सतरंगी उपलब्ध नहीं कर सके थे

सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार :पीएमसीएच में बेड पर चादर नहीं है। रंगीन चादर तो दिखते भी नहीं। Aचादरोंकी कमी है, फिर भी कोशिश है कि सभी बेड पर

Q पीएमसीएच में बेड पर चादर नहीं है। रंगीन चादर तो दिखते भी नहीं।

Aचादरोंकी कमी है, फिर भी कोशिश है कि सभी बेड पर चादर बिछाई जाए।

Qचादर क्यों नहीं हैं?

A2011-12के बाद चादर आपूर्ति का टेंडर नहीं हुआ है। 2014 में खादी ग्राम उद्योग समिति को सतरंगी चादर की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वह चादरों की आपूर्ति नहीं कर सकी।

Qऐसे तो रंगीन चादर का नियम ही बेकार जाएगा?

Aपहलेक्या हुआ, यह नहीं कह सकता। अब साल में दो बार पीएमसीएच में सतरंगी चादरों की आपूर्ति कराने के लिए बुनकर समिति के साथ बैठक कर जल्द ही ऑर्डर देंगे।

बुनकर कहते हैं कि दे सकते हैं चादर

डीबीस्टार ने बिहार बुनकर कल्याण समिति से भी बात की। मुख्यमंत्री इस समिति के पदेन अध्यक्ष होते हैं। समिति के सदस्य और रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष अलीम अंसारी के अनुसार खादी ग्रामोद्योग या सहकारी समितियां समन्वय नहीं कर पाने के कारण यह ऑर्डर नहीं उपलब्ध करा पा रही होंगी, यह संभव है लेकिन यह बात सर्वथा गलत है कि बुनकर इसमें सक्षम नहीं। अंसारी के अनुसार पालीगंज के ही बुनकर हजारों रंगीन चादर उपलब्ध करा सकते हैं, भागलपुर तक के बुनकरों की मेहनत जुड़ जाए तो महीनाभर में लाखों रंगीन चादर दे सकते हैं। डीबी स्टार ने चादर सप्लाई से जुड़े एक बड़े व्यापारी से भी बात की। नाम नहीं छापने की शर्त पर उन्होंने भी कहा कि रंगीन चादर उपलब्ध कराना बुनकरों के लिए बड़ी बात नहीं, लेकिन कोई यह चाहेगा तब तो।

शत-प्रतिशत सतरंगी चादर नहीं मिली

2008में सरकारी आदेश गया, लेकिन 2011-12 में टेंडर के जरिए 1675 बेड के लिए दो-दो के हिसाब से पीएमसीएच को 23450 चादर मिली भी तो ज्यादातर चादर सफेद थी, रंगीन की संख्या कम ही थी। वित्तीय वर्ष 2011-12 में ही फिर 8400 चादरों की खरीदारी हुई। इस बार भी 600 बेड के लिए रंग के हिसाब से चादर नहीं मिली। 2014 में आदर्श बुनकर समिति से भी सतरंगी चादर के लिए ही बात चली, लेकिन पीएमसीएच का दावा है कि वह भी इन्हें उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं थी।

बुनकरों का पैसा फंसने के कारण परेशानी

खादीग्रामोद्योग समिति इसके लिए प्रयासरत थी, लेकिन बुनकरों का काफी पैसा फंस गया तो सतरंगी चादरों की आपूर्ति बंद कर दी गई। सतरंगी चादर का रेट लगभग 175 रुपए प्रति पीस था। प्रभाकरकुमार, अध्यक्ष, खादी संस्थान संघ, बिहार

बाजारसे लेकर बुनकर समूह तक रंगीन चादर उपलब्ध कराने को तैयार हैं, लेकिन यह अपने आप में अजूबा है कि पीएमसीएच को आज तक शत-प्रतिशत इस खरीद में सफलता नहीं मिली। एक रंग की चादर एक बेड पर कई दिन रहे तो भी यह साबित नहीं किया जा सकता है कि वह किस दिन बिछाई गई थी। कई मरीज पहले ही दिन चादर की दुर्गति कर देते हैं तो कई बेड पर दो-तीन दिन में भी इसकी स्थिति ठीक रहती है। रंगीन चादर में हर दिन बदलने की मजबूरी रहती है और इसके लिए पूरी तरह मुस्तैद सिस्टम के साथ ही सतरंगी चादर उपलब्ध कराने की ईमानदार कोशिश भी जरूरी है, लेकिन आज तक की खरीद को देखें तो सबकुछ सवालों के घेरे में है।

चादरनहीं बदले जाने की दवा थी यह

अस्पतालमें मरीजों को बेड पर चादर नहीं मिलती थी। मिलती थी तो बदली नहीं जाती थी। 2007 में इस शिकायत को दूर करने के लिए सप्ताह के सातों दिन अलग-अलग रंग की चादर बिछाने की योजना बनी। बेड पर यदि मरीज हो तो सोमवार को नीला, मंगलवार को आसमानी, बुधवार को हरा, गुरुवार को पीला, शुक्रवार को नारंगी, शनिवार को लाल और रविवार को बैगनी चादर बिछाने का नियम बनाया गया। पीएमसीएच की तर्ज पर यह योजना अन्य सरकारी अस्पतालों में भी लागू की गई। तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव ने नियम लागू करते समय ही कहा था कि चादर नहीं बदले जाने की यही दवा है। इसी से पता चल जाएगा कि अस्पताल नियम का पालन कर रहा है या नहीं।

आठ साल में पीएमसीएच को नहीं मिल सकी रंगीन चादर

}हड्‌डी विभाग 86

}प्लास्टिक सर्जरी 36

}नेत्र विभाग 101

}चर्म और यौन रोग विभाग 50

}नाक, कान,गला विभाग 60

}रेडियम संस्थान 48

}औषधि 296

}स्त्री एवं प्रसव विभाग 264

}कॉटेज अस्पताल 32

}केबिन (आंख विभाग) 4

}जननी केबिन 10

}केंद्रीय आकस्मिकी 100

}न्यूरो सर्जरी 24

}पीएम एंड आर 35

}जीएससीयू 6

}एमआईसीयू 14

}सर्जिकल आईसीयू 15

}बर्न आईसीयू 6

}बच्चा आईसीयू 6

}एमएलए वार्ड 12

}रेडियम केबिन 5

कुलबेड-1210

डॉ. लखींद्र प्रसाद, अधीक्षक, पीएमसीएच

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