ई-सेवाएं दिव्यांगजनों के लिए वरदान

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : ई-सेवाएं दिव्यांगजनों के लिए वरदान राष्ट्रीय आर राज्य दोनों ही सरकारों का यह कानूनी दायित्व है कि वे यह सुनिश्चित करें कि डिजिटल
सेवा प्रदाता चैनलों में वैश्विक डिजाइन को ही अपनाया जाए और दिव्यांगजनों समेत सबको समान पहुच का
अवसर उपलब्ध कराया जाए। डिजिटल इंडिया के भीतर सेवाओं से उम्र की वजह से बनौतीपूर्ण क्षमताओं
वाले वरिष्ठ नागरिकों समेत दिव्यांग नागरिक अधिकार संपन्न बनेंगे। ज्या-ज्या डिजिटाइजेशन में हम यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पगार प्रौद्योगिकी
को दिशा आगे बह रहा है कि देश का प्रत्येक नागरिक डिजिटल दिव्यांगजन पोर्टल, मोबाइल
और जिस तरह से देश क्राति से आए इस बदलाव का लाभार्थी बने। एप्लिकेशन सोस्क जैसे विधिल सूचना और
में डिजिटल क्रांतिचा हो रही है. नागरिकों डिजिटल बदलाव ने जहां तमाम नागरिकों संचार प्रौद्योगिकी चैनलों का फायदा उठाने सरकारी और निजी रोना ही तरह के लिए उत्पाद और सेवाएं हासिल करना में मददगार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते संगठनों से विभिन्न सेवाए प्राप्त करना आसान बना दिया है, वहीं इसने दिव्यांगजनों है। आज मेत्रों से दिव्यांग यानी दृष्टिबाधित
तौर-तरीका में बुनियादी बदलाव आ रहे हैं। को उनकी गतिशीलता संबंधी व अन्य नागरिक स्क्रीन रीडर का उपयोग कर सकते सरकारी संगठन और कार्पोरेट घराने, दोनों बाधाओं के बावजूद विभिन्न उत्पाद और है जो विंडोज ओएस, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस,ही अपने सचालनात्मक मॉडलों में आमूल सेवाए आसानी से हासिल करने के लिए गूगल क्रोम जैसे ऑपरेटिंग सिस्टमों का बदलाव ला सरताकि डिजिटल समाधाना अधिकार संपन्न बना दिया है। दुनिया करोडों श्रव्य आउटपुट उपलब्ध कराता है। भारत ज़रिए ग्राहका नागरिका तक बहतरीन दिव्यांगजनों का भी पर है और अकेले भारत के कई कम्प्यूटर प्रोग्रामरों ओपन सोर्स
तराक में पहुंचा जा सका एक राष्ट्र के रूप में 10 करोड़ से अधिक दिव्यांगजन रहते हैं। विडोज स्क्रीन रीडर सॉफ्टवेयर को अमता बढ़ाने में बड़ी मेहनत की है
जो कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर का ऑडियो आउटपुट उपलब्ध
कराता है। नॉन विजुअल डिस्प्ले एक्सेस (एलबीडीए)
ओपन सोर्स स्क्रीन रीडिंग
साँपटवेयर है जो आज सात भारतीय भाषाओं में उपलब्ध
है जिनमें हिंदी, बांग्ला, तमिल,मराठी, कलह और भारतीय
अंग्रेजी शामिल है। मोबाइल ऐप के आज के युग में हियर
दूरीड’ टेक्स्ट को स्पीच पानी
पाठ को आवाज में बदलने बाला सॉफ्टवेयर (टीटीएस)है। यह गुजराती, मराठी,कन्नड़, पंजाबी, तमिल और
तेलुग जैसी भारतीय भाषाओं में एडोबह के लिए विकसित
भारत से एक और आविष्कार ‘आवाज’ मुझे अपने घर की तीसरी मंजिल से नीचे डिजिटल चैनल दिव्यांगजनों समेत सभी लोगों
