सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार पटना : 8 अगस्त,2015 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों की मंत्रीडॉ. नजमा हेपतुल्ला ने अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूपसे मुसलमानों की शैक्षिक और जीविकोपार्जन की जरूरतोंमें सहायता प्रदान करने हेतु नई केंद्रीय योजना ‘नईमंजिल योजना’ का शुभारंभ पटना, बिहार में किया।
उल्लेखनीय है कि यह योजना देश में अल्पसंख्यकसमुदायों की प्रगति और सशक्तिकरण के संबंध में समग्रदृष्टिकोण एवं अल्पसंख्यकों के कल्याण में सुधार लाने केलिए प्रारंभ की गई है।
गौरतलब है कि इसकी घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा वित्तवर्ष 2015-16 के बजट भाषण में की गई थी। यह योजनास्कूल से बाहर आए या बीच में ही पढ़ाई छोड़ चुके सभीछात्रों और मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक नईदिशा और एक नया लक्ष्य प्रदान करती है।
- इस योजना का उद्देश्य प्रशिक्षुकों को ब्रिजपाठ्यक्रमों के द्वारा शैक्षिक भागीदारी उपलब्धकराना है, ताकि उन्हें दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से12वीं और 10वीं कक्षा के प्रमाण पत्र उपलब्ध होसकें ।
- इसके साथ ही उन्हें 4 पाठ्यक्रमों में ट्रेड आधार परकौशल प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराना है, जो इसप्रकार हैं-
(1) विनिर्माण, (2) इंजीनियरिंग, (3) सेवाएं तथा (4) सरल कौशल।
- इस योजना में सभी अल्पसंख्यक समुदायों के 17 से 35 वर्ष के आयु समूहों के लोगों के साथ-साथमदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को शामिल कियाजाएगा।
वर्ष 2001 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारतकी 1,028 मिलियन आबादी का 20% से थोड़ा ज्यादाहिस्सा अल्पसंख्यकों का है। उनमें से मुस्लिमों का हिस्सासबसे बड़े अल्पसंख्यक 13.4% इसके पश्चात् ईसाई2.3%, सिक्ख 1.9%, बौद्ध 0.8%, जैन 0.4 प्रतिशतऔर बहुत थोड़ी संख्या में पारसी है। अल्पसंख्यकों कीस्कूल ड्रॉपआउट दर बहुत उच्च है जो प्राथमिकस्तरों(राष्ट्रीय 2% के मुकाबले)14% तथा माध्यमिक स्तरपर (राष्ट्रीय 3% के मुकाबले)18% बनती है।अल्पसंख्यकों की कार्य बल सहभागिता दर भी राष्ट्रीयऔसत (54% के राष्ट्रीय औसत के मुकाबले 44%) सेनिम्नतर है जो समुदाय में रोजगारपरकता कौशलों केअभाव को दर्शाता है। अल्पसंख्यक समुदाय के लिएसरकार की मौजूदा योजनाएं अल्पसंख्यक आबादी केलिए शिक्षा हेतु छात्रवृत्तियों तथा कौशल एवं नेतृत्वविकास के सीमित क्रियाकलापों की व्यवस्था करती हैं।ईडीसीआईएल (इंण्डिया) लिमिटेड, मानव संसाधनविकास मंत्रालय द्वारा किए गए 2013 के सर्वेक्षण केअनुसार, मुस्लिमों में स्कूल ड्रॉपआउट दरें देश की उच्चतमदरों में से एक है तथा ये ड्रॉपआउट ज्यादातर प्राथमिकस्तर पर होता है। भारत में अल्पसंख्यकों की स्थिति संबंधीसच्चर समिति की रिपोर्ट (2005) भी विभिन्न कारणों जैसेकि गरीबी, शिक्षा से प्रतिफल की न्यून संभावना, स्कूलोंतक कम पहुंच आदि के कारण मुस्लिमों में कम शिक्षा परिणामों का उल्लेख करती है। इसलिए, ऐसा कोईकार्यक्रम बनाया जाना महत्वपूर्ण है जो शिक्षा तक पहुंचसुनिश्चित करे जिससे नौकरियों के अर्थों में प्रत्यक्षप्रतिफल प्राप्त हो। तद्नुसार शिक्षा और कौशल विकासकी समेकित योजना के माध्यम से अल्पसंख्यक समुदायके समग्र विकास की तैयारी की गई है जिसका उद्देश्य शिक्षा प्राप्ति और अल्पसंख्यकों की रोजगारपरकता कीकमी को दूर करना है।
योजना का उद्देश्य:-
नई मंज़िल का उद्देश्य गरीब अल्पसंख्यक युवाओं कोरचनात्मक तौर पर नियोजित करना और उन्हें सतत एवंलाभकारी रोजगार के अवसर प्राप्त करने में मदद करना हैजिससे कि वे मुख्य धारा के आर्थिक क्रियाकलापों के साथजुड़ सके। अगले 5 वर्षों में परियोजना के विशिष्ट उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
