सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक्सपर्ट कमेटी ने खेती की जमीन पट्टे पर देने को कानूनी तौर पर वैध बनाने का सुझाव दिया है। सरकार का मानना है कि इससे कृषि की उत्पादकता बढ़ेगी, समानता को बढ़ावा मिलेगा और गरीबी घटाने में मदद मिलेगी। सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग की तरफ से अप्वाइंट हुई कमेटी ने मॉडल एग्रीकल्चर लैंड लीजिंग एक्ट 2016 का प्रपोजल दिया है। राज्यों में इस कानून के लागू होने पर मौजूदा सभी कानून खारिज हो जाएंगे। यह राज्यों की तरफ से अधिसूचना जारी होने की तारीख से प्रभावी माना जाएगा।प्रस्तावित कानून के मुताबिक, जमीन के मालिक आपस में तय नियम और शर्तों के हिसाब से कुछ कीमत लेकर तय समय के लिए खेती और उससे जुड़ी गतिविधियों के लिए अपनी खेती की जमीनों के इस्तेमाल का अधिकार देने के लिए टेनेंट्स के साथ पट्टा कर सकेंगे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन पट्टे पर दिए जाने की व्यवस्था को कानूनी वैधता मिलने से खेती में लगी आबादी नॉन-एग्री सेक्टर की तरफ शिफ्ट हो सकेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इससे बड़े जमीन मालिकों को पट्टे में दी गई जमीन पर मालिकाना हक खोने का डर खत्म होगा, जिससे उनको जमीन पट्टे पर देने के अलावा (सही पूंजी और तकनीकी सपोर्ट से) नॉन-फार्म एक्टिविटीज में इनवेस्टमेंट करने को बढ़ावा मिलेगा। यह रोजगार में विविधीकरण करने और ग्रामीण इलाकों का तेजी से कायाकल्प के लिए जरूरी है।’ इससे खेती पर आबादी का बोझ घटेगा और छोटे किसानों को जमीन पट्टे पर लेकर अपनी खेती का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी।खेती और इससे जुड़ी गतिविधियों में खाद्यान्न और गैर खाद्य फसलों की खेती, चारा या घास, फलों और सब्जियों, फूलों, किसी तरह की बागवानी की फसल, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन, मुर्गीपालन, मछली पालन, कृषि वानिकी, कृषि प्रसंस्करण और किसानों और किसान समूहों की दूसरी गतिविधियां शामिल होंगी।रिपोर्ट के मुताबिक, किसान वह शख्स होगा जिसके पास जमीन होगी और जो खेती करता होगा। किसान वह शख्स भी होगा, जिसके पास अपनी जमीन नहीं हो, लेकिन दूसरों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहा हो। किसान समूहों में स्वयंसेवी समूह, संयुक्त आर्थिक जिम्मेदारी वाले समूह और कृषि उत्पादक संगठन शामिल होंगे।टी हक की अगुवाई में पिछले साल नीति आयोग की ओर से बनाई कमेटी की तरफ से कानून का प्रस्ताव तब आया है, जब सरकार संसद में लैंड एक्विजिशन एक्ट 2013 में चेंज कराने की कई कोशिशों में नाकामयाब होने के बाद अब लैंड एक्विजिशन के मामले में थोड़ी बहुत आगे बढ़ती नजर आ रही है। तेलंगाना, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में जमीन पट्टे पर देना गैरकानूनी है, हालांकि विधवा, नाबालिगों, अशक्तों और डिफेंस पर्सनल्स के तौर पर कुछ अपवाद भी हैं। केरल में भी लंबे समय तक रैयत प्रथा बंद थी, लेकिन हाल में उसने स्वयंसेवी समूहों को पट्टे पर जमीन लेने की इजाजत दी है।
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