दिव्यांगों स्थिति बहुत दयनीय अब तो जागो दिव्यांग समाज नौकरी दिलाने प्राइवेट नौकरी वालों की हालत मजदूरों से भी बदतर, NSSO के रिपोर्ट में हुआ खुलासा

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार: दिव्यांग लोगों को हर हालत में स्वाबलंबी बनाना है और रोजगार के प्रमुख धारा से जोड़ना है यह संकल्प हमारा इसमें साथ दें भारत के सभी दिव्यांग समाज समस्या जो वर्तमान में है वह इस प्रकार है उसे समाप्त करना है संकल्प लेकर आत्मविश्वास के साथ यह जिम्मेदारी हमारी है नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा जारी किये गए एक हालिया रिपोर्ट के देश में रोजगार और कामगारों को लेकर एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है. NSSO के पीरियोडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे में भारत में रोजगार और कामगार की असामान्य से तस्वीर सामने आई है. NSSO के इस रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि देश में नौकरीपेशा लोगों को सबसे ज्यादा काम करना पड़ता है जबकि मजदूरों को उनसे अपेक्षाकृत कम काम करना पड़ता है.नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन के एक रिपोर्ट के अनुसार  शहरों में नौकरीपेशा करने वाले पुरुषों को सप्ताह में करीब 60 घंटे काम करना पड़ रहा है जबकि शहरी मजदूर को हर हफ्ते 49 घंटे और स्वरोजगार में लगे शहरी लोगों  58 घंटे काम करते हैं. हाल  ही में NSSO द्वारा जारी इस रिपोर्ट के अनुसार सप्ताह में शहरी नौकरीपेशा पुरुष जहां 60.3 घंटे काम करते हैं, वहीं महिलाओं को थोड़ी राहत है उन्हें तकरीबन 52.7 घंटे ही काम करना पड़ता है.

इसके अलावे NSSO ने इस रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में एक ग्रामीण मजदूर सप्ताह में 48 घंटे काम करता है, जबकि शहरों में यह घंटा बढ़कर 56 हो जाता है. इससे स्पष्ट है कि ग्रामीण मजदूरों की तुलना में शहरी मजदूर ज्यादा काम करते हैं. वहीँ शहरों में नौकरी करने वाले लोग एक सप्ताह में 57 से 58 घंटे काम करता है. जबकि शहरों में नौकरी पेशा करने वाली महिला सप्ताह में 50 घंटा काम करती है. हालांकि शहरों में महिला एवं पुरुष को दो तीन घंटे अतिरिक्त काम भी करना पड़ता है.

आपको बता दें  कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन ने ये आंकड़े वर्ष 2017-18 की चार तिमाहियों के दौरान एकत्रित किए थे. सभी तिमाहियों के नतीजे भी करीब करीब एक जैसे आए हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं को दफ्तर के काम में थोड़ी राहत दिखती है.  ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष महिलाओं से करीब आठ घंटे ज्यादा काम करते हैं.

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