- अल्पसंख्यक समुदायों के उन युवाओं, जो स्कूलड्रॉपआउट्स है, को जुटाना और उन्हें राष्ट्रीय मुक्तविद्यालय संस्थान (एनआईओएस) अथवा अन्यराज्य मुक्त विद्यालय प्रणाली के माध्यम से कक्षा 8 अथवा 10 तक की औपचारिक शिक्षा उपलब्धकराना और प्रमाण-पत्र देना है।
- कार्यक्रम के भाग के रूप में, युवाओं को बाजारप्रेरित कौशलों में एकीकृत कौशल प्रशिक्षणउपलब्ध कराना।
- कम से कम 70% प्रशिक्षित युवाओं को नौकरी मेंप्लेसमेंट उपलब्ध कराना जिससे कि वे मूलभूतन्यूनतम मजदूरी प्राप्त कर सके और उन्हें अन्यसामाजिक सुरक्षा हकदारियां जैसे कि भविष्य निधियां, कर्मचारी राज्य बीमा(ईएसआई) आदिमुहैया कराना।
- स्वास्थ्य एवं जीवन कौशलों के प्रति जागरूकताबढ़ाना और सुग्राहीकरण करना।
परियोजना का कार्यान्वयन दृष्टिकोण निम्नानुसारहै :-
- वर्तमान परियोजना प्रायोगिक है और इसमें कईक्रियाकलाप शामिल होंगे जो भारत केअल्पसंख्यक समुदायों के लिए शिक्षा और कौशलप्रशिक्षण हेतु कार्यनीतियां सीखने में सरकार कोसक्षम बनाएंगे। इससे प्रत्येक परिवार आदि कीआर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का विशलेषणकरते हुए एक आधारिक मूल्यांकन होगा।
- इसे देशभर में चरणबद्ध ढंग से क्रियान्वित कियाजाना है। अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्र मुख्य भौगोलिकलक्ष्य होंगे।
- इस प्रयोजनार्थ पंजीकृत कम्पनी/फर्म/ट्रस्ट/सोसायटी और/अथवा सरकारी कार्यक्रमकार्यान्वयनकर्ता एजेंसियों (पीआईए) को नियुक्तकिया जाएगा।
- परियोजना द्वारा प्रत्येक स्तर पर अल्पसंख्यकों कीशिक्षा के परिणामों और रोजगारपरकता के अर्थोंमें समानता लाने के लिए उनकी सामाजिक औरआर्थिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए नवाचारको प्रोत्साहित किया जाएगा।
- परियोजना मंत्रालय के संयुक्त सचिव की अध्यक्षतामें अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में स्थित परियोजनाप्रबंधक द्वारा कार्यान्वित की जाएगी। योजना केविभिन्न संघटकों की देख-रेख के लिए उनके साथबाजार से हायर किए गए विशेषज्ञों की एक टीमहोगी।
योजना की कार्यनीति:-
- जुटाव
गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के 17-35 वर्षों के आयुसमूह वाले अल्पसंख्यक युवा, जो स्कूल ड्रॉपआउट्स है, योजना के अधीन मुख्य लक्षित आबादी हैं। उनकी संस्कृतिके अनुकूल विभिन्न कार्यनीतियों के माध्यम से उन्हें प्रेरितकिया जाएगा। मंत्रालय द्वारा बृहत स्तर पर तथा पीआईएद्वारा परियोजना क्षेत्रों में लघु स्तर पर समर्थन/सूचना, शिक्षा एवं संप्रेषण(आईईसी) तथा जागरूकता उत्पन्नकरने वाले कार्यक्रम तैयार एवं क्रियान्वित किए जाएंगे।अल्पसंख्यक महिलाओं की नेतृत्व क्षमता विकास के लिएअल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की नई रोशनी योजना केअंतर्गत प्रशिक्षित महिलाओं को भी इस योजना के लिएप्रेरकों के रूप में लगाया जाएगा। इसी प्रकार, स्व सहायतासमूहों (एसएचजी) सरीखी सामुदायिक स्तर कीसंरचनाओं का भी युवाओं की लामबंदी के लिए उपयोगकिया जा सकता है। इस योजना के अंतर्गत, लाभार्थियोंहेतु प्राथमिक कैचमेंट एरिया 1,228 सामुदायिक विकासब्लॉक होंगे जहां अल्पसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक कार्यमंत्रालय द्वारा पता लगाए गए अनुसार कुल आबादी का25% अथवा इससे अधिक है । इस योजना के कार्यान्वयनके लिए संचालन समिति द्वारा राज्य सरकारों के साथसलाह-मशविरा करके इन ब्लॉकों के अलावा भी कैचमेंटएरिया अधिसूचित किए जा सकते हैं।
पहचान एवं चयन
इस योजना के अंतर्गत जुटाए गए युवाओं को उपयुक्तपरामर्श दिया जाएगा जिससे पीआईए को शिक्षा एवंकौशलों के अर्थों में उपयुक्त सहायता की पहचान करने केलिए उम्मीद्वारों की चयन-पूर्व जांच करने में मदद मिलेगी।इससे बेसलाइन के लिए डाटाबेस भी तैयार होगा।
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