सर्वप्रथम न्यूज़ सौरभ कुमार : दिव्यांग अब पुरुषों को भी सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्स बनने का मौका मिलेगा। प्रदेश सरकार ने पुरुष स्टाफ नर्स के लिए जरूरी शैक्षिक योग्यता में रियायत कर दी है। स्टाफ नर्स बनने के लिए मनोचिकित्सा में डिप्लोमा की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। पुरुष नर्सिंग में बीएसएसी डिग्री पर ही अस्पतालों में स्टाफ नर्स बन सकते हैं।
अदालत में शैक्षिक योग्यता का दाखिल होगा आदेश
नर्सिंग एसोसिएशन ने मनोचिकित्सा में डिप्लोमा की अर्हता खत्म करने को लेकर अदालत में याचिका दाखिल कर रखी है। अदालत में यह मामला विचाराधीन है। सरकार डिप्लोमा की जरूरत खत्म करने को लेकर जल्द आदेश जारी करने जा रही है। इस आदेश को हलफनामा के साथ अदालत में दाखिल किया जाएगा ताकि नर्सिंग में बीएससी डिग्री करने वाले पुरुष लोक सेवा आयोग के मार्फत सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्स बन सकें। अभी तक मनोचिकित्सा में डिप्लोमा और नर्सिंग में बीएससी की डिग्री की दो शैक्षिक योग्यता वाले पुरुष ही नहीं मिलते थे। स्टाफ नर्स में पुरुषों की भर्ती न होते देख सरकार ने मनोचिकित्सा में डिप्लोमा की अनिवार्यता को हटा लिया।
10 फीसदी पुरुष बन सकते हैं स्टाफ नर्स
इसी के साथ सरकार ने पुरुषों के स्टाफ नर्स बनने का कोटा भी पांच से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। प्रदेश में ट्रामा सेंटरों की बढ़ती तादाद के चलते सरकार ने यह तय किया है। कारण कि पुरुष स्टाफ नर्स ही घायल व्यक्ति को उठाकर अस्पताल पहुंचा सकते हैं। इस तरह लोकसेवा आयोग स्टाफ नर्सों के चयन में 90 फीसदी महिलाओं और 10 फीसदी पुरुषों को लेगा।
स्टाफ नर्स के खाली हैं 2200 पद
मौजूदा समय में सरकारी अस्पतालों में स्टाफ नर्स के 7770 पद हैं। तीन साल पहले 4031 पद स्टाफ नर्स के खाली थे। इन सभी पदों को भरने का प्रस्ताव लोक सेवा आयोग को भेजा जा चुका है। धीरे-धीरे लोकसेवा आयोग ने 1830 पद पर नर्सों का चयन कर लिया। इनकी अस्पतालों में तैनाती भी हो गई। बावजूद इसके 2201 पद अभी भी खाली हैं।