है जो वैकल्पिक और संवर्धनात्मक संचार उतरना पड़ता था और टैक्सी लेने में मदद के के लिए समान रूप से सबको पहुंच के दायरे
युक्ति है। यह सिर या हाथ जैसे मानव अंगों लिए मकान के सुरक्षा गार्ड को साथ लेना में रहे। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से आयकर का
की मांसपेशियों को सीमित गति से आवाज पड़ता था। लेकिन आज मैं आई-फोन एंड्रॉइड भुगतान यानी ई-फाइलिंग, आईआरसीटीसी,
उत्पन्न करती है और इसका उपयोग वाक् फोन पर वाइस ओवर टॉकबैक सुविधा से इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय,
दोष वाले लोग, सेरिब्रल पॉल्सी, ऑटिम. ‘उबर’ या ‘ओला’ बुक कर सकता हूँ जो समाज कल्याण, महिनस और बाल विकास
बद बुद्धि और एफेसिया आदि से ग्रस्त लोग मोबाइल ऐप के जरिए ऑडियो आउटपट मंत्रालय समावेशन की दिशा में सरकार की
कर सकते है।
उपलब्ध करा सकता है। दिव्यांगजन मोबाइल कामयाबी का अच्छा उदाहरण है और इनकी
‘आवाज’ का उपयोग भारत में संचार ऐप आधारित भोजन की होम डिलीवरी सेवाएं आम तौर पर दिव्यांगजनों के लिए
युक्ति के तौर पर व्यापक रूप से किया सेवा का आसानी से फायदा उठा सकते है। भी आसानी से उपलब्ध है। भारत सरकार
गया और बाद में इसे आई-पैड और एंड्रड दिव्यांग समुदाय के लोग ई-कॉमर्स वेबसाइट ने भौतिक आधारभूत ढांचे, परिवहन प्रणाली
टेबलेट के एक एप में बदल दिया गया। यह अमेजन पर अपने घर या किसी भी स्थान से और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी इको
युक्ति विकसित देशों में उपलब्ध इसी तरह ऑनलाइन खरीदारी कर सकते है। इस तरह प्रणाली को समान रूप से सबको पहुँच के
के उपकरणों के मुकाबले 90 प्रतिशत सस्ती उन्हें गतिशीलता में अवरोध की समस्या से दायरे में लाने के लिए सुगम भारत अभियान
है और भारतीय भाषाओं को आवश्यकताओं निपटने में मदद मिली है।
की शुरुआत की है। इस राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा
को पूरा करती है।
ई-सर्विसेज से दिव्यांगजनों के वित्तीय को पूरा करने के लिए समयसीमाएं निर्धारित
‘कवि’ वाक् दोष से ग्रस्त बच्चों के समावेशन में भी मदद मिली है। इससे पहले कर दी गयी है और संख्यात्मक लक्ष्य भी तय
लिए एक उपकरण है जो उन्हें बाहरी दुनिया आंखों से लाचार और दृष्टि बाधित लोगों कर दिये गये है।
के साथ तत्काल सम्प्रेषण करने में मदद को हस्ताक्षरों में अंतर की वजह से चैक मुनाफे के मकसद से काम न करने
देता है। वे हाथ में पकड़ी एंड्राइड युक्ति से बाउंस होने की समस्या का सामना करना वाले संगठनों और निजी क्षेत्र ने भारत में
पिक्टोग्राफ चित्र चुनकर सम्प्रेषण शुरू कर पड़ता था। लेकिन आज दिजिटल तरीके ने डिजिटल समावेशन के प्रयासों में जोरदार
सकते हैं।
इस समस्या को काफी हद तक हल कर योगदान किया है। डेजी फोरम ऑफ इंडिया
‘ब्ली बाँच’ एक स्मार्ट पड़ी है जिसे दिया गया है। अब चैक आधारित लेनदेन देश में लाभ के उद्देश्य से कार्य न करने
