सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग व्यक्ति के साथ अगर आप किसी मामले की फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट(एफआईआर) दर्ज कराने थाने या कोतवाली जाते हैं और पुलिस अधिकारी आपकी एफआईआर दर्ज नहीं करती, तो आप उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं. किसी अपराध की शिकायत मिलने पर एफआईआर दर्ज करने से मना करने वाले पुलिस अधिकारी को 2 साल तक की जेल हो सकती है. साथ ही उसके ऊपर जुर्माना लग सकता है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 154 और 155 के तहत थाना प्रभारी की लीगल ड्यूटी है कि वो किसी भी अपराध की शिकायत मिलने के बाद एफआईआर दर्ज करे. साथ ही शिकायत देने वाले को इसकी रिसीविंग मुफ्त में दे. अगर पुलिस अधिकारी एफआईआर दर्ज करने से मना करता है, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 166 के तहत कार्रवाई की जा सकती है. उन्होंने बताया कि धारा 166 के तहत ऐसे पुलिस अधिकारी को 6 महीने से लेकर 2 साल तक की सजा हो सकती है. इसके साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है. इसके अलावा पीड़ित व्यक्ति के पास जिले के पुलिस अधीक्षक और पुलिस महानिदेशक के पास भी शिकायत करने का विकल्प है. इसके बाद भी अगर पुलिस शिकायत नहीं दर्ज करती है, तो आप कोर्ट जा सकते हैं और मानवाधिकार आयोग की मदद ले सकते हैं. न्यायिक मजिस्ट्रेट को सीआरपीसी की धारा 156 के तहत शक्ति मिली है कि वो पुलिस को मामले की शिकायत दर्ज करने का आदेश दे सकता है. दिव्यांग व्यक्ति अपने को असहाय महसूस ना करें इसलिए मैं दिव्यांग समाज को यह जानकारी दे रहा हूँ की जिंदगी कि हर लड़ाई वह खुद लड़ सके और आत्मनिर्भर बन सकें।
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