सर्वप्रथम न्यूज़ रत्नेश कुमार की कलम से :गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वर: गुरुर्साक्षात्परम्ब्रह्मः तस्मै श्रीगुरुवे नमः हर हाथ को कर्मकार बनाने वाला शिक्षक होता है | चाहे वह माता पिता के रूप में , गुरु के रूप में , साथी के रूप में |मिट्टी को तैयार करने के लिए जिस तरह से पानी और हाथों की जरूरत होती है ठीक उसी तरह से , मन रूपी कोरे कागज कौन दिशा दिखाने के लिए एक शिल्पकार की जरूरत होती है जो शिक्षक के रूप में होता है| चाहे वह समाज के किसी भी रूप में विद्यालय रूपी, कॉलेज विश्वविद्यालय व विभागीय विद्यालयों में मौजूद होते हैं|तभी कहा गया है, गुरु से बढ़कर दुनिया में कोई -कोई नहीं|गुरु है जो कलम की ताकत बने,गुरु दोस्त है इस समस्या से में |गुरु वह है जो कर्म फल का निर्माण करे| माता-पिता भी गुरु शिखर के होते है| हम सभी बाल ,बच्चों को इनका सम्मान करना चाहिए न सिर्फ शिक्षक दिवस पर बल्कि हर समय हर सेकेंड हर घंटे हर दिन संपूर्ण जीवन में है की कही हुई बातों को उतारना चाहिए हमारे जीवन निर्माण में पथ प्रदर्शक का काम यह शिक्षक ही करते हैं जैसे डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन को हम आदर्श मानते हुए 5 सितंबर को हर वर्ष उनके जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाते हैं उसी तरह एक निश्चित समय का निर्धारण कर अपने भविष्य के लिए जागरूक हो: यही एक पुस्तकालय शिक्षक की कामना है ।
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