श्रवण बाधित नागरिकों के लिए विशेष रूप की बजाय बैब पोर्टल या मोबाइल ऐप के वाले संगठनों का एक मंच है जो ऐसे
से तैयार किया गया है। इस वाच यानी पड़ी जरिए अनिलाइन लेन-देन कर सकते हैं। दिव्यांगजनों की मदद करता है जो दृष्टि
से दरवाजे की घंटी, आग की चेतावनी के आज दिव्यांगजन भी अपने वित्तीय और संबंधी या अन्य भौतिक बाधाओं की वजह
संकेत, बच्चे के रोने जैसी आपातकालीन बैकिग लेनदेन ऑनलाइन कर सकते हैं और से सामान्य रूप से मुद्रित पुस्तके नहीं पद
आवाजों को इससे जुड़े एप्लिकेशन में इस प्रक्रिया पर उनका पूरा नियंत्रण रहता है। सकते। यह संगठन इन लोगों के लिए ऐसे
रिकॉर्ड कर लिया जाता है। यह आवाजबाद सफर करते हुए मोबाइल के जरिए फार्मेट में पुस्तकें और अन्य सामग्री उपलब्ध
में जब भी आती है तो ती वाच कंपन के अखबार पढ़ना अब कोई सपना नहीं है कराता है जो ये आसानी से पद सकते
अनोखे प्रकार, रंग और आइकन्स के आधार बल्कि दिव्यांगजन इसका बद-चद कर है। डेजी फोरम ऑफ इंडिया ने भारत
पर उपयोग करने वाले को सूचित कर देता उपयोग कर रहे हैं। वे सेवा प्रदाता प्रणाली सरकार के सहयोग से डिजिटल पुस्तकों को
है। भले ही संगीत मना न जा रहा हो तो के बारे में सरकारी और निजी उद्यमियों ऑनलाइन लाइब्रेरी ‘सुगम्य पुस्तकालय’ शुरू
भी यह आवाज को कपनों के खास नमूने को जानकारी देकर इसमें सुधार के लिए की है। दृष्टि दिव्यांगजन यहां सुगम फार्मेट
में बदल कर थिरकन से उसका अहसास कह सकते हैं। सेवा प्रदाता प्रणाली के इस में पुस्तक पढ़ने का आनंद उठा सकते है।
करा देता है। उपयोग करने वाला इसके बाद डिजिटल चैनल ने दिव्यांगजनों को घर इस समय डीएफआई भारत के 19 राज्यों
कंपन के स्वरूप के आधार पर नृत्य के बैठे अपनी शिकायत के बारे में बताने की को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा
रूप में अपने को अभिव्यक्त कर सकता है। सुविधा प्रदान कर दी है। वे अपने मोबाइल पाठ्यक्रम की पुस्तकों के डिजिटल रूपांतरण
ई-सर्विसेज से समावेशन
एप के जरिए मनोरंजन की सुविधाओं का में लगा है। डीएफआई ने दृष्टि दिव्यांगों
आज ऐसे एप्स आ गये है जो मित्र, लाभ भी उठा सकते है क्योंकि इस तरह और मुद्रित सामग्री पदने में असमर्थ लोगों
जीवन साथी/दिव्यांगों के सहचर को खोजने की मनोरंजक सामग्री ऐप का अभिन्न अंग को प्रकाशित सामग्री तक पहुँचको सुविधा
में मदद कर सकते है। इनका उपयोग होती है और मददगार प्रौद्योगिकी के जरिए प्रदान करने के लिए मारकेश वीआईपी संधि
दिव्यांगजन व्यापक रूप से करने लगे है। इस तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। के समर्थन में अभियान चलाने में सक्रिय
मुझे उन दिनों को याद आती है जब -सर्विस समावेशन के बारे में भारत होकर हिस्सा लिया। इस मधि में दिव्यांगों
अपनी नेत्रहीनता के लिए खुद को कोसता सरकार की पहल
के लिए पुस्तकों और अन्य सामग्री का
था। खास तौर पर कहीं जाते समय टैक्सी भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने की उपयोग करने के लिए कापीराइट कानन से
