूडेंट पढ़ाई बीच में छोड़ भी दे तो जितनी पढ़ाई उसने पूरी कर ली है उसका क्रेडिट एकेडमिक क्रेडिट बैंक में जमा रहेगा। इसी तरह कोई अपना कोर्स बदल ले या यूनिवर्सिटी बदल ले तो भी उसका साल बर्बाद नहीं होगा बल्कि उसके बदले क्रेडिट उसके खाते में जमा रहेंगे। ये क्रेडिट नई जगह पर एडमिशन लेने से लेकर नौकरी पाने तक में उसके काम आएंगे। आज कंज्यूमर अड्डा में UGC की इस पहल को समझने की कोशिश करेंगे।
इस चर्चा के लिए सीएनबीसी-आवाज़ के साथ हैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस के प्रोफेसर संगीत रागी, JNU में स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की फैकल्टी अंशु जोशी और लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के एक्जिक्यूटिव डीन लोवी राज गुप्ता।
क्या है एकेडमिक क्रेडिट बैंक
UGC ने इस पर कॉन्सेप्ट पेपर जारी किया है। इसके जरिए यूजीसी की उच्च शिक्षा में बड़े रिफॉर्म की तैयारी है। मानव संसाधन मंत्रालय और UGC की पहल पर नेशनल एकेडमिक क्रेडिट बैंक बनेगा। छात्रों का NAC बैंक में खाता होगा जिसमें छात्रों का एकेडमिक क्रेडिट जमा होगा। जरूरत पड़ने पर ये क्रेडिट भुनाए जाएंगे। डिग्री, डिप्लोमा के लिए क्रेडिट भुनेंगे। इस पर UGC ने संबंधित पक्षकारों से राय मांगी है।
छात्रों को NAC का फायदा
छात्रों को कोर्स चुनने/छोड़ने की आजादी होगी.- एकेडमिक क्रेडिट रोजगार में कारगर होगा.- छात्र बीच में यूनिवर्सिटी बदल पाएंगे.- छात्र डिग्री के बीच कोर्स बदल पाएंगे.- कोर्स में गैप आने पर भी छात्रों को दिक्कत नहीं होगी.- क्रेडिट पर आधारित कोर्स फीस कम होगी.
किसे होगा फायदा?
शुरू में ये सिर्फ पोस्ट ग्रैजुएट प्रोग्राम में लागू होगा.- इसमें MA, MCom, MSc, MBA जैसे प्रोग्राम शामिल हैं.- ये सिर्फ भारतीय संस्थान, यूनिवर्सिटी के लिए लागू होगा.
विदेशों में लागू है NAC
ऑस्ट्रेलिया में ये अंडर ग्रैजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट कोर्स पर लागू है.- अमेरिका में सेमेस्टर क्रेडिट आवर्स स्कीम लागू है.- यूरोप के ज्यादातर देशों में क्रेडिट सिस्टम लागू है.