सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : ग्राहकों को ठगने वाले दुकानदार एवं सामान निर्माताओं की अब खैर नहीं। ग्राहकों को नकली या मिलावटी सामान देने वालों को छह माह से लेकर उम्र कैद तक हो सकती है। उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2019 लोक सभा एवं राज्य सभा दोनों सदनों से पारित हो चुका है। अब यह कभी भी कानून का रूप ले सकाता है।यह उपभोक्ता संरक्षण कानून, 1986 का स्थान लेगा।
- अगर मिलावटी और नकली सामान से उपभोक्ता को कोई नुकसान नहीं होता है तो सामान बनाने वाले को छह माह की जेल और एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है
- अगर उपभोक्ता को उस मिलावटी सामान के इस्तेमाल से मामूली नुकसान होता है तो एक साल की जेल और तीन लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान किया गया है
- नकली सामान के इस्तेमाल से उपभोक्ता को गंभीर नुकसान होता है तो निर्माता को सात साल की जेल और 5 लाख रुपए का जुर्माना होगा
- अगर मिलावटी या नकली सामान के इस्तेमाल से उपभोक्ता की मौत हो जाती है तो सामान बनाने वाले को उम्रकैद की सजा भी मिल सकती है और कम से कम 10 लाख रुपए का जुर्माना होगा।
- इस प्रकार के मैन्यूफैक्चरर्स के लाइसेंस को भी रद्द करने का प्रावधान किया गया है। बिना नुकसान वाली स्थिति में मैन्यूफैक्चरर्स के लाइसेंस को सस्पेंड किया जाएगा।
- अगर कोई मैन्यूफैक्चरर्स अपने उत्पाद की बिक्री के लिए भ्रामक या तथ्य से हटकर विज्ञापन देता है तो भी मैन्यूफैक्चरर्स को जेल जाना होगा। उपभोक्ता संरक्षण बिल के प्रावधान के मुताबिक अपने उत्पाद का भ्रामक विज्ञापन पहली बार देने पर मैन्यूफैक्चरर्स को दो साल तक की कैद और 10 लाख रुपए का जुर्माना होगा। इस प्रकार के भ्रामक विज्ञापन को फिर से देने पर मैन्यूफैक्चरर्स को पांच साल तक की कैद और 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। उपभोक्ता की शिकायतों को सुनने के लिए एक सेंट्रल अथॉरिटी भी निर्माण किया जाएगा। सेंट्रल अथॉरिटी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी।
मंगलवार को उच्च सदन में यह विधेयक पेश करते हुए उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस विधेयक का मकसद उपभोक्ताओं को अनुचित व्यापार व्यवहार से होने वाले नुकसान से बचाना और व्यवस्था को सरल बनाना है। पासवान ने कहा कि यह विधेयक काफी समय से लंबित था। उन्होंने बताया कि विधेयक में स्थायी संसदीय समिति की पांच सिफारिशों को छोड़ कर सभी सिफारिशों को शामिल किया गया है। पासवान ने कहा कि इस विधेयक में उपभोक्ता विवाद के न्याय निर्णय की प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया गया है । मंत्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति शिकायत कर सकता है और 21 दिन के भीतर उसकी शिकायत स्वतः: दर्ज हो जायेगी ।
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