वाले को बुलाते वक्त यह अक्सर होता था। कई पहल की है कि सेवा प्रदाता प्रणाली कार दी गयी है। संधि में अनुमोदन करनेवाले देशों के लिए मानदंड बना दिये गये हैं
और सेवाओं का वैश्विक डिजाइन हो जिससे
ताकि वे इस तरह की गतिविधियों में घरेलू दिव्यांगजनों के लिए साइबर स्पेस
विकलांगों समेत सबको इन तक पहुंच का
कॉपीराइट संबंधी एट हासिल कर सकें और में अलग से समर्पित समाधान
फायदा मिले। उत्पादों, माहोल, कार्यक्रम
इस तरह की सामग्री का आयात और निर्यात
और सेवाओं के डिजाइन को आयु, लिंग,
कर सकें। 24 जुलाई 2014 को भारत ने
प्रस्तुत करने की बजाय उद्देश्य
स्थिति या विकलांगता का भेद किये बगैर
इस संधि पर हस्ताक्षर किये और इसका
यह होना चाहिए कि उत्पाद और
भी लोगों के अधिक
अनुमोदन करने वाला पहला देश बना। सेवाओं का वैश्विक डिजाइन हो
से अधिक अनुकूल बनाया जाना चाहिए और
शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार जिससे विकलांगों समेत सबको उनमें अलग-अलग लोगों के लिए बदलाव
ने एक अधिसूचना जारी की है जिसके उन तक पहंच का फायदा मिले। की गंजाइश नहीं होनी चाहिए। वैश्विक
तहत स्मार्ट सिटी मिशन परियोजना में
शामिल सभी शहरों को यह सुनिश्चित
सेवाओं के डिजाइन को आयु,
तरह की दिव्यांगता वालों के उपयोग के
करना अनिवार्य होगा कि सूचना और संचार
योग्य होना चाहिए। वैश्विक डिजायन से
प्रौद्योगिकी डिजिटल रूप में सबके लिए
लिंग, स्थिति या विकलांगता का प्रतीक और टि संबंधी विकार वाले
उपलब्ध रहे ताकि दिव्यांगजन आसानी से भव किरनगर उपयोग करन वाल लोग स्क्रीन रीडर
पानी से भेद किये बगैर उपयोग करने वाले लोग स्क्रीन रीडर के जरिए साइबर स्पेस में
सरकारी सेवाओं का फायदा उठा सके। सभी लोगों के अधिक से अधिक आसानी से भ्रमण कर सकेंगे। वर्णाधता से
छत्तीसगद और कर्नाटक जैसी कुछ राज्य अनकल बनाया जाना चाहिए और पीड़ित लोग रंगों के बीच अतर कर सकेंगे।
सरकारों ने अपनी मौजूदा और नयी सूचना उनमें अलग-अलग लोगों के लिए श्रवण बाधित ल
और संचार प्रौद्योगिकी पहल में डिजिटल
और वीडियो सामग्री का आनंद उठा सकेंगे।
बदलाव की गुंजाइश नहीं होनी
समावेशन के तकनीकी मानदंडों को शामिल
मोटर डिसेबिलिटी से प्रभावित लोग अपने
करने के लिए पहले ही उपाय कर लिये
चाहिए। वैश्विक डिजाइन को उपकरणों की मदद से साइबर स्पेस में
है ताकि दिव्यांगों समेत सभी नागरिकों को जरूरत के अनुसार किसी भी तरह आगा से पा सकोगे और मोदी
सरकारी सेवाओं का समान रूप से फायदा की दिव्यांगता वालों के उपयोग के समस्याओं से ग्रस्त लोग मददगार प्रौद्योगिकी
मिल सके।
योग्य होना चाहिए। की सहायता से बेहतर तरीके से चीजों के
डायल 112 मोबाइल ऐप के विकास
समझ सकेंगे। पहुंच का ध्यान रखने से यह
की पहल छत्तीसगढ़ सरकार ने आपात
सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी लोग
स्थिति में अपने नागरिकों को 112 नंबर सांकेतिक भाषा और कैप्शन जैसी सुविधाए डिजिटल सामग्री को सही अर्थों में आसानी
डायल कर सूचना देने के लिए की थी। हों और दैनिक उपयोग की इलेक्टॉनिक से उपयोग कर सके।
इस कन्द्रीय नबर में तीनों आपातसेवाए यानी वस्तुएं दुनिया भर में एक जैसे डिजायन निष्कर्ष ।
पुलिस, अग्निशमन और एम्बुलेंस आपस में में मिले।
सरकारी और निजी क्षेत्र की यह
तालमेल के साथ समन्वित रूप से कार्य डिजिटल पहुंच और वैश्विक डिजायन व्यावसायिक अनिवार्यता है कि वे यह
करती है ताकि आपात स्थिति में नागरिकों डिजिटल पहुंच का मतलब एक सुनिश्चित करें कि उनके उत्पादों और
का सहायता मिल सके। इस मोबाइल एप ऐसा अनुकूल माहौल बनाने से है जिससे सेवाओं का फायदा डिजिटल तरीके से
में श्रवण संबंधी समस्याओं से ग्रस्त लोगों कम्प्यूटर, सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उठाया जा सके। क्योकि अगर वे ऐसा
का ध्यान रखा गया है और वे इसके जरिए संसाधनों (इसमें वैव पेज, सॉफ्टवेयर, नहीं करते तो, संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के
टेक्स्ट संदेश भेज सकते है तथा रीअल मोबाइल उपकरण, ई-रीडर आदि शामिल अनुसार दुनिया भर में 8 ट्रिलियन डॉलर की
टाइम में सम्प्रेषण कर सकते है।
है) और संचार साधनों तक आसानी से उस क्रय शक्ति का फायदा उठाने से वंचित
हाल में संशोधित दिव्यांगजन अधिनियम, पहुंच में मदद मिले। इससे वैव भ्रमण करने, रह जाएंगे जो दिव्यांगजन और उनके मित्रों
2016 (आरपीडब्ल्यूडी) पारित होने के मोबाइल ऐप और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आदि और संबंधियों के पास है। राष्ट्रीय और राज्य
बाद डिजिटल इंडिया के दायरे में आने का फायदा उठाना भी आसान हो जाता दोनों ही सरकारों का यह कानूनी दायित्व है
वाली तमाम सरकारी सेवाओं के लिए और अधता, आंखों की कम रोशनी. कि वे यह निश्चित करें कि डिजिटल सेवा
अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों का पालन करना जरूरी वर्णाधता, श्रवण संबंधी असमर्थता, मोटर प्रदाता चैनलों में वैश्विक डिजाइन को ही
हो गया है। इस अधिनियम के अनुच्छेद 42 डिसेबिलिटी, बोलने से संबंधित विकार और अपनाया जाए और दिव्यांगजनों समेत सबको ।
में सरकार को यह सुनिश्चित करने को कहा दर पड़ने जैसी समस्याओं से ग्रस्त नागरिकों समान पहुंच का अवसर उपलब्ध कराया।
गया है कि आडियो, प्रिंट और इलेक्टॉनिक का सशक्तीकरण किया जा सकता है। आए। डिजिटल इंडिया के भीतर इ-सेवाओं
फार्मट में तमाम सामग्री पहुंच के दायरे में दिव्यांगजनों के लिए साइबर स्पेस में से उसकी बजह से पनौतीपूर्ण क्षमताओं
हो। सब लोग इलेक्ट्रोनिक मीडिया का लाभ अलग से समर्पित समाधान प्रस्तत करने की बाले पनि नागरिकों समेत दिव्यांग नागरिक ।
उठा सके इसके लिए आडियो विवरण, बजाय उद्देश्य यह होना चाहिए कि उत्पाद अभिमापन बनेंगे।

 

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